Zafar Irshad : सीनियर पत्रकार वेद प्रकाश वैदिक जी दुनिया के मोस्ट वांटेड आतंकवादी हाफिज सईद से मिल कर आये, तो इसे सौहार्दपूर्ण मुलाकात कहा जा रहा है…. अभी कोई मुस्लिम हिंदुस्तानी पत्रकार सईद से मिलने गया होता, तो अब तक वो देश का सबसे बड़ा आतंकवादी घोषित हो चुका होता..मुंबई से लेकर दिल्ली तक के बम धमाकों में उसके और उसके परिवार खिलाफ सबूत निकल आते, और वो और उसका परिवार हाई सिक्योरिटी जेल में बंद होता..अब वैदिक जी तो दोनों देशों के बीच आपसी रिश्ते मज़बूत करने गए थे, इस लिए उनके इस नेक काम को सराहा जा रहा हैं…
Vivek Kumar : वैदिक ने बताया कि सईद ने उनसे पूछा कि नरेंद्र मोदी की बीवी के क्या हाल हैं? इस पर वैदिक ने कहा कि मोदी ब्रहमचारी हैं और जब उन्होंने संघ में आने का फैसला किया तो वह पत्नी से अलग हो गए… इसके बाद सईद वैदिक से ब्रहमचर्य, गृहस्थ और संन्यास आश्रम आदि के बारे में पूछने लगा… खैर, वैदिक जी जो कहें… सईद ने मोदी की दुखती रग पर हाथ रखकर जता दिया कि उसका इरादा काबू में आने का कतई नहीं है….
पंकज कुमार झा : अरे .. ये क्या हुआ? वैदिक साहब खुदा हाफ़िज़ कर रहे हैं सईद को. पहचाने कि नहीं. दुनिया का मोस्ट वांटेड आतंककारी हाफ़िज़ सइद से मिलकर आये हैं वेद प्रताप वैदिक जी. क्या कहते हैं आप?
Shahnawaz Malik : मैंने तो सिर्फ हाफिज़ सईद को ट्विटर पर सलाम भेजा था और ट्रेटर बन गया था। काश मैं भी वैदिक होता।
Arvind K Singh : हाफिज सईद से वेद प्रताप वैदिक की मुलाकात को लेकर मीडिया में काफी गरमी है..मोदीजी के बारे में वैदिक जी ने कुख्यात आतंकवादी को शिक्षित किया…पत्रकार का यह नया रूप रंग है..अच्छा लगा…मैं समझता हूं कि उन्होंने हाफिज सईद को यह भी कहा होगा कि उनको हथियार डाल देना चाहिए…लेकिन यह साफ नही या यूंहुआ कि वैदिक जी को भारत सरकार ने (गुपचुप भेजा था या यूं ही ) भेजा था या वे खुद गए थे.
Frank Huzur : Saffron waistcoat is just not incidental choice!! How smoothly it is choreographed? No second guess what forces could organise such meetings!!
Prabhat Shunglu : क्या समझाया वैदिक जी। भारत लाते तो समझते कि आपका समझाना काम आया। अभी तो लगता है उसी ने आपको समझा-बुझा कर वापस भेज दिया।
शशांक शेखर : हीहीहीहीहीही… ये लाल वाला तो सलवार बाबा के साथ भी दिखता है…
Awadhesh Kumar : वैदिक की हाफिज से बात… पत्रकार वेद प्रताप वैदिक की हाफिज सईद से बातचीत को इस तरह पेश किया जा रहा है जैसे कुछ अजूबा हो गया है। वैदिक जी भी इस समय मुग्ध है। लंबे समय के बाद उनकी इस समय देशव्यापी चर्चा हो रही है। पहले भी वे पाकिस्तान गए, आए, कई बड़े-बड़े नेताओं से बातचीत की…उनको प्रचारित करने की कोशिशें भी हुईं, लेकिन हमारी पत्रकार बिरादरी ने उनको महत्व नहीं दिया। पहले मैं यह स्पष्ट कर दूं कि वैदिक जी ने कोई अजूबा काम नहीं किया है। हाफिज सईद पाकिस्तान में एक आम प्रसिद्ध व्यक्ति की तरह है। जैसी छवि हमारे देश में है पाकिस्तान में उसके विपरीत हाफिज की और उसके संगठन की है। वह वहां आम जनता एवं सेना के बीच काफी लोकप्रिय है। पिछली पाकिस्तान सरकार ने दिल से चाहा था कि भारत से संबंध सुधारने के लिए उसे कानून के शिकंजे में लाया जाए। उस पर मुकदमा हुआ, वह दो बार नजरबंद हुआ, जेल में भी डाला गया….लेकिन न्यायालय ने उसे हर बार मुक्त कर दिया। नवाज शरीफ तो वैसे भी आतंकवादियों एवं कट्टरपंथियों के विरुद्ध कार्रवाई से बचते हैं। वैदिक पहले पत्रकार नहीं हैं …..जिन्होंने हाफिज से भेंट की। उनकी भेंट साक्षात्कार की तरह दिखती भी नहीं। पाकिस्तान यात्रा पर जाने वाले कई पत्रकारों ने हाफिज से मुलाकात की, लेकिन वह वहां के लिए इतनी सामान्य घटना होती है कि उसे महत्व देने की कोशिश नहीं हुई। वैदिक जी विदेश नीति परिषद नाम की एक संस्था चलाते हैं और पाकिस्तान जाते ही रहते हैं। उस संस्था को लेकर वहां पता नहीं क्या धारणा है लेकिन उन्हें वहां महत्व मिलता है यह सच है। किंतु यह हर दृष्टि से एक सामान्य बात है और इसे उसी तरह लेना चाहिए। वैसे भी कोई पत्रकार किसी से मिलता है तो उसमें समस्या क्या है? कांग्रेस के एक नेता हैं, राशिद अल्वी, पता नहीं पार्टी में उनकी क्या भूमिका है, पर मीडिया में भूमिका जरुर दिखती है। सामने माईक आने पर वे हर विषय पर अपनी प्रतिक्रिया देते हैं। वे कह रहे हैं कि उन्होंने क्यों मुलाकात की, क्या बात हुई, कैसे हुई…सब स्पष्ट करना चाहिए। क्यों करना चाहिए भाई? आपके हुक्म से गए थे क्या? वो चाहें तो बताएं और चाहें तो न बताएं। वैसे मेरा निश्चित मत है कि हाफिज सईद से ऐसी बातचीत ही नहीं हुई होगी जिसमें बताने लायक बहुत कुछ होगा।
Asrar Khan : वेद प्रताप वैदिक जी के अच्छे दिन आ गए …..लम्बे अर्से से पर्दे पर आने की कोशिश कर रहे थे लेकिन अपनी तमाम क़ाबलियत के बावजूद धक्का मारकर आगे निकलने की कला में निपुण न होने की वजह से वे अपने ही शागिर्दों से बहुत पीछे रह गए थे ……खैर अगर उनकी पाकिस्तान यात्रा को खुद नरेन्द्र मोदी का आशीर्वाद प्राप्त है तो फिर भारत के एक वरिष्ठ पत्रकार को भारत की विदेश नीति को नया आयाम देने से कोई नहीं नहीं रोक सकता …..लेकिन यह बात समझ के बाहर है कि वैदिक जी मोदी को एक ब्रह्मचारी के रूप में पेश करके उनको किस आरोप से मुक्त कराना चाहते हैं ?
Shribhagwan Dixit : वैदिक जी का कोई दींन ईमान तो है नही कभी सोनिया जी की तारीफ़ करते नही थकते थे लेकिन उन्हें सत्ता से जुड़े रहने की कला आती है कभी अन्ना हजारे कभी रामदेव । इनका वही काम है गंगा गए गंगादास यमुना गए यमुनादास…
फेसबुक से.
सिकंदर हयात
July 14, 2014 at 3:43 am
बहुत से मुस्लिम लेखक और पत्रकार ब्लॉगर ये बेकार की बाते करते हे वैदिक साहब जो भी हो भारत पाक मित्रता में बरसो से लगे हुए हे आप भी बरसो से लगे हुए होते आप भी फिर फिर वैदिक साहब की तरह मिलते तो ठीक था आप लगिए तो सही पाकिस्तान को समझाइये तो सही अपना फ़र्ज़ निभाइए तो सही
Vikash C Naithani
July 14, 2014 at 7:55 am
I agree with the headlines of this article.
Deepak Tiwari
July 14, 2014 at 12:32 pm
मैं इन फेसबुक चिरकुट तथाकथित पत्रकारों की जलन को समझ सकता हूँ सुतिये कभी नहीं समझेंगे 😆 😆 😆
सिकंदर हयात
July 14, 2014 at 5:34 pm
हो सकता हे की वैदिक जी बड़बोले ही हो मगर इस कांड में ऐसा आभास हो रहा हे की उनसे जलने वाले भी बहुत हे और वो अपना कोई हिसाब किताब बराबर कर रहे हे ? क्या हो गया जो एक पत्रकार की हैसियत से हाफिज सईद से मिल भी लिए तो ?