जिया न्यूज की मुश्किलें कम होती नहीं दिख रही हैं। ताजा मामले में एक बार फिर से चैनल के 18 पूर्व कर्मचारी, जो कि बिना कारण बर्खास्त कर दिए गए थे, ने अपना बकाया लेने के लिए लेबर कमिश्नर का दरवाजा खटखटाया है। आमतौर पर ऐसा होता नहीं है, लेकिन जिया न्यूज में जो हो जाए कम है क्योंकि इस चैनल के तो एचआर/एडमिन हेड को अपने अधिकार के लिए लेबर कोर्ट जाना पड़ा है।
जिन पूर्व कर्मचारियों ने इस ताजा मामले में कोर्ट की शरण ली है, उनकी सूची में सबसे उपर पूर्व एचआर/एडमिन हेड शरद नारायण का नाम है। नारायण अपने अन्य 17 सहकर्मियों के साथ हाल ही में लेबर कमिश्नर के पास पहुंचे और अपनी समस्या से उन्हे अवगत कराया। शिकायत पत्र में कहा गया है कि उल्लेखित सभी 18 कर्मचारियों को जिया न्यूज प्रबंधन ने जबरन बिना किसी कारण के नौकरी से बर्खास्त कर दिया। कर्मचारियों ने कहा कि न केवल उन्हें नौकरी से हटाया गया बल्कि उनका बकाया भी नहीं दिया जा रहा है। इस वजह से कई परिवार गंभीर संकट में आ गए हैं।
जानकारी के अनुसार जिया न्यूज का नाम सामने आते ही मामले को समझने में लेबर कमिश्नर को जरा भी देरी नहीं लगी और उन्होने संयुक्त शिकायत पत्र के आधार पर जिया न्यूज को नोटिस भेज कर उन्हें अपने सामने पेश होने का आदेश दिया है। पिछली 19 मई को भी जिया न्यूज के 30 कर्मचारी मुआवजे की मांग को लेकर लेबर कमिश्नर के पास पहुंचे थे, जहां उन्हें न्याय मिला था और जिया न्यूज प्रबंधन को अपने पूर्व कर्मचारियों के समक्ष घुटने टेकने पड़े थे। लेबर कमिश्नर रीता भदोरिया की फटकार और भड़ास4मीडिया की खबर का असर इस कदर हुआ कि, जिया न्यूज ने उन कर्मचारियों भी बुलाकर मुआवजा दिया, जिन्होंने लेबर कमिश्नर के समक्ष शिकायत भी नहीं की थी।
पिछली बार सुनवाई के दौरान जिया न्यूज प्रबंधन को लेबर कमिश्नर रीता भदोरिया ने कंपनी अधिनियम के बारे में बताते हुए जमकर लताड़ लगाई थी। उस समय जिया न्यूज के एचआर प्रमुख मौजूदा मुख्य शिकायतकर्ता हुआ करते थे। लेकिन उस समय वह सस्पेंड चल रहे थे। उनके ऊपर अपने महिला सहकर्मी से छेड़छाड़ किए जाने का आरोप था, जिसके चलते शरद नारायण लेबर कमिश्नर के समक्ष नहीं गए थे। जिया न्यूज प्रबंधन ने अपनी तरफ से एचआर एक्जीक्यूटिव पूनम को भेजा था और कमिश्नर ने उन्हें जमकर खरी-खोटी सुनाई थी।
नहीं चलने वाला चैनल: लेबर कोर्ट के उपायुक्त ने कहा
कर्मचारी द्वारा भेजे गए पत्र में दावा किया गया है कि पिछली बार जब 19 मई को 30 कर्मचारी लेबर कमिश्नर के पास अपनी शिकायत को लेकर पहुंचे थे तो वहां पर असिस्टेंड लेबर कमिश्नर प्रभाकर मिश्र ने कहा था कि जो दयनीय स्थिति जिया न्यूज के कर्मचारियों की है उससे ऐसा प्रतीत होता है कि यह चैनल ज्यादा समय नहीं चलेगा।
एक पत्रकार द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित
Comments on “जिया न्यूज की बढ़ी मुश्किलें: पूर्व एचआर हेड सहित 18 कर्मी पहुंचे कोर्ट, प्रबंधन को नोटिस”
अब आया ऊंट पहाड़ के नीचे। ज्वायस और शरद कीजोड़ी ही तो चैनल की बर्बादी की जड़ थी। इसेे तो न्याय नहीं पकड़ कर बंद कर देना चाहिए. पूछिए जब ये लोग निकाले गए थे तो इसी ने कुछ दिन पहले इन लोगों को अपवाइंटमेंट लेटर दिलाया था ताकि उन्हें नियमों के तहत ही बिना कुछ दिए निकाला जा सके। इनका गुरू ज्वायस माल लेकर पहले ही कट लिया लिया है।
महाराज….जिया न्यूज की शुरुवात के साथ मैं भी ज्वाइस और शरद नारायण से मिलने गया था…शरद नारायण जैसे दलालों से मिलने के बाद लगा पत्रकारिता से अच्छा है कि किसी कोठे पर दलाली कर ली जाऐ….बकौल शरद नारायण जो पैसा लिया जाऐगा…वो सीईओ ज्वाएस को मिलेगा…अब बताऐं…कौन पीड़ित है और कौन दलाल…साले सब के सब चोर…अच्छा हुआ दल्लों के साथ…