इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आगरा से महोबा लीगल अथॉरिटी में भेजा… उत्तर प्रदेश के आगरा में कार को रास्ता न देने पर पुलिस कॉन्स्टेबल की वर्दी उतरवाकर कोर्ट में खड़ा रखने वाले एडीशनल चीफ जुडिशल मैजिस्ट्रेट(एसीजेएम) संतोष कुमार यादव को उनकी यह हरकत भारी पड़ गई है। यूपी के डीजीपी द्वारा इस मामले में ट्वीट करने और आगरा के एसएसपी द्वारा मामले को इलाहाबाद हाईकोर्ट को रेफर करने के बाद एसीजेएम का तुरंत तबादला कर उन्हें महोबा जाने का आदेश दिया गया है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट के महानिबंधक मयंक कुमार जैन द्वारा शनिवार को भेजे गए आगरा के एडीशनल चीफ जुडिशल मैजिस्ट्रेट संतोष कुमार यादव के ट्रांसफर आदेश से यह संदेश जा रहा है कि शुक्रवार को पुलिसकर्मी की वर्दी उतरवाने की हरकत को हाईकोर्ट ने भी गंभीरता से लिया है। एसीजेएम को महोबा के डिस्ट्रिक्ट लीगल सर्विसेज अथॉरिटी के पूर्णकालिक सचिव का पदभार ग्रहण करने का निर्देश दिया है। इतना ही नहीं आदेश में तुरंत चार्ज हैंडओवर कर नई नियुक्ति का पदभार ग्रहण करने की रिपोर्ट भेजने की बात भी कही गई है।
गौरतलब है कि शुक्रवार को आगरा में पुलिस में कॉन्स्टेबल 58 वर्षीय ड्राइवर घूरेलाल को कोर्ट रूम के अंदर अपनी वर्दी उतारनी पड़ी और करीब आधे घंटे तक खड़ा रहना पड़ा। उनका कसूर यह था कि उन्होंने कोर्ट जाते समय एसीजेएम की कार को रास्ता नहीं दिया था और इससे नाराज होकर एसीजेएम उन्हें यह सजा सुना दी।
यूपी के डीजीपी ओपी सिंह ने इस पूरे मामले को गंभीरतापूर्वक लिया और उन्होंने भी ट्वीट कर कहा कि इस पूरे मामले को उचित स्तर पर उठाया जाएगा। इस पूरे मामले पर आगरा के एसएसपी बबलू कुमार का कहना था कि कॉन्स्टेबल ड्राइवर घूरेलाल ने आरोप लगाया है कि कोर्ट में एसीजेएम ने उनका अपमान किया है। एसीजेएम ने कार को रास्ता नहीं देने पर दंड स्वरूप उन्हें (घूरेलाल को) वर्दी, टोपी और बेल्ट उतारने और आधे घंटे तक खड़ा रहने के लिए बाध्य किया। एसएसपी का यह भी कहना था कि कॉन्स्टेबल घूरेलाल एवं उनके साथ के सभी पुलिसकर्मियों के बयान दर्ज किए गए हैं और एसीजेएम के खिलाफ शिकायत की कॉपी आगरा के जिला जज, इलाहाबाद हाईकोर्ट के महाधिवक्ता और प्रशासनिक जज को भेजे गए हैं ताकि जांच के बाद आवश्यक कार्रवाई की जा सके। कहा जा रहा है कि जज के खिलाफ हाईकोर्ट द्वारा की गई यह कार्रवाई एसएसपी बबलू कुमार द्वारा प्रशासनिक जज और जिला जज को भेजी गई रिपोर्ट के आधार पर हुई है।
दरअसल थाना मलपुरा क्षेत्र में घूरे लाल जिला जेल से दो बाल अपचारी लेकर वज्र वाहन से जा रहे थे। उनके साथ पुलिस लाइन के ही तीन सिपाही आलोक, मनीष और रुपेश थे। ये लोग बाल अपचारियों को मलपुरा के सिरौली स्थित किशोर न्याय बोर्ड ले जा रहे थे।सिरोली वाले रास्ते पर वज्र वाहन आगे था, पीछे न्यायिक अधिकारी की गाड़ी आ रही थी। घूरेलाल ने बताया कि पहले एक बाइक का हॉर्न सुनाई दिया। इसके बाद लगातार हॉर्न बजता रहा। उसे लगा कि बाइक चालक ही हॉर्न बजा रहा है। थोड़ी देर बाद पता चला कि हॉर्न न्यायिक अधिकारी की गाड़ी का ड्राइवर बजा रहा था। तभी न्यायिक अधिकारी ने कोर्ट में आने के लिए कहा। घूरे लाल और तीनों सिपाही कोर्ट में पहुंचे। आरोप है कि वहां जज ने घूरे लाल की वर्दी उतारवा दी। वो बिना वर्दी के करीब 25 मिनट खड़े रहे। मामला सामने आने के बाद एसएसपी ने घूरे लाल और तीनों सिपाहियों को पुलिस लाइन बुलाकर उनका बयान दर्ज किया। इसके बाद मामले की पूरी रिपोर्ट प्रशासनिक जज और जिला जज को भेज दी। शनिवार को हाईकोर्ट ने जज का तबादला कर दिया।