लखनऊ। चीन में फैले जानलेवा कोरोना वायरस का असर पूरे भारत सहित उत्तर प्रदेश के पोल्ट्री उद्योग पर भी दिखने लगा है। कोरोना से भयभीत तमाम लोगों ने चिकन (मुर्गे) का गोश्त और उससे बने अन्य उत्पाद खाना बंद कर दिया है। इसी के चलते उत्तर प्रदेश की राजनधानी लखनऊ में पिछले एक महीने में अंडे और चिकन की कीमतों में जर्बदस्त करीब 35 फीसदी की गिरावट आई है।
त्योहार और शादी-ब्याह के मौसम में लोगों के मुर्गे के मीट से दूरी बनाए रखने के कारण मुर्गा विक्रेता अधिकांश समय दुकानों पर खाली हाथ बैठे रहते हैं। कोरोना के कारण चिकन से दूरी बनाए लोगों की गलतफहमी दूर करने के लिए पोल्ट्री उद्योग से जुड़े लोगों द्वारा अखबारों में विज्ञापन देकर ऐसी खबरों-अफवाहों का खंडन किया जा रहा है, लेकिन सोशल मीडिया पर चिकन को कोरोना वायरस से जोड़कर कुछ मैसेज लगातार शेयर किए रहे हैं।
नेशनल एग कोऑर्डिनेशन कमेटी के आंकड़ों के अनुसार अंडे की कीमतें एक साल पहले के मुकाबले लगभग 15 फीसदी कम हैं। आंकड़ों के मुताबिक पिछले वर्ष इन्हीं दिनों के मुकाबले अबकी से लखनऊ में अंडे की कीमतों में करीब बीस प्रतिशत तक की और चिकन मीट के दामों में 30 प्रतिशत तक गिरावट देखने को मिल रही है।
लखनऊ में अंडा 45 रुपए दर्जन मिल रहा है, जबकि जिंदा मुर्गा 80 से 90 रुपए के भाव पर। इसी तरह से अहमदाबाद में अंडे की कीमतें फरवरी 2019 के मुकाबले 14 फीसदी कम हैं, जबकि मुंबई में यह 13 फीसदी, चेन्नई में 12 फीसदी और आंध्र प्रदेश के तमाम हिस्सों में 16 फीसदी कीमते कम हुई है।
दिल्ली में थोक में अंडे की कीमत 3.58 रुपये पर आ गई है जो बाजार में चार रुपए में बिक रहा है, जबकि पिछले साल इस दौरान प्रति अंडा कीमत 4.41 रुपये के आसपास थीं। दिल्ली में ब्रॉयलर चिकन की कीमतें इसी साल जनवरी के तीसरे सप्ताह के मुकाबले 86 रुपये से गिरकर 78 रुपये प्रति किलोग्राम पर आ गईं। इसी तरह दूसरे शहरों में भी चिकन के दाम गिरे हैं. आमतौर पर सर्दियों के महीनों में आम तौर पर पोल्ट्री और अंडे की अधिक मांग देखी जाती है।
तमाम राज्यों की बात की जाए तो थोक बाजार में चिकन और अंडे की कीमत में 15-30 फीसदी की गिरावट आ चुकी है। मुर्गी पालन से जुड़े कारोबारियों का कहना है कि कारोबारियों पर फिलहाल दो तरफा मार पड़ रही है। कोरोना के चलते चीन से आने वाला मुर्गियों को खिलाने वाला दाना महंगा हो गया है। पिछली सर्दियों के मौसम की तुलना में मुर्गी चारे की कीमतें 35-45 फीसदी अधिक हैं। इससे मुर्गी पालन कारोबार की लागत बढ़ी है।
वहीं, डिमांड गिरना किसानों के लिए नई मुसीबत खड़ी कर रहा है। सबसे अहम बात यह है कि पोल्ट्री उद्योग से जुड़े लोग तो अखबारों में विज्ञापन देकर अपनी तरफ से चिकन को लेकर फैले भ्रम को दूर करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं,परंतु केन्द्र या फिर राज्यों सरकार की तरफ से इस भ्रम को दूर करने का कोई प्रयास नहीं किया जा रहा है, इसलिए पोल्ट्री उद्योग से जुड़े लोगों की बातों पर किसी को विश्वास नहीं हो पा रहा है।