लखनऊ 29 अगस्त 2014। जर्नलिस्ट्स यूनियन फॉर सिविल सोसाइटी(जेयूसीएस) द्वारा जारी विज्ञप्ति में डॉक्यूमेंट्री फिल्मकार शाहनवाज आलम, राजीव यादव व लक्ष्मण प्रसाद ने कहा कि पिछले दिनों भाजपा सांसद योगी आदित्यनाथ के विवादित वीडियो जिसमें वे मुस्लिम लड़कियों को जबरन हिंदू बनाने की बात कर रहे हैं के बारे में मीडिया माध्यम के जरिए उन्हें मालूम चला। उक्त वीडियो के बारे में फिल्मकारों का कहना है दलितों के हिंदूकरण, महिला हिंसा, सांप्रदायिकता और आतंकवाद की राजनीति पर केन्द्रित डॉक्यूमेंट्री फिल्म ‘SAFFRON WAR’ का हिस्सा है। जिसे 2011 से ही कई फिल्म महोत्सवों व अकादमिक गोष्ठियों में दिखाया जाता रहा है।
इन दिनों जिस वीडियो को मीडिया में दिखाया जा रहा है वह 10 अप्रैल 2008 को आजमगढ़ लोकसभा क्षेत्र के उपचुनाव के प्रचार के दौरान भाजपा प्रत्याशी रमाकांत यादव के समर्थन में सिविल लाइन शहर आजमगढ़ में भाजपा सांसद योगी आदित्यनाथ द्वारा दिया गया भाषण है। अब जिस तरह से योगी आदित्यनाथ ने इसे अपना वीडिया बताया है तो सवाल उठता है कि आचार संहिता के दौरान दिए गए इस भाषण पर क्यों नहीं कोई कार्यवाई की गई। हमारे लिए उस वक्त यह आश्चर्यजनक था कि जिला चुनाव अधिकारी आजमगढ़ द्वारा व भारत चुनाव आयोग द्वारा इनके विरुद्ध कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई।
2009 में हो रहे लोकसभा चुनावों में इनकी कार्यपद्धति को देखते हुए और 2008 में योगी आदित्यनाथ द्वारा दिए गए आपत्तिजनक भाषणों पर जिला निर्वाचन अधिकारी आजमगढ़ द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई। तब एक जिम्मेदार नागरिक के बतौर इस पर कार्रवाई की मांग करते हुए 20 मार्च 2009 को मुख्य चुनाव आयुक्त, भारत निर्वाचन आयोग व 23 मार्च 2009 को मुख्य निर्वाचन अधिकारी उत्तर प्रदेश को भाषण की मूल रिकार्डिंग की सीडी समेत प्रार्थना पत्र प्रेषित किया गया। जिसमें मांग की गई थी कि योगी आदित्यनाथ व रमाकांत यादव के विरुद्ध धारा 125 रिप्रेजेन्टेशन ऑफ पीपल्स एक्ट, 1951 एवं अन्य विधिक प्राविधानों के अन्तर्गत एफआईआर दर्ज कराई जाए एवं मामले को दबाने वाले दोषी अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई की जाए। साथ ही 2009 लोकसभा चुनाव के दौरान योगी आदित्यनाथ व इनके अन्य सहवक्ताओं के भाषणों की रिकॉर्डिंग कराई जाए।
प्रार्थियों द्वारा इस मामले को इलाहाबाद हाई कोर्ट के समक्ष भी रखा गया। लेकिन आश्चर्य की बात है कि योगी आदित्यनाथ जिस वीडियो को अपना मान रहे हैं उस पर तत्कालीन अपर पुलिस अधीक्षक (ग्रामीण) आजमगढ ने 16 अप्रैल 2009 को इस पूरे मामले पर जांच के बाद अपना पक्ष रखते हुए ऐसे किसी आपत्तिजनक भाषण के दिए जाने से ही इंकार कर दिया था। भाषण के सांप्रदायिक सौहार्द को बिगाड़ने एवं आपराधिक श्रेणी में न आने व आवेदकों द्वारा बढ़ा-चढ़ाकर मनगढ़ंत साक्ष्य तैयार किए जाने की बात कहते हुए आवेदन पत्र को झूठा व निराधार बताया गया। जिससे साबित होता है कि तत्कालीन आजमगढ़ जिला प्रशासन सांप्रदायिक भाषण देने वाले योगी आदित्यनाथ जैसे जनप्रतिनिधियों के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाए उन्हें बचाने में लिप्त था।
मीडिया में आई खबरों में योगी आदित्यनाथ धर्मांतरण की बात कह कर बचने की कोशिश कर रहे हैं। जबकि उनके द्वारा दिए गए भाषण में साफ देखा जा सकता हैं कि वे जनता को उत्तेजित करते हुए कह रहे हैं कि एक के बदले सौ मुस्लिम लड़कियों को हिंदू बना देंगे। जो कि आपराधिक व सांप्रदायिक षडयंत्र है। ऐसे में हम मांग करते हैं कि योगी आदित्यनाथ की संसद सदस्यता खारिज करते हुए उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाए तथा उनको बचाने वाले प्रशासनिक अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए। उन्होंने यह भी कहा कि देर से ही सही अगर प्रदेश सरकार अगर इस मसले पर जाग गई है तो वे उसे योगी आदित्यनाथ के सांप्रदायिक भाषणों से जुड़े इस वीडियो समेत अन्य वीडियो भी मुहैया कराएंगे।
वहीं कुछ समाचार पत्रों में छपे योगी आदित्यनाथ के आरोप कि इस वीडियो के पीछे असामाजिक तत्व और विदेशी शक्तियों का हाथ है को योगी द्वारा अपने इस आपराधिक कृत्य पर से ध्यान हटाने की कोशिश करार देते हुए फिल्मकारों ने कहा कि योगी आदित्यनाथ जिस हिन्दुत्वादी राजनीति का हिस्सा हैं उसके कई गिरफ्तार नेता स्वयं आतंकवाद निरोधी दस्ते और सुरक्षा एजेंसियों के सामने स्वीकार कर चुके हैं कि उनका मकसद भारत को सैन्य विद्रोह द्वारा हिंदू राष्ट्र बनाना है, जिसमें उन्हें इजराइल और नेपाल जैसे बाहरी देशों से सैन्य व आर्थिक मदद मिलने की बात कही गई है, जिसमें राष्ट्र विरोधी षडयंत्र के आरोपियों ने योगी आदित्यनाथ का नाम लिया है।
द्वारा जारी
राघवेंद्र प्रताप सिंह
प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य,
जर्नलिस्ट यूनियन फाॅर सिविल सोसाइटी,
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