विजय शंकर सिंह-
कोरोना से मृत्यु के सरकारी आंकड़े वास्तविकता से काफी कम हैं.
भारत में कोविड -19 से मरने वालों की संख्या आधिकारिक आंकड़ों की तुलना में छह से आठ गुना अधिक है, बुधवार को जारी किए गए शोध में ये बात कही गई है। शोध में कहा गया है कि मौतों के आंकड़ों की संख्या कम गिन कर कोरोना की दूसरी लहर के भयंकर प्रभाव को कम करके पेश किया गया।
कोलकाता से निकलने वाले अंग्रेज़ी अख़बार द टेलीग्राफ़ में इस ख़बर को प्रमुखता से छापा गया है। इस अध्ययन में कहा गया है कि नवंबर 2021 की शुरुआत तक 30.2 लाख से 30.7 लाख लोगों की मौत कोविड से हुई थी. जबकि सरकारी आंकड़ों में मरने वालों की संख्या लगभग 4 लाख 60 हज़ार थी।
एक फ़्रांसीसी शैक्षणिक संस्थान के डेमोग्राफ़र क्रिस्टोफ़ गुइलमोटो के अनुमान के मुताबिक़, जुलाई 2021 तक 30.2 लाख लोगों की कोविड से मौत हुई। यह संख्या कनाडा के टोरंटो विश्वविद्यालय में एपिडेमियोलॉजिस्ट प्रभात झा के नेतृत्व में एक टीम के अध्ययन में आई अनुमानित संख्या के बराबर है।
गुइलमोटो ने चार अलग-अलग क्षेत्रों में हुई कोविड मौतों का इस्तेमाल करके अपना अध्ययन तैयार किया. केरल में हुई मौतें, भारतीय रेलवे के कर्मचारी, विधायक-सांसद और कर्नाटक में स्कूली शिक्षकों की कोविड से हुई मौतों का अध्ययन कर देशव्यापी मौतों का अनुमान लगाया गया है।
यदि अध्ययन का ये अनुमान सही होता है तो भारत सबसे अधिक मृत्यु वाला देश बन जाएगा, अब तक अमेरिका में कोविड संक्रमण से आठ लाख और ब्राज़ील में छह लाख से ज़्यादा मौतें हुई हैं और ये देश दुनिया की सूची में सबसे आगे हैं।
इस तरह के अध्ययन जिनमें अलग-अलग डेटाबेस का विश्लेषणात्मक अध्ययन किया गया है और जिनमें मौतों की संख्या को कम गिनने और केंद्र के आंकड़ों को चुनौती देने की जो बात सामने आ रही है वो परेशान करने वाली है।
भारत की कोविड से होने वाली मृत्युदर दुनिया के मुक़ाबले अपेक्षाकृत कम है, सरकारी गिनती के मुताबिक़ प्रति 1,000 जनसंख्या में कोविड मृत्यु दर 0.3% है, वहीं दुनिया का औसत 0.6% है।
अगर अध्ययन में सामने आने वाली संख्या 30.2 लाख से लेकर 30.7 लाख तक सही साबित होती है तो भारत की मृत्यु दर 2.3 से 2.6 तक हो जाएगी जो वैश्विक औसत 0.6 से लगभग चार गुना ज़्यादा होगी।