पेट्रोलियम मंत्रालय से गोपनीय दस्तावेज लीक किये जाने के मामले में दिल्ली पुलिस ने शांतनु सैकिया और प्रयास जैन को गिरफ्तार किया है। ये दोनों उर्जा क्षेत्र के लिए परामर्शदाता का काम करते हैं और चोरी के दस्तावेज इन्हें मिले थे। पहले पत्रकार रहे सैकिया अब पेट्रोलियम उद्योग पर केंद्रित एक बिजनेस न्यूज वेब पोर्टल चलाते हैं और उनका दफ्तर दक्षिण दिल्ली के डिफेंस कालोनी में है. जैन केंद्रीय दिल्ली के पटेल नगर इलाके में अपनी परामर्श कंपनी चलाते हैं.
पुलिस ने बताया कि अब तक की जांच में वरिष्ठ पत्रकार शांतनु सैकिया की भी भूमिका सामने आ रही है. उसे हिरासत में लेकर पूछताछ की गई फिर गिरफ्तार कर लिया गया। यह पत्रकार वेबसाइट चलाता है. करीब दस साल पूर्व वरिष्ठ पत्रकार तरुण तेजपाल के साथ उसे भी स्टिंग के मामले में गिरफ्तार किया गया था. उसकी पत्नी एक अंग्रेजी अखबार में मुंबई में काम करती थी. 2008 में मुंबई में होटल ताज पर आतंकी हमले के दौरान उसकी मौत हो गई थी.
कारोरेट जासूसी मामले में दिल्ली पुलिस ने धन के बदले उर्जा कंपनियों को सरकारी दस्तावेज लीक करने के मामले में पेट्रोलियम मंत्रालय के दो अधिकारियों और तीन बिचौलियों को पहले ही गिरफ्तार किया था. अपराध शाखा के अधिकारियों ने इससे पहले 58 वर्षीय आशाराम और 56 वर्षीय ईश्वर सिंह को गिरफ्तार किया है जो मंत्रालय में विभिन्न तरह के काम के लिए (मल्टी टास्किंग स्टाफ) रखे गए थे. इनके साथ इनके तीन अन्य साथी भी हिरासत में लिये गए हैं.
गिरफ्तार व्यक्तियों में आशाराम के भाई लालता प्रसाद, उसके पुत्र राकेश कुमार भी शामिल हैं जो शास्त्री भवन में विभिन्न तरह के कामों के तैनात थे. पुलिस पांचों गिरफ्तार आरोपियों को पेट्रोलियम मंत्रालय ले गई. उन्हें वरिष्ठ अधिकारियों के कमरों में ले जाया गया जिनमें वे कथित तौर पर नकली चाबियों के जरिए प्रवेश करते थे.
इस घटना से केंद्र सरकार के गलियारों में कॉरपोरेट जासूसी का पहला मामला उजागर हुआ है. निजी कंपनियों ने सरकारी कर्मचारियों की मिलीभगत से पेट्रोलियम मंत्रालय की सुरक्षा और गोपनीयता में ही सेंध लगा दी. दिल्ली पुलिस ने रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के भी एक कर्मचारी को इस मामले में गिरफ्तार किया है. पुलिस को अंदेशा है कि इन फाइलों को गायब कराने में मंत्रालय के कुछ वरिष्ठ अधिकारी और कुछ निजी पेट्रोलियम कंपनियों की भी मिलीभगत हो सकती है.
शास्त्री भवन से फाइल बाहर लाने-ले जाने के दौरान ये लोग वहां लगे सीसीटीवी कैमरे को बंद कर देते थे. शाम को मंत्रालय से जब अधिकारी व अधिकतर कर्मचारी चले जाते थे तब ये लोग नकली चाभियों से कमरे खोलकर गोपनीय दस्तावेज निकालते और उनकी फोटोकॉपी करवाकर वरिष्ठ पत्रकार, करोलबाग में स्थित मेटिस कंपनी व पेट्रोकेमिकल कंपनी समेत विभिन्न कंसलटेंट कंपनियों को बेच देते थे. पुलिस को शक है कि कई म्यूचुअल फंड कंपनियां भी ये दस्तावेज खरीदती थीं.