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सुख-दुख

अमर उजाला, गोरखपुर के उप संपादक योगेश्वर सिंह का निधन

गाोरखपुर। अमर उजाला के उप संपादक योगेश्वर सिंह का निधन गुरुवार की रात इलाज के दौरान सहारा अस्पताल में हो गया। १६ सितंबर की रात मार्ग दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हो गए थे। शुक्रवार को उनका पार्थिव शरीर न्यू महेवा कॉलोनी ट्रांसपोर्ट नगर स्थित उनके आवास पर लाया जाएगा। उनके निधन की खबर सुनते ही मीडिया जगत और उनके शुभचिंतक स्तब्ध रह गए।

<p>गाोरखपुर। अमर उजाला के उप संपादक योगेश्वर सिंह का निधन गुरुवार की रात इलाज के दौरान सहारा अस्पताल में हो गया। १६ सितंबर की रात मार्ग दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हो गए थे। शुक्रवार को उनका पार्थिव शरीर न्यू महेवा कॉलोनी ट्रांसपोर्ट नगर स्थित उनके आवास पर लाया जाएगा। उनके निधन की खबर सुनते ही मीडिया जगत और उनके शुभचिंतक स्तब्ध रह गए।</p>

गाोरखपुर। अमर उजाला के उप संपादक योगेश्वर सिंह का निधन गुरुवार की रात इलाज के दौरान सहारा अस्पताल में हो गया। १६ सितंबर की रात मार्ग दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हो गए थे। शुक्रवार को उनका पार्थिव शरीर न्यू महेवा कॉलोनी ट्रांसपोर्ट नगर स्थित उनके आवास पर लाया जाएगा। उनके निधन की खबर सुनते ही मीडिया जगत और उनके शुभचिंतक स्तब्ध रह गए।

इतनी कम उम्र में यूं चले जाने को सभी ने पत्रकारिता जगत के लिए क्षति माना। न्यू महेवा कॉलोनी निवासी उप संपादक योगेश्वर सिंह १६ सितंबर की रात ड्यूटी के बाद ‘अमर उजाला’ ऑफिस से घर के लिए निकले थे। रात १२ बजे के करीब माउंट लिट्रा जी स्कूल के पास उन्हें एक वाहन ठोकर मारकर भाग निकला। हादसे में योगेश्वर गंभीर रूप से घायल हो गए थे।

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१७ सितंबर को गंभीर हाल में लखनऊ के सहारा हॉस्पिटल में उन्हें भर्ती कराया गया था। आपरेशन के बाद से उनकी हालत में सुधार हुआ था, लेकिन गुरुवार की सुबह स्थिति अचानक बिगड़ गई। रात आठ बजे के करीब सहारा हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। खबर सुनने के बाद से मीडिया जगत में मायूसी छा गई। बहुत ही कम समय में अपनी लेखनी से पत्रकारिता जगत में अमिट छाप छोडऩे वाले योगेश्वर अपने हंसमुख स्वभाव के चलते सबके प्रिय थे।

खेल पत्रकार के रूप में उन्होंने अपना अलग मुकाम हासिल किया था। दो भाइयों में योगेश्वर छोटे थे। वो अपने पीछे पत्नी, माता, पिता और भैया-भाभी छोड़ गए हैं। उनके निधन की सूचना के बाद अमर उजाला दफ्तर पर उनके साथियों ने दो मिनट का मौन रखकर उनकी आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना की।

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