प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई पूर्व प्रधानमंत्रियों के स्वयंभू सलाहकार डॉ. वेदप्रताप वैदिक की आतंकवादी सरगना हाफिज सईद से मुलाकात को लेकर पिछले दिनों मचे हंगामे पर मोदी सरकार को संसद में और संसद के बाहर खासी परेशानी का सामना करना पड़ा था। कहा जा रहा था कि डॉ. वैदिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अघोषित विशेष दूत की हैसियत से हाफिज सईद से मिले थे। काफी हंगामा मचने के बाद सरकार की ओर सेसंसद के दोनों सदनों में साफ किया गया कि डॉ. वैदिक की पाकिस्तान यात्रा और हाफिज सईद से उनकी मुलाकात से सरकार का कोई लेना-देना नहीं है। इसी आशय की सफाई पाकिस्तान स्थित भारतीय उच्चायोग की ओर से भी दी गई। किसी तरह मामला शांत ही हुआ था कि हाफिज सईद से अपनी मुलाकात का औचित्य साबित करने के लिए वैदिक एक बार फिर सक्रिय हो गए हैं।
डॉ. वैदिक न सिर्फ सईद से अपनी मुलाकात का महिमा मंडन कर रहे हैं बल्कि प्रकारांतर से यह भी जता रहे हैं कि उनकी पिछली पाकिस्तान यात्रा तथा वहां सईद से उनकी मुलाकात को मोदी सरकार की सहमति हासिल थी। इंदौर में बीते रविवार यानी 17 अगस्त को नईदुनिया के संवाद कार्यक्रम में वैदिक की शिरकत इसी सिलसिले की कड़ी है। बल्कि यह भी कहा जा सकता है कि यह कार्यक्रम वैदिक के महिमा मंडन के लिए ही आयोजित किया था। इस कार्यक्रम का शीर्षक था- हाफिज सईद से साक्षात्कार, डॉ. वैदिक की जुबानी सुने उनकी कहानी।
नईदुनिया का स्वामित्व अब जागरण समाचार पत्र समूह के पास है और जागरण को मोदी सरकार तथा भाजपा का मुखपत्र माना जाता है। डॉ. वैदिक की जागरण के मालिकों से निकटता भी जगजाहिर है। जागरण के मालिकों ने इस सिलसिले में सीधे जागरण को शामिल न करते हुए नईदुनिया के माध्यम से यह कार्यक्रम करवाया और इसके लिए स्थान भी वैदिक के गृह नगर इंदौर को चुना गया। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि जिस समय वैदिक की सईद से मुलाकात का मामला संसद में गरमा रहा था उस समय भी नईदुनिया ने ही वैदिक का पूरी तरह समर्थन किया था।
नईदुनिया के प्रधान संपादक श्रवण गर्ग ने खुद वैदिक के बचाव में लेख लिखे थे। बहरहाल, इंदौर में हुए संवाद कार्यक्रम में भी वैदिक ने न सिर्फ हाफिज सईद से अपनी मुलाकात का औचित्य साबित करने की कोशिश की बल्कि अपने चिर-परिचित अंदाज में वे यह बताने से भी नहीं चूके कि दक्षिण एशिया के कई देशों के मौजूदा और पूर्व राष्टाध्यक्षों और शासनाध्यक्षों उनकी कितनी घनिष्ठता है और उनमें कई तो उन्हें अपना गुरू और मार्गदर्शक मानते हैं। लब्वोलुआब यह कि वैदिक जागरण समूह के माध्यम से फिर से यह जताने में जुट गए हैं कि वे मोदी सरकार के कितने करीब हैं उसी की गैर सरकारी नुमाइंदगी करते हुए उन्होंने पहले पाकिस्तान तथा उसके बाद नेपाल की यात्रा की थी।
वैदिक के दावे में कुछ तो दम है ही, अन्यथा जागरण जैसा सरकार समर्थक अख़बार उनके समर्थन में क्यों इस तरह आगे आता।
भड़ास को भेजे गए पत्र पर आधारित।
Hemant
August 22, 2014 at 7:45 pm
इस कार्यक्रम के मंच पर वेद प्रताप वैदिक और श्रवण गर्ग के साथ दिल्ली के एक और छद्म पत्रकार और पांच सितारा दलाल अनुराग बत्रा भी मौजूद थे। इसलिए इस कार्यक्रम कोे दलालों का, दलालों के लिए, दलालों द्बारा आयोजित कार्यक्रम कहा जा सकता है।