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दस-दस हजार रुपये लेकर अमर उजाला और दैनिक जागरण के रिपोर्टरों ने छपवाई झूठी खबर!

एटा (उ.प्र.) : जिले के मिरहची थाना क्षेत्र के गाँव जिन्हैरा में 70 वर्षीय एक व्यक्ति की बीमारी के चलते स्वाभाविक मौत हो गई, लेकिन अमर उजाला और दैनिक जागरण ने तो कमाल ही कर दिया। स्वाभाविक मौत को मौसम के पलटवार से फसल बर्बाद होने के सदमे से किसान की मौत होना दर्शा दिया। ऐसा करना उनकी कोई मजबूरी नहीं थी बल्कि इस तरह से खबर प्रकाशित करने के एवज में दस-दस हज़ार रुपये मिले थे। धिक्कार है, ऐसी पत्रकारिता पर! मीडिया पर कलंक हैं ऐसे पत्रकार!

<p>एटा (उ.प्र.) : जिले के मिरहची थाना क्षेत्र के गाँव जिन्हैरा में 70 वर्षीय एक व्यक्ति की बीमारी के चलते स्वाभाविक मौत हो गई, लेकिन अमर उजाला और दैनिक जागरण ने तो कमाल ही कर दिया। स्वाभाविक मौत को मौसम के पलटवार से फसल बर्बाद होने के सदमे से किसान की मौत होना दर्शा दिया। ऐसा करना उनकी कोई मजबूरी नहीं थी बल्कि इस तरह से खबर प्रकाशित करने के एवज में दस-दस हज़ार रुपये मिले थे। धिक्कार है, ऐसी पत्रकारिता पर! मीडिया पर कलंक हैं ऐसे पत्रकार!</p>

एटा (उ.प्र.) : जिले के मिरहची थाना क्षेत्र के गाँव जिन्हैरा में 70 वर्षीय एक व्यक्ति की बीमारी के चलते स्वाभाविक मौत हो गई, लेकिन अमर उजाला और दैनिक जागरण ने तो कमाल ही कर दिया। स्वाभाविक मौत को मौसम के पलटवार से फसल बर्बाद होने के सदमे से किसान की मौत होना दर्शा दिया। ऐसा करना उनकी कोई मजबूरी नहीं थी बल्कि इस तरह से खबर प्रकाशित करने के एवज में दस-दस हज़ार रुपये मिले थे। धिक्कार है, ऐसी पत्रकारिता पर! मीडिया पर कलंक हैं ऐसे पत्रकार!

जिन्हेरा निवासी श्रीकृष्ण की विगत दिवस स्वाभाविक मृत्यु हो गई। स्वाभाविक मौत समाचार नहीं होती लेकिन कुछ पत्रकार मौके की तलाश में रहते हैं कि कुछ ऐसा हो, जो उनकी कमाई का ज़रिया बने। यहाँ कुछ इसी तरह पत्रकारों की दाल रोटी चल रही है। मौसम के पलटवार से किसानों की फसलों को काफी नुकसान हुआ और सरकार ने पीड़ित किसानों को मुआवजे की घोषणा की। इसी मौके का फायदा मिरहची के अमर उजाला पत्रकार चौधरी नेत्रपाल सिंह और दैनिक जागरण के पत्रकार कुलदीप माहेश्वरी ने उठाया। किसान की स्वाभाविक मौत को फसल बर्बाद होने का सदमा बता दिया। 

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दोनों अख़बारों में कुछ इस तरह खबर प्रकाशित हुई है- श्रीकृष्ण ने 30 बीघे जमीन पट्टे पर लेकर फसल बोई और बेमौसम बारिश ने पूरी फसल बर्बाद कर दी। फसल बोने के लिए श्रीकृष्ण ने साहूकारों से तकरीबन 5 लाख रुपये कर्जा लिया था। बारिश से फसल बर्बाद होने का सदमा किसान बर्दाश्त नहीं कर सका और हृदयाघात से किसान की मौत हो गई। 

दोनों पत्रकारों ने ये खबर जंगल में आग की तरह फैला दी और समाचार प्रकाशित कर पत्रकारों ने सरकार से मुआवजे की मांग को बुलंद किया। प्रशासनिक अधिकारियों को जब इसकी जानकारी हुई तो उपजिलाधिकारी अजीत कुमार ने जांच के आदेश दे दिए।

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ऐसा नहीं है कि क्षेत्र में कोई घटना घटे और अन्य पत्रकारों को पता न चले। हिंदुस्तान अख़बार के पत्रकार सोमेन्द्र गुप्ता को भी सूचना मिली कि जिन्हेरा गांव में एक किसान की फसल बर्बाद होने के सदमे से मौत हो गई है। वह मौके पर पहुंचे लेकिन तब तक मृतक के शव का अंतिम संस्कार किया जा चुका था। मृतक के परिज़नों से बातचीत करने के बाद हिंदुस्तान रिपोर्टर ने ग्रामीणों से बातचीत की तो पता चला श्रीकृष्ण की तो स्वाभाविक मौत हुई है। मृतक के पास कोई ज़मीन है ही नहीं और न उसने कोई ज़मीन पट्टे पर ली है। इतना ही नहीं, उसने किसी से कर्जा भी नहीं लिया हैं। इससे ज़ाहिर है कि अमर उजाला और दैनिक जागरण के रिपोर्टरों के बीच खिचड़ी जरूर पकी होगी। तभी दोनों ने अपने अखबारों में एक जैसे समाचार प्रकाशित करा लिए।

मिली जानकारी के मुताबिक मृतक श्रीकृष्ण के छोटे भाई सुरेन्द्र ने झूठी खबर प्रकाशित कराने के एवज में दोनों पत्रकारों को दस-दस हज़ार रूपये दिए हैं क्योंकि बेमौसम बारिश से सुरेन्द्र की फसल बर्बाद हुई है और वो सरकार से मुआवजा चाहता था। इसलिए पत्रकारों ने श्रीकृष्ण की स्वाभाविक मौत को सदमे की मौत का समाचार बनाकर पाठकों को परोस दिया। इतना ही नहीं प्रशासनिक अधिकारियों को भी गुमराह किया। अगर इसी तरह अख़बारों में बेबुनियादी समाचार प्रकाशित होते रहे तो कौन पत्रकारिता पर भरोसा करेगा। पाठकों की नज़र में पत्रकारिता की क्या छवि होगी। क्या झूठे समाचारों से संस्थान की छवि धूमिल नहीं हो रही है। तथाकथित पत्रकार चंद रुपये के लालच में पत्रकारिता पर कलंक लगा रहे हैं। ऐसे पत्रकारों का बहिष्कार होना चाहिए।

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लेखक अमन पठान जिला एटा के निवासी हैं. उनसे संपर्क 09456925100 के जरिए किया जा सकता है.

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