Connect with us

Hi, what are you looking for?

सुख-दुख

लखनऊ से स्तब्धकारी सूचना- सामाजिक न्याय के प्रति समर्पित पत्रकार अखिलेश कृष्ण मोहन नहीं रहे!

वीरेंद्र यादव-

लखनऊ के युवा उत्साही पत्रकार अखिलेश कृष्ण मोहन Akhilesh Krishna Mohan के न रहने की सूचना अत्यंत व्यथित करने वाली है. कोरोना ने एक युवा जीवन को असमय छीन लिया. अखिलेश ‘फर्क इन्डिया’ पत्रिका और पोर्टल का संपादन संचालन करते थे. सामाजिक न्याय के प्रति समर्पित इस स्वाभिमानी -आत्मनिर्भर युवा के परिवार के लिए यह असह्य दुख का पहाड़ है. संतप्त परिवार के दुख मे शामिल हूँ. अखिलेश कृष्ण मोहन मेरे निकट संपर्क में थे. मेरी शोक संवेदना.

Advertisement. Scroll to continue reading.

उर्मिलेश-

लखनऊ से फिर एक बहुत स्तब्धकारी सूचना! सोशल मीडिया से ही पता चला कि ‘फ़र्क इंडिया’ के संपादक अखिलेश कृष्ण मोहन नहीं रहे. लखनऊ स्थित एक बड़े शासकीय अस्पताल में उनका इलाज़ चल रहा था. बेहद सक्रिय इस उत्साही और जनपक्षधर युवा पत्रकार के असामयिक निधन की सूचना से आज मन बहुत खिन्न और उदास है.

कुछ साल पहले वाराणसी में आयोजित एक सम्मेलन में मेरी अखिलेश कृष्ण मोहन से मुलाकात हुई थी. पहली ही मुलाकात में वह काफी समझदार और जुझारू लगे. उनसे एक बार और ऐसे ही किसी आयोजन में मुलाकात हुई. उन्होंने अपनी पत्रिका या अपने न्यूज़ पोर्टल के लिए मुझसे औपचारिक बातचीत भी रिकॉर्ड की.

Advertisement. Scroll to continue reading.

जमीनी सच्चाइयों से लगातार रुबरू होने के चलते उनके पास उत्तर प्रदेश की सामाजिक और राजनीतिक गतिविधियों की हमेशा अद्यतन जानकारी होती थी. उनका दायरा सिर्फ सूचना तक ही सीमित नहीं था, वह उन सूचनाओं की रोशनी में प्रदेश और देश की सामाजिक-राजनीतिक स्थितियों की संतुलित व्याख्या करने मे भी सक्षम थे. वह बहुत मेहनती और गतिशील पत्रकार थे. जब भी मुलाकात हुई, उनके पास अच्छी टीम भी नजर आई.

अपनी पत्रकारिता के जरिये वह समाज़ के उत्पीड़ित और वंचित लोगों की आवाज बुलंद करने में आगे रहते थे. सामाजिक-राजनीतिक विषयों पर अध्ययन भी करते थे. उनकी असमय मृत्यु से उनके परिवार के अलावा हिंदी पत्रकारिता और समाज के उत्पीड़ित व वंचित हिस्सों की बड़ी क्षति हुई है.

Advertisement. Scroll to continue reading.

दिवंगत अखिलेश कृष्ण मोहन को सादर श्रद्धांजलि और उनके परिवार के प्रति गहरी शोक-संवेदना.


कृष्ण कुमार यादव-

Advertisement. Scroll to continue reading.

कोरोना ने एक उत्साही सम्पादक और पत्रकार Akhilesh Krishna Mohan को भी लील लिया। बेहद मिलनसार, हँसमुख और बिना लाग लपेट के सीधी व सच्ची बात कहने वाले अखिलेश कृष्ण मोहन सदैव समाज़ के शोषित, वंचित व पीड़ित लोगों की आवाज बुलंद करने में आगे रहते थे। ‘फर्क इंडिया’ पत्रिका के सम्पादक रूप में उन्होंने सामाजिक न्याय सम्बन्धी विषयों को प्रभावी तरीके से उठाया। दूरदर्शन उत्तर प्रदेश के ‘नया नज़रिया’ कार्यक्रम के समन्वयक व प्रस्तोता के रूप में भी उन्होंने अपनी अलग पहचान बनाई। वे हमसे एक लम्बे समय से जुड़े हुए थे।

जब लखनऊ में पोस्टिंग रही तो उनसे मुलाकात भी होती रहती थी। दूरदर्शन के ‘नया नज़रिया’ कार्यक्रम के लिए उन्होंने हमारा साक्षात्कार भी लिया था। अक्सर सामाजिक व समसामयिक विषयों पर उनसे लम्बी चर्चा होती रहती थी। ऐसे जिंदादिल व्यक्ति का यूँ असमय चला जाना वाकई बेहद दुःखद और अफसोसजनक है। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें और परिवार को इस असीम दुःख को सहने की शक्ति दें। विनम्र श्रद्धांजलि। ॐ शांति।

Advertisement. Scroll to continue reading.

(चित्र में : दूरदर्शन के लिए लखनऊ में हमारा साक्षात्कार लेते अखिलेश कृष्ण मोहन)


अशोक दास-

साल 2012 में जब “दलित दस्तक” की लॉन्चिंग हो रही थी, एक हमउम्र उत्साही युवा मेरे पास आया। युवक ने अपना परिचय अखिलेश कृष्ण मोहन के रूप में दिया। वो तब दिल्ली के किसी मीडिया संस्थान में काम कर रहे थे। हम दोनों दिल्ली के पांडव नगर (मदर डेयरी) मुहल्ले में रहते थे। हमारा मिलना-जुलना चलता रहा। बाद के दिनों में अखिलेश जी “दलित दस्तक” पत्रिका से भी जुड़े।

Advertisement. Scroll to continue reading.

दिल्ली की मनुवादी मीडिया में जब भाई-भतीजावाद का बोलबाला बढ़ा और बहुजनों का काम करना मुश्किल हो गया तो अखिलेश जी लखनऊ शिफ्ट हो गए। लखनऊ जाने के बाद भी वो लंबे समय तक “दलित दस्तक” के लिए काम करते रहे। संघर्ष के दिनों में जब भी लखनऊ जाना हुआ, ठिकाना उन्ही का घर रहा। वो अपनी बाइक से मुझे हर जगह ले जाते। बाद में उन्होंने “फर्क इंडिया” के नाम से मैगज़ीन निकालनी शुरू की, फिर यूट्यूब भी चलाया। निरंतर सामाजिक न्याय की आवाज़ उठाते रहे। अखिलेश जी OBC (यादव) समाज के उन पत्रकारों में से रहे, जिन्होंने दलितों और पिछड़ों की एकता पर हमेशा विश्वास किया।

पिछले दिनों जब उन्नाव की घटना हुई तो लखनऊ जाना हुआ। उनसे मिलना तय था, लेकिन मुलाकात नहीं हो सकी। कोरोना से संघर्ष के दिनों में जब वो अस्पताल में भर्ती थे, मैंने उनको फोन लगाया। उनका फोन नहीं उठा। फिर उन्होंने मुझे फोन लगाया, तो मैं फोन से दूर था। इस तरह फिर बात नहीं हो पाई। हां, मैंने व्हाट्सएप्प पर मैसेज किया तो उनका जवाब आया कि “अब ठीक हो रहा हूँ सर”। थोड़ी तसल्ली हुई। लेकिन फिर नेशनल जनमत के संपादक और छोटे भाई नीरज पटेल से बात हुई तो उन्होंने स्थिति चिंताजनक बताई।

Advertisement. Scroll to continue reading.

अखिलेश जी के घर कई बार रुका हूँ, तो उनके परिवार से भी संपर्क में रहा। पिछले कुछ दिनों से उनकी पत्नी के संपर्क में था। मन परेशान था, अखिलेश जी की चिंता थी, तो हर रोज एक बार बात कर लेता था। परसो आखिरी बार उनसे हाल-चाल लिया। वो बेतहासा रो रहीं थी, मैंने कोई जरूरत पूछा तो बोलीं.. “भईया, बस उनको ले आइये आपलोग”। मन रो दिया, मैंने फोन रख दिया। कल डर के मारे फोन नहीं किया कि क्या कहूंगा। अखिलेश जी इकलौते ऐसे शख्स रहे जो पहले दिन से लेकर आखिरी वक्त तक मुझे “संपादक जी” कह कर संबोधित करते रहे। उनकी पत्नी ने बताया की उनके फोन में भी मेरा नम्बर इसी नाम से सेव था।

मुझे “संपादक जी” कहने वाला शख्स आज हमेशा के लिए चला गया। कोरोना ने इस उम्र के कई साथियों को लील लिया है। हर खबर परेशान कर रही है।

अखिलेश जी के दो छोटे-छोटे बच्चे हैं। मैंने उनको बड़ा होते हुए देखा है। क्या कहूँ… उनके ऊपर बहुत जिम्मेदारी थी। अखिलेश जी से जुड़े सभी लोगों को इस मुश्किल वक़्त में उनके परिवार के साथ खड़ा होना होगा। उनके परिवार की ओर मदद का हाथ बढ़ाना होगा। उनके नहीं रहने के बाद उनके परिवार-बच्चों को संभालना होगा। यही उनको सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

Advertisement. Scroll to continue reading.

अलविदा भाई।

कल्पना में भी नहीं सोचा था कि कभी आपके बारे में ऐसे लिखना पड़ेगा। ये आपके साथ अच्छा नहीं हुआ। नमन Akhilesh Krishna Mohan जी।

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement