अभिषेक प्रकाश-
यह आत्मप्रचार नही बल्कि आत्मस्वीकृति है। काम हम सभी करते हैं, कई बार आपके काम को पहचान मिलती है या कई बार आपसे भी जरूरी काम करने वाले को तरजीह दी जाती है। पदक यह जरूर बताता है कि आपने कुछ बेहतर किया पर इसका न मिलना यह नही बताता कि आप अच्छा नही कर रहें या आपने अच्छा नही किया।
अपने काम को पूर्ण मनोयोग और निष्ठा से करने वाले कई बार पदक नही भी पा पाते, और यह सभी पुरस्कारों के साथ होता रहा है।
जरूरी बात यह है कि जब आप काम कर रहे होते हैं तो आप एक टीम का हिस्सा होते हैं तब उस काम के लिए मिला सम्मान उन सभी का सम्मान होता है ना कि सिर्फ आपका।
पुलिसिंग अधिकतर मामलों में एक टीम वर्क है, बेहतर समन्वय बेहतर परिणाम की ओर ले जाती है। उन सभी लोगों के प्रति मैं कृतज्ञ हूं जिनके साथ मैंने काम किया, चाहे वह मेरे वरिष्ठ हो या कनिष्ठ।
सबसे महत्वपूर्ण है ‘जर्नी’। हमारी जीवन यात्रा। कैसे हम चीज़ों को, घटनाओं को देखते हैं। किस परिस्थिति में क्या निर्णय लेते हैं। वह समय वह स्थान वह समाज कैसा है। ये संदर्भ बिंदु बहुत ही महत्वपूर्ण होते हैं। आज जब गणतंत्र दिवस पर हम संविधान की शपथ लेते हैं तो उन सभी निर्णय इन मूल्यों के सापेक्ष खड़े हो उठते हैं। तब लगता है कि क्या हम संविधान को आत्मार्पित कर पाए हैं या नहीं।
पदक से भी ज्यादा महत्वपूर्ण वह मूल्य हैं जिनके लिए यह सेवा है। “हम भारत के लोग” में से मैं भी एक व्यक्ति हूं और इस देश का नागरिक हूं। इस संस्था को बेहतर करने और स्वयं को इन मूल्यों के प्रति प्रतिबद्ध रखना ही अपनी नज़र में सबसे बड़ा सम्मान है।
जय हिंद, जय भारत।