Sanjay Kumar Singh-
मोदी जी किस बात की खुशी मना रहे है? जिन अखबारों में यह खबर लीड नहीं है वहां लीड का शीर्षक है,
- आतंकियों से मुठभेड़ में कर्नल व मेजर समेत तीन बलिदान, दो जवान लापता।
- आतंकी हमला, दो सैन्य अफसर शहीद
- जम्मू व कश्मीर हमले में भारतीय सेना के दो अधिकारी, तीन अन्य शहीद
- सेना के कर्नल, मेजर और जेएंडके के डीएसपी पाक समर्थित संघर्ष में मारे गये।
- घाटी में हुई बंदूकों की लड़ाई में राष्ट्रीय राइफल्स के कमांडिंग अफसर, मेजर, डीएसपी मारे गए
द टेलीग्राफ ने अपने शीर्षक के साथ इन खबरों से अलग मणिपुर की खबर को लीड बनाया है जिसका शीर्षक है, मणिपुर में स्नाइपर से एसआई को मार डाला गया। कश्मीर में अधिकारी की ‘हत्या’। द हिन्दू में यह खबर पहले पन्ने पर नहीं है पेज 12 पर होने की सूचना जरूर है। 2019 में प्रधानसेवक का घुस कर मारूंगा, सुना ही होगा। अब देखते रहिये।

अपने ही दफ्तर में अपने ही लोगों से अपने ऊपर फूलों की यह बारिश किस खुशी में करवाई जा रही है। यह सवाल आपके दिमाग में न भी आये तो क्या यह समझना मुश्किल है कि सत्तारूढ़ पार्टी के लिए ना इतने पैसे उड़ा देना बड़ी बात है और ना इतने समर्थक जुटा लेना – फिर भी यह सब हो रहा है, दिखाया जा रहा है तो किसलिये और किसे? आपका पैसा (चंदे का हो या सरकारी) फूंक कर आप ही को दिखाया जा रहा है।
अमर उजाला ने यह तस्वीर पहले पन्ने पर छापी है और उसके नीचे खबर है, ‘इतिहास का अहम अध्याय’ – शाम को भाजपा की केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में पार्टी मुख्यालय पहुंचे मोदी का पुष्प वर्षा से स्वागत हुआ। बैठक में प्रस्ताव पारित किया कि पीएम के नेतृत्व में जी20 की कामयाबी देश के कूटनीतिक इतिहास का अहम अध्याय बन गया है।
हिन्दुस्तान टाइम्स में भी यह फोटो पहले पन्ने पर है। वहां अमर उजाला की ‘खबर’ ही शीर्षक है। कैप्शन है, सफल जी20 सम्मेलन के बाद बुधवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डाके साथ पार्टी मुख्यालय में जब स्वागत किया गया। पार्टी मुख्यालय में प्रधानमंत्री का स्वागत किया गया और उनके साथ जेपी नड्डा संयोग से हैं या प्रयोग है अथवा पार्टी का प्रोटोकोल यह तो मुझे नहीं पता पर वीडियो देख रहे एक मित्र ने कहा कि नड्डा ऐसे लग रहे हैं जैसे कबाब में हड्डी। गैर संस्कारी तुलना के लिए माफी के साथ – पर वीडियो में जो लग रहा था उसका विवरण देने के लिए इससे बेहतर उदाहरण नहीं सूझ रहा है। न जाने क्यों ऐसा लग रहा था, लगना नहीं चाहिए।
आप जानते है कि जी20 की अध्यक्षता बारी-बारी से मिलती है और अलगअलग देशों में उसकी बैठक होती रही है। इस बार भारत की बारी थी और भारत में उसका उपयोग चुनाव जीतने के लिए किया गया।
इसके अलावा जो सब हुआ वह भी। अब वह अपने ऊपर अपने ही पैसे से फूलों की बारिश किसलिये करवाई जा रही है, समझ में आये तो बताइयेगा।