बरेली। गत 20 मार्च को मुस्लिम उलेमाओं के संगठन आल इंडिया तंजीम उलेमा -ए- इस्लाम का एक प्रतिनिधि मंडल गृह मंत्री अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिला. इस प्रतिनिधिमंडल ने देश में एनआरसी लागू न किये जाने के संबंध में एक ज्ञापन सौंपा। इस समाचार को देश के सभी समाचार पत्रों और न्यूज़ चैनलों ने चलाया।
यहां बता दें कि मौलाना शाहबुद्दीन आला हजरत कमेटी से हटाए जाने के बाद पहली बार गृह मंत्री और प्रधानमंत्री से मिले थे। इस एनआरसी वाली खबर को कोरोना से जोड़कर राष्ट्रीय सहारा हिंदी और उर्दू में छाप दिया। कोरोना वायरस के आने के बाद से मौलाना शाहबुद्दीन शहर से बाहर कहीं नहीं गए हैं। इस बात की पुष्टि मौलाना शाहबुद्दीन खुद कर चुके हैं। लॉकडाउन में गृह मंत्री और प्रधानमंत्री से मुलाकात के लिए कोई जा ही नहीं सकता।
राष्ट्रीय सहारा हिंदी ने खबर छापी है जिसमें मौलाना शाहबुद्दीन गृह मंत्री अमित शाह से मिल रहे हैं तो सहारा उर्दू ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मौलाना शाहबुद्दीन की खबर को छापा है। गलत खबर छपने से सहारा की जमकर किरकिरी हुई. शहर में इस बात को लेकर चर्चा आम है कि राष्ट्रीय सहारा में कुछ भी छप सकता है.
ज्ञात हो कि बरेली में राष्ट्रीय सहारा अखबार के जिला प्रभारी अशर्फी लाल शर्मा कुछ बरस पहले रिटायर हो गए. राष्ट्रीय सहारा में अशर्फ़ी लाल शर्मा ने अपने भतीजे अमित नारायण शर्मा को जोड़ रखा है. साथ ही कुछ अन्य लोग भी काम करते हैं.