”आपके पसंदीदा न्यूज चैनल ने खबरों की दुनिया में एक बार फिर अपनी विश्वसनीयता साबित की है.” इस तरह के दावे करने की होड़ सी मची हुई है. लगभग सभी न्यूज़ चैनलों के अपने अपने दावे हैं, लेकिन हकीकत इससे जुदा है। आइये इसकी एक बानगी देखते है। तारीख 25 अप्रैल समय करीब 9 बजकर 50 मिनट।
आसाराम के मामले में फैसले को लेकर जब अलग अलग न्यूज़ चैनल्स पर नज़र पड़ी, तो मुझे बिल्कुल ही हैरत नहीं हुई। लगभग सभी चैनल एक ही खबर को अपने अपने ढंग से परोसने में जुटे हुए थे। खबर को जल्दी परोसने के चक्कर में आज तक और एबीपी न्यूज़ समेत कई खबरिया चैनल्स ने पहले आसाराम समेत पांच आरोपियों को दोषी करार दिए जाने की खबर चलाई।
थोड़ी ही देर बाद एबीपी न्यूज़ ने आसाराम समेत तीन को दोषी करार दिए जाने की खबर चलानी शुरू कर दी। सबसे तेज़ चैनल आजतक समेत कई चैनल पांच आरोपियों को दोषी करार दिए जाने की खबर चलाते रहे।
खबर जल्दी परोसने की मारामारी में न्यूज़ चैनल खुद ही अपना मजाक उड़वा रहे हैं। आने वाले दिनों और बरसों में भी ख़बरों के चैनलों के बीच टीआरपी की दौड़ ख़त्म नहीं होने वाली है. चूंकि टीआरपी का ताल्लुक़ चैनलों को मिलने वाले विज्ञापनों से है इसलिए यह आसान भी नहीं दिखता.
साथ ही टीआरपी जुटाने के चक्कर में टेलीविज़न चैनल वह सब परोसते रहेंगे जिसे न ख़बर कहा जा सकता है और न प्रसारण योग्य माना जा सकता है. आप देश के दो नामी न्यूज़ चैनल्स की स्क्रीन खुद ही देखिये। खुद ही तय करिये कि इस हाल में विश्वस नीयता पर संकट खड़े होंगे या नहीं?
मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा आप विधायकों के मामले में कुछ दिनों पहले आए फैसले में भी आजतक न्यूज चैनल झूठ की हद पार कर चुका था. काफी देर तक गलत खबर चलाता रहा. बाद में उसने करेक्ट किया. कहा जाता है कि झूठ परोस कर चैनल वाले कुछ देर के लिए अपनी टीआरपी बढ़ाने का उपक्रम करते हैं. भले ही इससे चैनल की विश्वसनीयता भविष्य में गिर जाए.
मूल खबर : नाबालिग के यौन शोषण प्रकरण में आसाराम को उम्र कैद
लेखक मनोज कुमार सिंह ईटीवी नेटवर्क में पूर्व सहायक संपादक रह चुके हैं. इसके अलावा वह न्यूज़ नेशन समेत कई चैनलों में काम कर चुके हैं. उनसे संपर्क manojkjournalist@gmail.com के जरिए किया जा सकता है.