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उत्तर प्रदेश

यूपी के दो आईएएस अफसरों पर कार्मिक मंत्रालय की मेहरबानी

केन्द्रीय सतर्कता आयोग द्वारा सीबीआई जांच के बाद सम्बंधित कार्यालय को भेजे गए अभियोजन स्वीकृति के मामलों में 30 नवम्बर 2014 को 4 माह से अधिक समय तक स्वीकृति नहीं मिलने के जो 22 मामले दर्शाए गए हैं, उनमें 2 उत्तर प्रदेश के हैं. ये दोनों मामले वरिष्ठ आईएएस अफसरों के हैं जो कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग, भारत सरकार के सामने लंबित हैं.

<p>केन्द्रीय सतर्कता आयोग द्वारा सीबीआई जांच के बाद सम्बंधित कार्यालय को भेजे गए अभियोजन स्वीकृति के मामलों में 30 नवम्बर 2014 को 4 माह से अधिक समय तक स्वीकृति नहीं मिलने के जो 22 मामले दर्शाए गए हैं, उनमें 2 उत्तर प्रदेश के हैं. ये दोनों मामले वरिष्ठ आईएएस अफसरों के हैं जो कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग, भारत सरकार के सामने लंबित हैं.</p>

केन्द्रीय सतर्कता आयोग द्वारा सीबीआई जांच के बाद सम्बंधित कार्यालय को भेजे गए अभियोजन स्वीकृति के मामलों में 30 नवम्बर 2014 को 4 माह से अधिक समय तक स्वीकृति नहीं मिलने के जो 22 मामले दर्शाए गए हैं, उनमें 2 उत्तर प्रदेश के हैं. ये दोनों मामले वरिष्ठ आईएएस अफसरों के हैं जो कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग, भारत सरकार के सामने लंबित हैं.

इनमे पहला मामला गृह मंत्रालय में तत्कालीन संयुक्त सचिव सदाकांत शुक्ला के खिलाफ सीबीआई देहरादून द्वारा 09 नवम्बर 2012 को भेजा गया. दूसरा मामला तत्कालीन राजस्व परिषद सदस्य प्रदीप कुमार शुक्ल के खिलाफ सीबीआई लखनऊ द्वारा 18 मार्च 2014 को भेजा गया. सामाजिक कार्यकर्ता डॉ नूतन ठाकुर ने कार्मिक विभाग के सचिव को पत्र भेज कर इन दोनों मामलों में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के क्रम में तत्काल अभियोजन स्वीकृति देने का अनुरोध किया है.

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