जेएनयू राष्ट्रदोह मामले में डीसीपी को समन किया गया। आप जानते हैं कि राष्ट्रद्रोह के इस मामले में कन्हैया अभियुक्त है और चार्जशीट कई साल बाद खुलेआम चुनौती देने पर दाखिल की गई थी। जनवरी में चार्जशीट दाखिल हुई तो पता चला कि इसके लिए राज्य सरकार से आवश्यक अनुमति नहीं ली गई है। इससे पहले इस मामले का प्रचार भर था और अखबारों व टेलीविजन में चर्चा का विषय। डीसीपी को समन अनुमति नहीं लेने के लिए ही किया गया है। उन्हें आज अदालत में उपस्थित रहने के लिए कहा गया है।
हिन्दुस्तान टाइम्स की इस खबर के अनुसार यह चार्जशीट 1200 पन्ने की है और 9 फरवरी 2016 की घटना के लिए इस साल 14 जनवरी को दाखिल की गई। इस मामले में अदालत ने कहा है कि सरकार की मंजूरी लेने के लिए अब तक क्या किया गया है यह बताना संबंधित पुलिस अधिकारी का काम है। इससे पहले इस मामले में लापरवाही बरतने के लिए अदालत दिल्ली पुलिस की खिंचाई कर चुकी है अदालत का कहना है कि मामले की गंभीरता के मद्देनजर पुलिस का यह व्यवहार स्वीकार्य नहीं है। यह खबर आज द हिन्दू में भी है। हि्दी अखबार मैंने अभी नहीं देखे हैं।
अखबार ने एक अनाम अधिकारी के हवाले से लिखा है कि दिल्ली पुलिस को चार्जशीट तैयार करने में तीन साल लगे, अब दिल्ली सरकार से उम्मीद की जा रही है कि उसे दो घंटे में पढ़ लिया जाए। इस अधिकारी ने पहले बताया था कि पुलिस ने अदालत में चार्जशीट दाखिल करने से दो घंटे पहले सरकार को भेजा था। खबर यह भी कहती है, सुनवाई की पिछली तारीख को सहायक लोक अभियोजक विकस ने कहा था कि उन्हें निर्देश है कि मंजूरी के संबंध में दो-तीन महीने अदालत से स्थगन मांगा जाए।
दिल्ली सरकार ने मंजूरी मिलने में देरी के बारे में बताने से मना कर दिया। एक सरकारी प्रवक्ता ने कहा कि मामला अदालत में विचाराधीन है। आप जानते हैं, और अखबार ने भी लिखा है, पुलिस के अनुसार कन्हैया कुमार, उमर खालिद, अनिर्बन भट्टाचार्य और सात अन्य ने कथित रूप से 9 फरवरी के आयोजन के दौरान “राष्ट्र-विरोधी” नारे लगाए थे। अभियुक्तों ने इस आरोप से इनकार किया है और राष्ट्रद्रोह का मामला दाखिल करने के लिए पुलिस की निन्दा की है और कहा है कि पुलिस की कार्रवाई “राजनीति से प्रेरित” है।
वरिष्ठ पत्रकार संजय कुमार सिंह की फेसबुक पोस्ट