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मजीठिया वेज बोर्ड केस : ये क्या कह दिया पत्रिका के वकील ने?

14 मार्च को सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान राजस्थान पत्रिका प्राइवेट लिमिटेड के वकील ने माननीय जज से कहा कि पत्रिका के 1700 कर्मचारी हैं जिनमें से 1400 कर्मचारियों को अलग कर दो, क्योंकि उन्होंने 20 (जे) के तहत अपनी अंडरटेकिंग दे दी है। इससे स्पष्ट होता है कि पत्रिका के मालिकों की मंशा मजीठिया देने की कतई नहीं है। इसका सीधा मतलब है कि पत्रिका के मालिक उन कर्मचारियों को मजीठिया के नाम पर ठेंगा दिखाना चाहते हैं, जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट में केस दायर नहीं किया।

<p>14 मार्च को सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान राजस्थान पत्रिका प्राइवेट लिमिटेड के वकील ने माननीय जज से कहा कि पत्रिका के 1700 कर्मचारी हैं जिनमें से 1400 कर्मचारियों को अलग कर दो, क्योंकि उन्होंने 20 (जे) के तहत अपनी अंडरटेकिंग दे दी है। इससे स्पष्ट होता है कि पत्रिका के मालिकों की मंशा मजीठिया देने की कतई नहीं है। इसका सीधा मतलब है कि पत्रिका के मालिक उन कर्मचारियों को मजीठिया के नाम पर ठेंगा दिखाना चाहते हैं, जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट में केस दायर नहीं किया।</p>

14 मार्च को सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान राजस्थान पत्रिका प्राइवेट लिमिटेड के वकील ने माननीय जज से कहा कि पत्रिका के 1700 कर्मचारी हैं जिनमें से 1400 कर्मचारियों को अलग कर दो, क्योंकि उन्होंने 20 (जे) के तहत अपनी अंडरटेकिंग दे दी है। इससे स्पष्ट होता है कि पत्रिका के मालिकों की मंशा मजीठिया देने की कतई नहीं है। इसका सीधा मतलब है कि पत्रिका के मालिक उन कर्मचारियों को मजीठिया के नाम पर ठेंगा दिखाना चाहते हैं, जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट में केस दायर नहीं किया।

सिक्के का दूसरा पहलू यह भी स्पष्ट होता है कि जिन कर्मचारियों ने मजीठिया की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दायर की उन्हें तो हर हाल में देना ही होगा। यह एक तरह से स्वीकारोक्ति ही है। वकील के अनुसार, ये 1400 कर्मचारी वे हैं, जो बैठकर देख रहे थे कि केस करने वाले कर्मचारी किस तरह से प्रताड़ित हो रहे हैं। साथ ही यह भी मुगालता पाल रहे थे कि प्रताड़ना ये झेल रहे हैं और फायदा हमको भी होगा। वकील की इस दलील के बाद अब तक तमाशा देखने वाले इन 1400 कर्मचारियों को समझ जाना चाहिए कि अब उनका क्या हश्र क्या होगा?

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मजीठिया केस : फर्जी कंपनी के कर्मचारी भी हकदार

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मजीठिया वेज बोर्ड को लेकर 07 फरवरी 2014 को जब देश के सर्वोच्च न्यायालय ने अखबार मालिकों की दलीलें खारिज करते हुए कर्मचारियों के पक्ष में फैसला सुनाया तो इन अखबार मालिकों ने आनन-फानन में मजीठिया देने से बचने के लिए फर्जी कंपनियां बना डाली। अखबार मालिक और उनको ज्ञान देने वाले चाटूकारों ने इन कर्मचारियों को उन फर्जी कंपनियों में दर्शा दिया। लेकिन, कर्मचारी चाहें तो उन्हें भी मजीठिया के पूरा लाभ मिलेगा। क्योंकि, मजीठिया गजट नोटिफिकेशन के पेज नंबर 43 पर इसका स्पष्ट उल्लेख है। इसमें कहा गया है कि ठेका कर्मचारी भी मजीठिया के हकदार है। ऐसे में फर्जी कंपनियों में किए गए कर्मचारियों को निराश होने की आवश्यकता नहीं है। इन कर्मचारियों को एक यूनियन के रूप में संगठित होकर इन अखबार मालिकों के खिलाफ श्रम विभाग में केस दायर करना चाहिए। साथ ही इन फर्जी कंपनियों के खिलाफ श्रम विभाग में ही आरटीआई लगाकर कंपनियों की असलियत जान सकते हैं। यह कानूनी लड़ाई में अहम साबित होगी।

आरटीआई में निम्न सवाल पूछे जा सकते हैं:

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1. कंपनी का मूल कार्य क्या है?
2. कंपनी प्रदेश में कब से पंजीकृत है?
3. क्या कंपनी को श्रम विभाग द्वारा अनुज्ञप्ति (लाइसेंस) प्राप्त है?

इसके अलावा आप जो भी जानकारी हासिल करना चाहें आरटीआई के माध्यम से हासिल कर सकते हैं।

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एक पत्रकार द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित.

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