श्रीमान् संपादक
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मैं अमन कक्कड़ आपके द्वारा पत्रकार आसिफ अंसारी के छापे गए पत्र का जवाब अपने पूरे होशो-हवाश में दे रहा हूँ। बात पिछले साल यानि सन् 2018 की है। आसिफ अंसारी को एक दिन जब पता चला मैं आईजीआरएस के माध्यम से एक शिकायतकर्ता हूँ तो उन्होंने मुझसे सम्पर्क कर अपने मीडिया पोर्टल पर बिल्डरों की गड़बड़ियों के बारे में छापने का प्रस्ताव रखा। मैं उसकी नीयत से भली-भांति वाकिफ था। लेकिन बिल्डरों की मनमानी के खिलाफ अपनी निजी लड़ाई को अंजाम तक ले जाने के लिए चुप रहा। बाद में आसिफ अंसारी जैसा चाहता था, वही हुआ। वह बिल्डरों से मोटी रकम पकड़कर शान्त हो गया। लेकिन मैं अपने केस की पैरवी एलडीए में करता रहा और बिल्डिंग को सील करा दिया।
इस दौरान बिल्डर्स (मैसर्स हाईलैण्ड आर्क, कन्हैया हेमवानी, विजय गुप्ता आदि) ने मुझसे कई बार सम्पर्क किया। 30-40 लाख रुपये का प्रलोभन दिया। उनका कहना था कि मैं पैसे ले लूं और अपने केस की पैरवी छोड़ दूँ। लेकिन मैंने पैसे लेने से मना कर दिया और अपने केस की पैरवी करता रहा। बाद में एक पार्टनर विजय गुप्ता मेरी दुकान पर आकर मुझसे अभद्र व्यवहार करने लगा। उसने अपने पैसे के दम-खम पर मुझे देख लेने की धमकी दी। तब मैंने उसको बाहर का रास्ता दिखा दिया। इसके बाद बिल्डर ने आसिफ अंसारी को मुझ पर नियमित तौर पर दबाव बनाकर केस से हटाने का ठेका दे दिया।
इसी के बाद आसिफ अंसारी ने एड़ी चोटी का जोर लगाकर मुझको खूब पटाने की कोशिश की। मुझे लगातार फोन किया। केस से हटने के लिए कभी नसीहत तो कभी प्रलोभन देता रहा। अब तक पूरे प्रकरण में आसिफ अंसारी खुद अपने मुँह से मान रहा है कि बिल्डर उसके करीबी हैं। जब आसिफ अंसारी ने देखा कि मामला पैसों से नहीं बन रहा है और मैं एलडीए में लगातार अपनी पैरवी कर रहा हूँ, तब वह पूरे पैसे हाथ से जाने के डर से मुझ पर और तेजी से दबाव डालने के लिए अपने साथ असामाजिक तत्वों को लेकर मेरे हेल्थ क्लब के नीचे आया। इसकी शिकायत मैंने एसएसपी लखनऊ से की है।
फरवरी 2019 में मैंने अपने मकान का कार्य शुरू किया। पंजाब नेशनल बैंक में होम लोन एकाउन्ट खुलवाया। एलडीए से परमिट नम्बर (एनएपी / 2018 050107 2156280) लिया। फरवरी 2019 से अपने मकान का मैंने कार्य शुरू किया। मेरे इस निर्माण को अवैध बताते हुए और बिल्डर्स से 50 लाख की वसूली की झूठी खबर आसिफ अंसारी ने अपने पोर्टल पर छाप दिया। वह मुझे और मेरे परिवार को मैसेज भेज-भेज कर मानसिक उत्पीड़न देने लगा।
जिन रसूखदारों के बारे में आसिफ अंसारी द्वारा लिखा गया है, उनके बारे में मैं बताना चाहता हूँ कि मेरे स्व. पिता जो कि उच्च आलाधिकारी थे, वे सब रसूखदार उनके अभिन्न मित्र रहे हैं। ये हमारे मोहल्ले में गत 25 वर्षों से रहते हैं। इनका नाम मैंने आज तक कभी किसी गलत जगह इस्तेमाल नहीं किया और न ही कहीं कहा। मैं अकेले ही एलडीए एवं सम्बन्धित विभाग में लड़ता रहा क्योंकि मैं ही इस केस का पैरवीकर्ता हूँ और शिकायतकर्ता भी हूँ। इसका प्रमाण मेरी लिखित शिकायतों में मिल जायेगा। पूरे प्रकरण को देखते हुए समाज तथा मोहल्ले के लोगों का सहयोग प्राप्त हुआ है जिससे आसिफ अंसारी अपना ठेका हाथ से जाते देख कर घबराया हुआ है क्योंकि ये अवैध निर्माण है, इसलिए यह समस्या पूरे मोहल्ले और वहां रहने वालों की है।
मैं यह पूछना चाहता हूँ कि न तीन में न तेरह में, आसिफ अंसारी वहां पर दूर-दूर तक रहता नहीं है, उसका बिल्डरों से कोई रिश्ता नहीं है, तो फिर वह क्यों परेशान है। क्या इसलिए क्योंकि उसका रिश्ता बस लालच एवं स्वार्थ का है, बिल्डर्स से। आसिफ अंसारी अपने पोर्टल का गलत इस्तेमाल करते हुए पहले बिल्डर्स के खिलाफ मुहिम चलाता है और बाद में पैसे पकड़ कर शान्त हो जाता है। यह अक्सर ईमानदार छवि वाले सीनियर अफसरों के भी बखिये उधेड़ता रहता है, ताकि इसे नियमित तौर पर रकम प्राप्त होती रहे। मैं आपको कुछ स्क्रीनशाट मेल कर रहा हूँ जिससे यह साबित होता है कि यह पोर्टल का गलत इस्तेमाल करते हुए अवैध धन प्राप्त करता है।
बेसिक शिक्षा प्राप्त व्यक्ति यह जानता है कि शिकायतकर्ता किसी अवैध निर्माण के बारे में कोई एनओसी जारी नहीं कर सकता है। एनओसी की खबर मुझे बदनाम करने के लिए की गई। मैं अपने बारे में पहले भी बता चुका हूँ कि मैं एक व्यवसायी हूँ। मैं किसी भी प्रकार के अवैध धन के धंधे या अवैध वसूली में कभी लिप्त नहीं रहा और न ही मेरा कोई ऐसा इतिहास रहा है। मैं अपनी इनकम, बैलेन्सशीट और इन्कम का प्रूफ दे सकता हूँ। आसिफ अंसारी ने मुझे मामूली ब्लैकमेलर कहा है। मैं उसे चुनौती देता हूं कि वह अपनी इनकम का प्रमाण दे। वह अपनी रोज की शामें प्रतिष्ठित और अति-प्रतिष्ठित होटलों में बैठकर बिताता है। वहीं से डीलिंग पानी करता है। इसका खर्चा वह कहां से पाता है।
मेरे लिए यह लड़ाई एक प्रतिष्ठा का सवाल है। आसिफ अंसारी तथा उसके साथी एवं बिल्डर चाहे जितना भी कीचड़ उछाल लें, मैं अन्तिम सांसों तक इस लड़ाई को लड़ता रहूँगा। मैं आरोप प्रत्यारोप की बहस की लड़ाई का खिलाड़ी नहीं हूँ जिसमें यह आसिफ अंसारी माहिर है। मैं सिर्फ कर्म में विश्वास करता हूँ और करता रहूँगा। आसिफ अंसारी मनगढंत कहानी लिखने का मास्टर है। उसे लगता है कि वह किसी के लिए कुछ भी लिख दे तो वह घुटनों पर आ जायेगा। पर यह लड़ाई सत्य की है और हर कोई कमजोर घुटने वाला नहीं होता।
भवदीय
अमन ककक्ड़
लखनऊ
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