Awadhesh Kumar : आचार्य गिरिराज किशोर का जाना… विश्व हिन्दू परिषद के वरिष्ठतम नेताओं में शुमार आचार्य गिरिराज किशोर के निधन पर भारत में अपने नजरिए से प्रतिक्रियाएं व्यक्त की जाएगी। ये वहीं गिरिराज किशोर हैं जिन्हें राबड़ी देवी के मुख्यमंत्रीत्व काल में लालू प्रसाद यादव ने पटना हवाई अड्डे से बाहर नहीं निकलने दिया और उन्हें वापस लौटना पड़ा। उस समय का प्रदेश भाजपा नेतृत्व इसके खिलाफ कुछ बोला ही नहीं। हालांकि प्रदेश भर में संघ परिवार के अन्य संगठनों ने उसका विरोध किया।
सामान्यतः देश के बुद्धिजीवियों एवं अनेक दलों के नेता विश्वहिन्दू परिषद को लेकर अत्यंत ही जुगुप्सापूर्ण धारणा रखते हैं। इसलिए उनकी प्रतिक्रियाओं में कभी संतुलन नहीं रहता। कुछ लोग सब कुछ जानते हुए इसलिए सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं व्यक्त करते या कुछ प्रतिक्रिया व्यक्त ही नहीं करते, क्योंकि उनको लगता है कि कहीं उन पर इन संगठनों से संबंध रखने या गैर सेक्यूलर होने का ठप्पा न लग जाए। मेरे सामने ऐसी कोई समस्या नहीं। इसलिए मैं आचार्य जी को श्रद्धांजलि दे रहा हूं।
आचार्य गिरिराज किशोर छात्र जीवन से छात्र आंदेालन में सक्रिय रहे। विद्यार्थी परिषद के शीर्ष नेताओं में रहे, जनसंघ के नेता भी रहे। अनेक आंदोलनों में भाग लिया, जेल गए। पुलिस की लाठियां खाईं। बाद में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने उन्हें विहिप में लगा दिया। वे विहिप के कई नेताआंेे से अलग शांतिपूर्ण ढंग से अपनी बात रखते थे। कभी अति उग्रता उनकी भाषा में नहीं रहीं। यह उनके अनेक संगठनों, संघर्षों के कार्य अनुभव का परिणाम था। हालांकि वे चल नहीं सकते थे। पिछले लंबे समय से उन्हें ह्वील चेयर के सहारे चलना पड़ता था, पर उनकी सक्रियता कायम रही।
अटलबिहारी वाजपेयी की सरकार के दौरान आचार्य गिरिराज किशोर ने उसके विरुद्ध इस आधार पर स्टैण्ड लिया कि यह अपने एजेंडे से विलग हो गई है। राम जन्म भूमि निर्माण की मांग को लेकर वे अपने नेताओं-कार्यकर्ताओं के साथ सड़कों पर उतरे। तबसे भाजपा के कई वरिष्ठ नेताओं से उनके संबंध खराब हो गए थे। वे अत्यंत ही मिलनसार नेता थे। कोई भी कभी उनसे मिल सकता था। किसी प्रकार की बात कर सकता था। पहली बार एक कार्यक्रम में मेरे एक मित्र ने उनसे परिचय कराया तो उन्होंने कहा, अवधेश जी, आपके पास तो मिलने जुलने का समय नहीं मिलता होगा। जो लोग स्वतंत्र पत्रकारिता करते हैं उनको इतना ज्यादा लिखना पढ़ना पड़ता है कि वे ज्यादा मिल नहीं पाते। यह एक सरल टिप्पणी थी जो अनुभव से निकली थी।
उनके विचार से किसी की असहमति हो सकती थी, पर उनकी ईमानदारी, सादगी, जीवन का अनुशासन……और अपने विचार तथा संगठन के प्रति समर्पण …सार्वजनिक जीवन में प्रेरणादायक है। धीरे-धीरे, भाजपा सहित संघ परिवार के संगठनों से पुरानी पीढ़ी के नेताओं का अंत हो रहा है। संघ में तो अब कोई नहीं रहा। विहिप में अशोक सिंहल, गिरिराज किशोर, वीरेश्वर द्विवेदी ….में से आचार्य चले गए। मेरी उनको विनम्र श्रद्धांजलि।
पत्रकार अवधेश कुमार के फेसबुक वॉल से.