यशवंत सिंह-
मेरा मित्र Vidyut चला गया। हिंदुस्तान अख़बार दिल्ली में चीफ़ सब एडिटर थे। महीने भर तक जूझे। कोरोना वैक्सीन की पहली डोज़ लेने के बाद तबियत बिगड़ी और बिगड़ती चली गई। परिजन बेहतर इलाज के लिए दिल्ली से पटना ले गए। पर आज दुनिया हि छोड़ गए विद्युत भाई।
मेरी पीढ़ी के चंद विनम्र, पढ़ाकू और लोकतांत्रिक मूल्यों में भरोसा करने वाले पत्रकारों में से एक थे। कभी किसी का बुरा न चाहने वाला। हमेशा हँसते मुस्काते ही बात करते। बीएचयू से अपनी दोस्ती थी। शुरुआती हिंदी ब्लॉगरों में से एक थे। दानापानी नाम से उनका ब्लॉग है।
बहुत लो प्रोफाइल जीने वाले सरल सहज इंसान विद्युत को घुमक्कड़ी और ट्रैवलॉग राईटिंग का खूब शौक़ था।
कच्ची गृहस्थी है अभी।
लग रहा था कि कोरोना से मौतें थम गईं हैं पर विद्युत के निधन की खबर ने इस भयावह दौर की अपलक निरंतरता का एहसास करा के फिर से डरा दिया।
श्र्द्धांजलि दोस्त!
देवेश कुमार शर्मा-
अविश्वसनीय, अकल्पनीय, वरिष्ठ पत्रकार विद्युत मौर्य नहीं रहे.. लाइव हिन्दुस्तान की नेशनल सेंट्रल डेस्क और पेज वन टीम की रीढ़ की हड्डी आज टूट गई।
विद्युत मौर्य जी ने केवल एक पत्रकार, बल्कि एक कुशल वक्ता, दार्शनिक और एक बेहतरीन ट्रैवल ब्लॉगर और रिव्यूअर रहे हैं। शोध परक खबरों और नई चीजों को जानने में उनकी गहरी रुचि रहती थी।
उनका जाना मेरे लिए निजी क्षति भी है।
लाइव हिन्दुस्तान की सेंट्रल डेस्क पर मेरे कार्यकाल के दौरान मुझे अक्सर उनका मार्गदर्शन और सहयोग प्राप्त होता था। वे अक्सर शहरीकरण के अपेक्षा ग्राम विकास मॉडल के पक्षधर रहे हैं।
नई और पुरानी किताबें पढ़ने का तो उन्हें गजब का शौक था। विद्युत जी का यों चला जाना बेहद दुखद है। वे बहुत याद आएंगे।
Comments on “‘हिंदुस्तान’ के पत्रकार, ट्रेवलर और ब्लॉगर विद्युत मौर्य का निधन, कोरोना टीका लेने के बाद हुए थे बीमार!”
मैं सुन्न हो, निशब्द हूं, विद्युत सर, आप कोरोना को क्यों मात नहीं दे सके…
कभी नहीं सोचा था कि आपसे फिर कभी मुलाकात नहीं होगी। अभी दिसंबर में ही तो आपसे हिन्दुस्तान छोड़ते हुए मुलाकात हुई थी। लेकिन यह नहीं पता था कि वो आखिरी मुलाकात होगी।
विद्युत जी, वो व्यक्ति थे, जिनसे हिन्दुस्तान में मेरे सबसे अधिक वैचारिक मतभेद रहे। लेकिन कभी मनभेद नहीं रहे। ऐसा इंसान जिसके साथ गर्मागर्म बहस होती थी लेकिन शाम को खाता हम साथ ही खाते थे। एक दिलचस्प और बेहतरीन इंसान..
आपकी एक बात हमेशा याद रहती थी, जो आप मुझसे और मैं आपसे कहता था, कि हमारे बीच कभी मनभेद नहीं होगा। और ऐसा ही था सर। आप उन दोस्तों में से थे, जिसके साथ हिन्दुस्तान में मेरी सबसे अधिक बातचीत होती थी। आप मेरे प्रशंसक भी थे और आलोचक भी। अभी तो आपसे बहुत लडऩा था सर, दिलचस्प बातें करनी थी। इस तरह क्यों चले गए। मैं आपको हमेशा याद करूंगा।
मैं नम आंखों से आपको विदाई देता हूं सर, जहां रहे खुश रहे,
ਮਿੱਤਰ Vidyut Prakash Maurya ਦੇ ਸਦੀਵੀ ਵਿਛੋੜਾ ਦੇ ਜਾਣ ਬਾਰੇ ਜਾਣ ਕੇ ਬਹੁਤ ਦੁੱਖ ਹੋਇਆ ।
ਪ੍ਰਮਾਤਮਾ ਵਿਛੜੀ ਰੂਹ ਨੂੰ ਆਪਣੇ ਚਰਨਾਂ ਵਿਚ ਨਿਵਾਸ ਬਖਸ਼ਣ ਅਤੇ ਪਰਿਵਾਰ ਨੂੰ ਭਾਣਾ ਮੰਨਣ ਦਾ ਬੱਲ ਪ੍ਰਦਾਨ ਕਰਨ ।