संजय कुमार सिंह-
इंडियन एक्सप्रेस में आज पहले पन्ने पर प्रकाशित इन दो परस्पर विरोधी खबरों की खूब चर्चा है। एक में बताया गया है कि अल्ट न्यूज के मोहम्मद जुबैर को 2018 के ट्वीट के लिए (2022 में) गिरफ्तार किया गया है और दूसरे में बताया गया है कि बोलने की आजादी की रक्षा के लिए भारत जी7 और चार अन्य देशों के साथ हुआ।
बेशक दोनों खबरें महत्वपूर्ण हैं और इनसे सरकार की कथनी और करनी का भी पता चलता है। ऐसी खबरों को एक साथ छापना टीम वर्क है और निश्चित रूप से प्रशंसनीय है।
दूसरी ओर, कोई कितना भी बड़ा तानाशाह हो, कितने ही गुलाम रखता हो, इस तरह के काम नहीं करने के निर्देश पहले से नहीं दे सकता है। एक ही विकल्प है कि जिसका विकल्प नहीं है वह खुद सभी अखबारों को छपने से पहले देखे।
जो हालात है उससे पता चलता है कि समर्पण मालिकों और संपादकों ने ही नहीं न्यूनतम मजदूरी से भी कम में गुलामी कर रहे पत्रकारों ने भी किया है या फिर उसी लायक है। आज जुबैर की गिरफ्तारी से संबंधित दैनिक जागरण का शीर्षक ऐसा ही है। उसकी जितनी ही आलोचना की जाए कम है पर स्वेच्छा से गुलामी करने वालों का क्या हो सकता है।