गोगुन्दा/बरवाड़ा : आजीविका ब्यूरो एवं श्रमिक सहायता एवं संदर्भ केंद्र बरवाड़ा की ओर से सोमवार को यहां महिला शक्ति सम्मेलन का आयोजन किया गया। सम्मेलन में क्षेत्र के प्रवासी श्रमिक परिवारों की करीब 600 महिलाओं ने भाग लिया।
सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए मुख्य अतिथि पुलिस उपाधिक्षक (डीवाईएसपी- गिर्वा) रानू शर्मा ने महिलाओं को मजबूत बनने, हिम्मत रखने और आगे बढ़ने का आव्हान करते हुए कहा कि ‘‘औरत ही औरत की दुश्मन होती हैं’’, इस जुमले को समाप्त करना होगा। आज बाहरी तौर पर देखने पर महिलाएं एकजुट नजर आ रही हैं लेकिन असल एकता तब नजर आएगी, जब महिलाएं एकता को आत्मसात कर परस्पर सहयोग करेंगी। उन्होंने महिलाओं से कहा कि वे घर, समाज में अत्याचार सहन करने की बजाए अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाएं। मारपीट होने पर इसकी शिकायत पुलिस में करें, अगर थाने में नहीं जा सकती हैं तो कम से कम 100 नम्बर पर फोन करके शिकायत जरूर दर्ज करवाएं। डीवाईएसपी ने इस दौरान विभिन्न प्रतियोगिताओं को देखा व विजेता महिला प्रतिभागियों को पुरस्कार देकर सम्मानित किया।
सम्मेलन में चम्मच रेस, मेहन्दी, रंगोली, कुर्सी सहित कई प्रतियोगिताएं आयोजित की गई। वहीं अतिथियों ने विजेताओं को पुरस्कार देकर सम्मानित किया। बारां जिले के सहरिया आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र के किशनगंज से आई सामाजिक कार्यकर्ता ग्यारसी बाई सहरिया ने बताया कि किशनगंज के जाग्रत महिला संगठन ने संघर्ष कर बड़े-बड़े सामाजिक बदलाव किए हैं। आदिवासी बाहुल्य किशनगंज व शाहबाद क्षेत्र बंधुआ मजदूरी से व्याप्त था। वहां दमित जातियों के लोगों से बंधुआ मजदूरी करवाई जाती थी। उनकी जमीनों को दबंगों ने अपने कब्जे में कर रखा था। संगठन ने मजबूती के साथ इस मुद्दे को राज्य व केंद्र स्तर पर उठाया, जिसकी बदौलत क्षेत्र में कार्य कर रहे 250 से अधिक बंधुआ मजदूरों को प्रशासन ने मुक्त और उनका पुनर्वास करवाया। संगठन महिला हिंसा व वंचित वर्ग के दमन के विरुद्ध लगातार कार्य कर रहा है। अगर महिलाएं संगठित नहीं होती तो यह बदलाव शायद ही हो पाते। सम्मेलन को सामाजिक कार्यकर्ता कल्याणी बाई सहरिया ने भी सम्बोधित किया।
आजीविका ब्यूरो के निदेशक राजीव खण्डेलवाल ने कहा कि जिस प्रकार बारां जिले के आदिवासी क्षेत्रों में जाग्रत महिला संगठन ने महिलाओं को संगठित किया है एवं महिलाओं के हकाधिकारों की पैरवी की है, उसी प्रकार अपने क्षेत्र में महिलाओं को संगठित एवं सशक्त होना होगा। वर्तमान में क्षेत्र की करीब 2500 महिलाएं उजाला समूहों से जुड़ी हुई हैं। गोगुन्दा व केलवाड़ा क्षेत्र से मजदूरी के लिए 20 हजार से भी अधिक परिवारों से प्रवास होता हैं। इन सभी परिवारों की महिलाओं को उजाला समूहों से जोड़ना होगा, तभी यह संगठन अधिक मजबूत हो पाएगा।
केंद्र की गुलाबी परमार ने बताया कि आजीविका ब्यूरो द्वारा प्रवासी श्रमिक परिवारों की महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए सतत कार्य किए जा रहे हैं। इसके तहत गांववार महिलाओं के समूह बनाए गए हैं, जिन्हें गांवों में उजाला समूह के नाम से जाना जाता हैं। इन समूहों की नेत्रियों को उजाला किरण के रूप में पहचान मिली हैं। उन्होंने बताया कि सम्मेलन उजाला समूह से जुड़ी महिलाओं की अगुवानी में ही आयोजित किया गया हैं। उन्होंने बताया कि सम्मेलन में प्रवासी श्रमिक परिवारों की महिलाएं अपनी समस्याओं को साझा करती हैं तथा अपने मुद्दों पर रणनीति बनाती हैं।
सम्मेलन में महिलाओं ने रोजगार, पेंशन व राशन प्राप्त करने में आ रही परेशानियों के बारे में बताया। सम्मेलन में एफईएस संस्थान के कला जत्थे द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए। वहीं सम्मेलन में मुख्य अतिथि के रूप में पुलिस उपाधिक्षक रानू शर्मा तथा विशिष्ट अतिथि के रूप में संकल्प संस्था (बारां) की ग्यारसी बाई सहरिया, सामाजिक कार्यकर्ता कल्याणी बाई सहरिया, बसंती बाई (सरपंच-कुंचोली), जमना देवी (गुन्दाली-सरपंच), हेमा देवी (तिरोल-सरपंच), देऊ बाई (कणूजा-सरपंच), सविता देवी (रावलिया खुर्द-सरपंच) उपस्थित रही।