Soumitra Roy-
एफपीओ के जरिए 20 हजार करोड़ जुटाने चले अदाणी सेठ अभी तक 80 हज़ार करोड़ गंवा चुके हैं। खेला चालू आहे।
भारत में जल्दी ही सबसे बड़ा बैंकिंग घोटाला सामने आने वाला है। कयामत का इंतजार कीजिए, क्योंकि सृजन वहीं से शुरू होगा।
हिंडेनबर्ग रिपोर्ट बहुत लंबी और जटिल रिपोर्ट है। रिपोर्ट के चलते अदाणी सेठ आज 46 हजार करोड़ से ज़्यादा लुटा बैठे। दिन चढ़े अदाणी समूह का बयान भी आया, जिसमें कहा गया है कि यह कंपनी के एफपीओ को डुबोने की साजिश है।


लेकिन मुझे 2012 से 2014 के वे साल याद आ रहे हैं, जब मनमोहन सरकार के खिलाफ़ भी इसी तरह की साज़िश हुई थी।
पिछले अगस्त में क्रेडिट साइट्स की रिपोर्ट आई थी (मैंने तब भी लिखा था), जिसमें कहा गया था कि अदाणी सेठ ने अपनी 7 कंपनियों के शेयर मूल्य को जानबूझकर 819% बढ़ाकर आंका है।
हिन्डेनबर्ग एक इन्वेस्टमेंट रिसर्च फर्म है, जो किसी कंपनी के शेयर्स पहले बेचती है, फिर उसी कंपनी के बारे में लोगों को आगाह कर सस्ते में शेयर खरीद लेती है।
साफ़ है कि इकोनॉमी के जानने वालों ने इस रिपोर्ट पर ज्यादा उत्साह नहीं दिखाया।
लेकिन जो बात गौर करने वाली है, वह यह कि गले तक लोन में डूबे अदाणी सेठ के शेयरों में जोखिम 85% ज्यादा है।
रिपोर्ट आने के बाद एक ही दिन में अदाणी के शेयर्स में 3–7% गिरावट यह बताती है कि निवेशकों को भी जोखिम का पता है।
इधर मोदी सरकार की हिलती नींव और उधर अदाणी सेठ का कन्नी काटना–कुछ तो है, जो डरा रहा है।
जोखिम से डर जरूरी है। अगर डर यकीन में बदलता है तो 2014 का इतिहास दोहराया जाएगा। वह भारत के लिए कयामत का वक्त होगा।
यह बात राहुल गांधी से बेहतर और कौन जानता होगा?
पूरी कहानी जानने के लिए ये वीडियो देखें-
अजय शाह-
अदानी कंपनियों के शेयर 85 परसेंट तक ओवरवैल्यूड है।
ब्लूमबर्ग नामक प्रसिद्ध अंतरराष्ट्रीय फॉर्म ने यह भी आरोप लगाया है की, अदानी ग्रुप को जरूरत से ज्यादा लोन मिला है। टैक्स चोरी और पब्लिक से बहुत सी कारगुजारियां छुपाकर रखा है। इसके सामने आते ही, अडानी अब , संसार के तीसरे धनी व्यक्ति से चौथे पायदान पर पहुंच चुके हैं। ये घालमेल कुछ समझ में आया विनोद?

मुकेश असीम-
अदानी के बारे में एक रिसर्च रिपोर्ट की चर्चा है कि कैसे वह विभिन्न कंपनियां बनाकर कर्ज के लेन देन व अपनी कंपनियों के शेअर दामों में हेराफेरी करता है। रिपोर्ट सही है।
साथ ही यह भी कि दुनिया के हर देश में जो भी पूंजीपति तेजी से वृद्धि करता है, वह ठीक ऐसा ही कुछ करता है। कामयाब हो जाता है तो टाटा, अंबानी, अदानी की तरह उसे मेहनती, प्रतिभाशाली, दृढ़ इच्छाशक्ति वाला घोषित करने की कहानियां बनाने व प्रचारित करने वाले भाड़े के भोंपू पत्रकारों व ‘विद्वानों’ की कोई कमी नहीं।
हां, अगर किसी वजह से हेराफेरी कहीं अटक जाए तो वो विजय माल्या, नीरव मोदी, मेहुल चोकसी, आदि की तरह फ्रॉड करार दे दिया जाता है।
पर इन दोनों श्रेणियों के पूंजीपतियों के इरादे व काम में कोई बुनियादी फर्क नहीं होता। यही पूंजीवादी ‘नैतिकता’ है। होड़ में आगे निकलने के लिए हर पूंजीपति को यही आचरण करना होता है।

प्रकाश के रे-
अदानी ग्रुप के बारे में हिंडेनबर्ग रिसर्च की विस्फ़ोटक रिपोर्ट पढ़ना एक बढ़िया थ्रिलर उपन्यास पढ़ने जैसा है. इस रिसर्च के फ़ोकस में जो आया है, उसको मुश्किल हुई है. अदानी ग्रुप की कुछ ही कंपनियाँ स्टॉक मार्केट में लिस्टेड हैं और कई कंपनियों को लिस्टेड करने की तैयारी चल रही है. जैसे स्टॉक लुढ़के हैं, तो लिस्टिंग पर भी असर पड़ेगा. यहाँ मैं अदानी ग्रुप के बारे में कुछ बिंदुओं को हाइलाइट करना चाहूँगा:
1- हम सभी जानते हैं कि अदानी ग्रुप का कारोबार कई सेक्टर में है और उनमें से अनेक भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए बेहद अहम हैं.
2- यदि यह ग्रुप लड़खड़ाता है, तो शेयरधारक ही नहीं, समूचा देश प्रभावित होगा.
3- अब सवाल है कि क्या लड़खड़ाने की आशंका है.
4- मेरा मानना है कि अगर अदानी ग्रुप लड़खड़ाता भी है, तो देश उसे सँभाल लेगा क्योंकि देश इतना पीछे है कि उसके पास केवल आगे बढ़ने का विकल्प है, यही एकमात्र रास्ता भी है.
5- मंथर गति से ही सही, देश बढ़ता रहेगा. एक-दो साल पेंच है, पर आगे मामला ठीक रहना चाहिए.
6- भारत या दुनिया का अब 2007-08 से पहले जैसा विकास नहीं हो सकता है. कोरोना महामारी और पश्चिम के छद्म युद्धों के बाद तो उसकी कोई संभावना नहीं बची है.
7- अदानी के शेयरों ने बहुत लोगों को फ़ायदा पहुँचाया है और किसी भी स्थिति में आगे भी कुछ गुंजाइश है.
8- मेरा मानना है कि 2024 में यही सरकार कंटीन्यू करेगी. अगर ऐसा होता है है, तो गौतम भाई की बल्ले बल्ले रहेगी.
9- चिंता न को. दो-चार कौड़ी के जो अदानी शेयर हैं मेरे पास, उन्हें शॉर्ट नहीं करना है. शायद ग्रीन में कुछ डालूँ भी. पीछे एनडीटीवी के शेयर इसलिए बेचा कि उस सेक्टर में अब ग्रोथ नहीं होना है. मीडिया और इंटरटेनमेंट का सेक्टर कई साल तक मुनाफ़ा देने की स्थिति में नहीं है. वहाँ टैलेंट के नाम पर भूसा भरा हुआ है.
10- यह सब कोई एडवाइस नहीं है और न ही मैं उस स्थिति में हूँ कि सलाह दे सकूँ. पर, इतनी समझ है कि गदहे को गाजर की जगह भले भूसा मिले, ज़िंदा रहेगा, तो सामान ढोयेगा ही.
11- विकास होयेंगा, दिमाग़ नहीं खोटा करने का.
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