प्रिय यशवंत जी
आपके पोर्टल पर आपको सम्बोधित एक पत्र लिखा गया है, जो कि मुझसे सम्बंधित है. आपने उसको प्रकाशित किया, ये अच्छी बात है. मैंने भी उसको पढ़ा. कोई नई बात नहीं है. पत्रकार और पुलिस पर सबसे आसान आरोप लगाना होता है ब्लैकमेलिंग और धमकी देने का. अगर आप किसी के साथ उसके गलत काम में साथ दे रहे हैं तो आप ईमानदार और सच्चे पत्रकार, और गलत काम में साथ न दें तो आप बेईमान, ब्लैकमेलर और फ़र्ज़ी पत्रकार. लेकिन कभी किसी भी चीज़ का एक पहलु न होता है, न देखना चाहिए.
खैर मैं आपको दूसरा पहलु भी बता देता हूँ. बात करीब 2 साल पहले की है. अमन कक्कड़ के घर के आगे एक बिल्डिंग का निर्माण शुरू हुआ. अमन ने मुझसे कहा कि इस बिल्डिंग के चलते मेरी प्राइवेसी भंग होगी. आप मदद करो, खबर करो, काम बंद हो. हमने भी विभाग से पता किया तो बिल्डिंग अपने मानकों के अनुसार नहीं बन रही थी. खबर की. बिल्डिंग पर कार्रवाई हुई. इस दौरान बिल्डर के कुछ पार्टनर मेरे भी जानने वाले निकल आये. उन्होंने मुझसे संपर्क किया कि क्या परेशानी है अमन को? मैंने बताया उसकी प्राइवेसी जा रही है. उन्होंने हमको और अमन को बिल्डिंग पर ले जाकर मौका दिखाया और कहा- कहाँ से प्राइवेसी जा रही है, बता दें, हम वो हिस्सा बंद कर दें. इसके बाद मैंने खबर करनी बंद कर दी क्यूंकि अमन का प्राइवेसी का मसला हल हो गया था.
अमन ने कहा पीछे छज्जे निकले हैं तोड़ दो. बिल्डर ने छज्जे तोड़ दिए. दीवार इतनी ऊँची करा दो कि घर की तरफ कुछ न दिखे. वो भी कर दिया. अमन के घर से 40 फीट तक कोई गाड़ी न खड़ी हो, इसके लिए बिल्डर ने अपना गेट 40 फीट दूर बना दिया. बाउंड्री कराने की बात भी बिल्डर ने मान ली. जितने फ्लोर पास हुए थे प्राधिकरण से, उतना ही निर्माण कराया. जो कहा अमन ने, वो बिल्डर करता गया. बस यही गलती हुई. अमन कक्कड़ ने इस बात को गलत तरीके से ले लिया और मुझसे कहा आप बात करो, 1 करोड़ रुपया कैश दे, तब ही बिल्डिंग बनने देंगे. मैंने इतनी बड़ी रकम की बात करने से मना कर दिया, बात कुछ दिन तक टली रही.
कुछ दिन के बाद अमन ने मुझसे कहा कि मुझे अपना घर (दूसरी मंज़िल) बनवाना है, जिसमें बहुत पैसा लग रहा है, नोटबंदी के बाद से दिक्कत है, आप बात करो बिल्डर मेरे घर की दूसरी मंज़िल बनवा दे. मैंने बिल्डर से कहा कि बनवा दो, अगर बनवा सकते हो. बिल्डर भी एग्री हो गए, फिर अमन के मन में लालच आया और उसने दूसरी मंज़िल के निर्माण के बजाय 50 लाख कैश देने की बात कही. इस पर बिल्डर ने मना कर दिया. उस दिन से हमने अमन से बात करनी बंद कर दी क्यूंकि उसके मन में लालच बढ़ती जा रही थी. मैं दोनों लोगों से अपने सम्बन्ध भी खराब नहीं करना चाहता था. लिहाज़ा इस मसले से अलग हो गया.
1 साल पहले अप्रैल 2018 में अमन ने पूर्वांचल के एक बाहुबली माफिया राजनेता के रिश्तेदार के ज़रिये बिल्डर से अकेले कई बार मीटिंग की. मीटिंग में 42 लाख पर डील तय हुई. 32 लाख अमन के और 10 लाख पूर्वांचल के एक बाहुबली माफिया राजनेता के रिश्तेदार के तय हुए. लखनऊ के एक प्रतिष्ठित होटल में अमन को 10 लाख और बाहुबली के रिश्तेदार को 5 लाख एडवांस दिया गया. एक माह में पूरा पैसा देने की बात हुई.
लेकिन अमन की भूख 32 लाख से भी नहीं मिट रही थी. लिहाजा अमन ने फिर से एक अपर महाधिवक्ता और एक पूर्व डीजीपी के नाम पर और पैसा बढ़ाने की बात शुरू कर दी और शिकायत करना शुरू कर दिया. इस पर बिल्डर के एक पार्टनर ने अमन से इसका विरोध किया और कहा कि जब पैसा ले लिया है, तब क्यों परेशान कर रहे हो, बाकी का पैसा भी हम देने को तैयार हैं. इस पर अमन ने उसको अपनी शॉप से बेइज़्ज़त कर भगा दिया और उल्टा महानगर कोतवाली में बिल्डर के खिलाफ शिकायत की, जिसकी जांच हुई और मामला ख़ारिज हो गया.
ये मामला चल ही रहा था कि अभी कुछ दिन पहले 27 अप्रैल 2019 को अमन ने फिर बिल्डर्स के साथ मीटिंग की और 50 लाख में सौदा निपटाने की बात की. इस पर बिल्डर फिर मान गए, क्यूंकि उनकी बहुत बड़ी रकम उस बिल्डिंग में फसी है और बिल्डर से मिले पैसों से अमन ने अपने घर की दूसरी मंज़िल का काम शुरू करा दिया, जो कि मानकों के विपरीत था. मैंने इसकी खबर 28 अप्रैल 2019 को प्रसारित की, जिसका शीर्षक था “लखनऊ में एलडीए नहीं, ब्लैकमेलर देते हैं अवैध निर्माण की NOC”. उसके बाद एक और ब्रेकिंग न्यूज़ अपडेट की जिसका शीर्षक था “रसूखदारों के नाम पर ये ‘ब्लैकमेलर’ करता है बिल्डरों से वसूली” जिससे अमन बौखला गया और इस तरह की बात करने लगा.
देखें दोनों खबरें….
अब मेरा सवाल ये है कि क्या अगर अमन कक्कड़ गलत काम करेंगे तो हम खबर नहीं चला सकते? अगर हम अमन की तरफ से बिल्डर की खबर चला सकते हैं तो अमन की खबर क्यों नहीं चला सकते? अमन अगर बहुत संभ्रांत परिवार के हैं, जैसा उन्होंने कहा तो 1 करोड़ से डील क्यों शुरू की? 10 लाख एडवांस क्यों लिया? ऐसे बहुत से और सवाल हैं.
पत्रकार पर ऊँगली उठाना और आरोप लगा देना बहुत आसान है, लेकिन उसको साबित भी करना पड़ता है, ये बात आरोप लगाने वाले भूल जाते हैं. यशवंत भाई आप और आपके सम्मानित पाठकों को याद दिला दूँ, तत्कालीन मुख्यमंत्री उत्तराखंड रमेश पोखरियाल “निशंक” ने भी मेरी खबरों से परेशां होकर मुझ पर ब्लैकमेलिंग, धमकी देने और आईटी एक्ट के तहत मुक़दमा दर्ज कराया था. गिरफ़्तारी भी कराई थी. जेल भी भेजा. मैं तब भी नहीं डरा था और “निशंक” जी से लड़ता रहा. कोर्ट में कानूनी लड़ाई लड़ी और जीत कर आया. कोर्ट ने मुझे बाइज़्ज़त उस मामले से बरी किया. फिर ये तो एक मामूली-सा ब्लैकमेलर है. इसको भी करने दीजिये, वक़्त इसको भी जल्द ही आईना दिखा देगा.
धन्यवाद
आसिफ अंसारी
पत्रकार
लखनऊ
[email protected]
पूरा प्रकरण जानने के लिए ये मूल खबर पढ़ें-
Prashant Pathak
May 16, 2019 at 4:56 pm
अमन कक्कड़ की एक चिट्ठी से आसिफ भाई पर कोई सवाल नही खड़े हो सकते उनको मैं भी सालो से जानता हूं मदद में किसी के लिए खड़े हो सकते है और कही भी अड़ सकते है व्यवहार में विन्रम हो जॉएँगे अगर कोई आंख दिखायेगा तो छोड़ नही पाएंगे
d k sharma
May 20, 2019 at 2:58 pm
Jab builder ki building hi avaidh hai to itni dealing kyo ho rahi hai.aasif Bhai imandari se reporting kiye hote to aab tak building Lda se sil ho chuka hota lekin kyo nhi hua ye mere samajh ke bahar hai.kaun dalali kar rha hai ye samajh nhi aa rha hai