Connect with us

Hi, what are you looking for?

आयोजन

चौथी पुण्यतिथि : आलोक तोमर की स्टाइल में आलोक तोमर को श्रद्धांजलि दी निधीश त्यागी ने

बड़े भाई आलोक तोमर को गुजरे चार बरस हो गए. कल बीस मार्च को उनकी चौथी पुण्यतिथि पर सुप्रिया भाभी ने कांस्टीट्यूशन क्लब में भविष्य के मीडिया की चुनौतियां विषय पर विमर्श रखा था. पूरा हाल खचाखच भर गया. अलग से कुर्सियां मंगानी पड़ी. सैकड़ों लोगों की मौजूदगी में अगर सबसे अलग तरीके से और सबसे सटीक किसी ने आलोक तोमर को श्रद्धांजलि दी तो वो हैं बीबीसी के संपादक निधीश त्यागी. उन्होंने अपनी एक कविता सुनाकर आलोक तोमर को आलोक तोमर की स्टाइल में याद किया. ढंग से लिखना ही आलोक तोमर को सच्ची श्रद्धांजलि है, यह कहते हुए निधीश त्यागी ने ‘ढंग से न लिखने वालों’ पर लंबी कविता सुनाई जिसके जरिए वर्तमान पत्रकारिता व भविष्य की चुनौतियों को रेखांकित किया. कविता खत्म होते ही पूरा हाल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा. बाद में अल्पाहार के दौरान कई लोग निधीश त्यागी से उनकी इस कविता की फोटोकापी मांगते दिखे. कविता (हालांकि खुद निधीश त्यागी इसे कविता नहीं मानते) यूं है, जो Nidheesh Tyagi ने अपने वॉल पर पब्लिश किया हुआ है…

बड़े भाई आलोक तोमर को गुजरे चार बरस हो गए. कल बीस मार्च को उनकी चौथी पुण्यतिथि पर सुप्रिया भाभी ने कांस्टीट्यूशन क्लब में भविष्य के मीडिया की चुनौतियां विषय पर विमर्श रखा था. पूरा हाल खचाखच भर गया. अलग से कुर्सियां मंगानी पड़ी. सैकड़ों लोगों की मौजूदगी में अगर सबसे अलग तरीके से और सबसे सटीक किसी ने आलोक तोमर को श्रद्धांजलि दी तो वो हैं बीबीसी के संपादक निधीश त्यागी. उन्होंने अपनी एक कविता सुनाकर आलोक तोमर को आलोक तोमर की स्टाइल में याद किया. ढंग से लिखना ही आलोक तोमर को सच्ची श्रद्धांजलि है, यह कहते हुए निधीश त्यागी ने ‘ढंग से न लिखने वालों’ पर लंबी कविता सुनाई जिसके जरिए वर्तमान पत्रकारिता व भविष्य की चुनौतियों को रेखांकित किया. कविता खत्म होते ही पूरा हाल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा. बाद में अल्पाहार के दौरान कई लोग निधीश त्यागी से उनकी इस कविता की फोटोकापी मांगते दिखे. कविता (हालांकि खुद निधीश त्यागी इसे कविता नहीं मानते) यूं है, जो Nidheesh Tyagi ने अपने वॉल पर पब्लिश किया हुआ है…


ढंग का वाक्य न लिख पाने वाले लोग

Advertisement. Scroll to continue reading.

(याद आलोक की, चुनौती मीडिया की)

– ढंग का वाक्य न लिख पाने वाले लोग न विचारशील होते हैं, न कल्पनाशील, न संवेदनशील. न लालित्य होता है, न भावाबोधक. न पढ़े, न लिखे.
– ढंग का वाक्य न लिख पाने वाले लोग अपनी बात को बहुत घुमा फिरा कर, बहुत सिटपिटाए ढंग से कहते हैं. वे ख़ुद को पहले बचाना चाहते हैं.
– ढंग का वाक्य न लिख पाने वाले लोग वक़्त और जगह बहुत ख़राब करते हैं. अपना, दूसरों का.
– वे बहुत शोर करते हैं, पर गूँजते नहीं. ढंग का वाक्य न लिख पाने वाले लोग आग ज़्यादा लगाते हैं, रौशनी कम करते हैं.
– ढंग का वाक्य न लिख पाने वाले लोगों का विश्वास सरकार और पूँजीपतियों पर ज़्यादा होता है, ख़ुद के लिखे की ताक़त पर कम.
-ढंग का वाक्य न लिख पाने वाले लोग हाँका बहुत लगाते हैं, शिकार नहीं कर पाते.
– ढंग का वाक्य न लिख पाने वाले लोग क़तार के आख़ीर में खड़े लोगों की आँखें ठीक से नहीं पढ़ पाते.
– ढंग का वाक्य न लिख पाने वाले लोग बहुत चतुर सुजान बनते हैं और कहानी की माँग के आगे, उसूलों की परवाह नहीं करते.
– ढंग का वाक्य न लिख पाने वाले लोग अपने वाक्य के अलावा हर जगह ऐंठे दिखालाई पड़ते हैं.
– ढंग का वाक्य न लिख पाने वाले लोग ढंग से न लिखे गये दूसरे वाक्यों का आशय तुरंत समझ लेते हैं.
– ढंग का वाक्य न लिख पाने वाले लोग अपनी तशरीफ़ों को कम से कम तकलीफ़ देने में यक़ीन रखते हैं. वे न दंडकारण्य जाते हैं, न कालाहांडी , न कारगिल
– ढंग के वाक्य न लिख पाने वाले लोग वक़्त के साथ बदलते हैं, उनका साथ वक़्त को नहीं बदल पाता.
– ढंग के वाक्य न लिख पाने वाले लोग तुलनाओं में, स्पर्धाओं में, टुच्चेपन में फँसे हुए लोग होते हैं.
– ढंग के वाक्य न लिख पाने वाले लोग उन लोगों के लिए निविदा सूचनाओं की तरह होते हैं, जो ढंग की सी ख़बर पढ़ना चाहते हैं.
– ढंग का वाक्य न लिख पाने वाले लोग अपना ही ढंग से न लिखा गया वाक्य ढंग से नहीं पढ़ पाते.
– ढंग का वाक्य न लिख पाने वाले लोग शब्दों और जुमलों के मशीनी और औद्योगिक पुर्ज़े होते हैं.
– ढंग का वाक्य न लिख पाने वाले लोगों के वाक्य पढ़ने में पढ़ने वाले का साँस अक्सर फूल जाता है.
– ढंग का वाक्य न लिख पाने वाले लोग सरकार से सब कुछ प्रेस ब्रीफ़िंग में ही बता देने की माँग करते हैं.
– ढंग का वाक्य न लिख पाने लोगों की पत्रकारिता में भर्ती या तो सिफ़ारिश का मामला है, या जुगाड़ का.
– ढंग का वाक्य न लिख पाने वाले लोग सत्तासीन लोगों और कॉरपोरेट कम्पनियों से सुविधाओं की माँग करते हैं.
– ढंग का वाक्य न लिख पाने वाले लोग ढंग के सवाल भी नहीं कर पाते.
– ढंग का वाक्य न लिख पाने वाले लोग कम हवा वाली फ़ुटबॉल से गोल मारने की उम्मीद रखते हैं.
– ढंग का वाक्य न लिख पाने वाले लोग फ़तवे बहुत जारी करते हैं.
– ढंग का वाक्य न लिख पाने वाले लोगों को पता होता है कि वे ढंग का वाक्य नहीं लिख सकते.
– ढंग का वाक्य न लिख पाने वाले लोगों के लिए थोड़ा मुश्किल होता है आँख में आँख डालकर बात कर पाना.

Advertisement. Scroll to continue reading.

(याद आलोक तोमर की थी, और बात मीडिया को चुनौती की. २० मार्च को कॉंस्टीट्यूशन क्लब में. मैं उन्हें इसलिए सम्मान देता हूँ क्योंकि वे ढंग के वाक्य लिखते थे. सबसे बड़ी चुनौती ढंग से न लिखे गये वाक्यों से है, ऐसा मैं मानता हूँ. ये रगड़ा उसी सिलसिले में. संचालक आनंद प्रधान ने इसे कविता कहा, जो यह नहीं है.)


इंडिया न्यूज के एडिटर इन चीफ और चर्चित पत्रकार दीपक चौरसिया जब मंच पर बोलने के लिए उठे और राजनेता व सांसद केसी त्यागी द्वारा टीवी मीडिया पर लगाए गए आरोपों का जवाब देने लगे तो एक सज्जन दर्शकों के बीच से खड़े होकर जोर-जोर से आरोप लगाने लगे. दीपक संयत भाव से मुस्कराते हुए सुनते रहे और माकूल जवाब भी दिया.

Advertisement. Scroll to continue reading.

पूर्व केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने मजीठिया वेज बोर्ड व मीडिया मालिकों को लेकर कनफ्यूज से दिखे. वे पत्रकारों और मालिकों के अपने अपने नजरिए का उल्लेख कर खुद को बेचारा साबित कर गए. हालांकि उन्होंने टीआरपी को लेकर न्यूज चैनलों की कड़ी आलोचना की व तीखा व्यंग्य भी किया. उन्होंने कहा कि मुंबई के धारावी में किन्हीं दो टीआरपी डब्बों से इंग्लिश न्यूज चैनलों की टीआरपी आती है और इसी दो डब्बों में दिखने दर्ज होने के लिए इंग्लिश न्यूज चैनलों में होड़ मची रहती है.

मंच संचालक प्रोफेसर आनंद प्रधान ने बहुत ही बेहतरीन तरीके से हर वक्ता को बुलाने से पहले उन्हें टॉपिक से जुड़े किसी खास एंगल पर बोलने के लिए भूमिका बना देते जिससे वक्ताओं को कनफ्यूज नहीं होना पड़ा. बालेंदु शर्मा दधीच ने सही मायने में जो टापिक रहा, भविष्य के मीडिया की चुनौतियां, उस पर तथ्यपरक बातचीत रखी. उन्होंने इंटरनेट के जरिए मुख्यधारा की मीडिया को मिल रही तगड़ी चुनौती और भविष्य में सबसे प्रभावी मीडिया बनने जा रहे न्यू मीडिया यानि डिजिटल मीडिया के नए ट्रेंड्स का सविस्तार सटीक जानकारी दी.  आलोक तोमर के चाहने वाले कई केंद्रीय मंत्री और सांसद भी आयोजन में पहुंचे और अपनी बात मंच से रखी. सबने आलोक के तेवर और व्यक्तित्व को याद किया. कार्यक्रम में केंद्रीय इस्पात एवं खनन मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, भाजपा नेता प्रभात झा, डॉ. शकुंतला मिश्रा विश्वविद्यालय के कुलपति निशीथ राय ने आलोक को अपने-अपने तरीके से याद किया. इस मौके पर पत्रकारिता के दो छात्रों को आलोक तोमर की याद में फेलोशिप प्रदान की गई.

Advertisement. Scroll to continue reading.

ज्ञात हो कि मध्य प्रदेश के मुरैना जिले में 27 दि‍सम्‍बर, 1960 में जन्मे वरिष्ठ पत्रकार आलोक तोमर हिंदी पत्रकारिता में संवेदनशील रिपोर्टिंग के लि‍ए जाने जाते हैं. सत्रह साल की उम्र में एक छोटे शहर के बड़े अखबार से उन्होंने जिंदगी शुरू की और जल्दी ही मुंबई के बाद दिल्ली पहुंच गए. यूनीवार्ता, जनसत्ता बीबीसी हिंदी, रीडिफ समाचार सेवा, पायनियर, आजतक, जी टीवी, स्टार प्लस, एनडीटीवी, होम टीवी, जैन टीवी और दैनिक भास्कर के अलावा कई देशी-विदेशी अखबारों के लिए अंदर और बाहर रह कर उन्होंने काम कि‍या. जनसत्ता अखबार के कार्यकाल के दौरान उनकी रिपोर्टिंग काफी चर्चित रही. उन्होंने 1993 में फीचर सेवा शब्दार्थ की स्थापना की. बाद में उसे उन्होंने समाचार सेवा ‘डेटलाइन इंडिया’ बनाया. फि‍र ‘डेटलाइन इंडिया’ नाम से उनकी वेबसाइट हिंदी पाठक वर्ग की सुर्खियां बनती रही. लंबी बीमारी के बाद पचास वर्ष की आयु में उनका 20 मार्च 2011 को निधन हो गया था. तभी से उनकी याद में प्रतिवर्ष मीडिया-विमर्श का आयोजन किया जाता है.

भड़ास के एडिटर यशवंत की रिपोर्ट.

Advertisement. Scroll to continue reading.

इसे भी पढ़ें…

सालों, इतनी जल्‍दी भूल गए… अभी बताता हूं…

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

0 Comments

  1. anu

    March 22, 2015 at 12:18 pm

    Tyagi ji itne anubhavi patarkar hai isme koi shaq nahi..Alok ji ki yaad me jo likha woh aaj ki patrakarita ki haqiquet se rubru karwati hai…..God bless Tyagi ji

  2. rachna

    March 22, 2015 at 2:51 pm

    Aalokj was a true journalist & a great human. His soul will guide us for true & fearles journalism.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement