शामली (मुजफ्फरनगर) के कैराना कस्बे में दैनिक जागरण कार्यालय में घुसकर समाजवादी पार्टी के दर्जा प्राप्त मंत्री के गुंडों ने तोड़फोड़ की। हमले वजह मंत्री के खिलाफ खबर छापना बताया जा रहा है।
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झूठा वर्जन छापने पर पीसीएस अफसर का जागरण को नोटिस, साथ में काली करतूतों का सीडी भी थमाया
बुलन्दशहर के चर्चित आरटीआई सामूहिक नकल मामले में मीडिया के मैनेज होने के सबूत पुलिस के हाथ लगने के बाद अपनी लाज बचाने के लिए दैनिक जागरण के ब्यूरो रिपोर्टर सुमनलाल ने पीसीएस अधिकारी के फर्जी वर्जन सहित एक खबर छाप दी। इस पर पीसीएस अधिकारी विशाल सिंह ने दैनिक जागरण के सम्पादक को नोटिस थमा दिया है, साथ ही दैनिक जागरण की करतूत को उजागर करता आडियो भी सीडी में डालकर दे दिया है। उन्होंने कार्रवाई करने की मांग की है।
जागरण संवाददाता को पितृ-शोक
लखनऊ : दैनिक जागरण उत्तर प्रदेश व्यूरों के विशेष संवाददाता अवनीश त्यागी के छियासी वर्षीय पिता रामेश्वर प्रसाद त्यागी के निधन पर भारतीय जनता पार्टी ने दुखः व्यक्त किया है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डा0 लक्ष्मीकांत बाजपेयी ने दिवगंत आत्मा को अपनी भावभीनी श्रद्घांजलि देते हुए कहा कि समाज की अपूरणीय क्षति हुई है। दुख की इस घड़ी में भाजपा परिवार उनके साथ है।
ये है जागरण के पत्रकार की राजनीतिक समझ का तकाजा
दैनिक जागरण के दिल्ली ब्यूरो का ज्ञान भी अजीब है. चा अगस्त के अंक में ‘पी एम ने विपक्ष की ओर बढ़ाया हाथ’ न्यूज़ में एक छोटी न्यूज़ लगी है.”पुराना रहा है निलंबन का इतिहास”. इसमें 1989 में लोक सभा का स्पीकर एच के एल भगत को बताया गया है.
जागरण की खबर : इसे कहते हैं अनपढ़ पटवारी और बस्ता भारी
दोस्तो, रविवार सुबह ही जब दैनिक जागरण के रेवाड़ी संस्करण के पेज नंबर 3 पर इंसुलेटर फटने से छह घंटे गुल रही बिजली शीर्षक समाचार पढ़ा, तो वास्तव में लगा कि आज पत्रकारिता विषम दौर से गुजर रही है। जिन लोगों को खबर का बेसिक ज्ञान नहीं है, वे लोगों को ज्ञान बांटने का काम कर रहे हैं।
कड़वा सच : लाखों रुपए के बदले जागरण कर्मियों को मिली सिर्फ एक-एक डिब्बा मिठाई
मिठाई है तो मीठी ही होगी न। लेकिन दैनिक जागरण के कर्मचारियों को अनुभव हुआ है कि मिठाई कड़वी भी होती है। दैनिक जागरण की परंपरा रही है कि त्योहारों पर और विश्वकर्मा पूजा के अवसर पर कर्मचारियों को मिठाई का एक डिब्बा दिया जाता रहा है। कभी-कभी यह भी हुआ है कि कोई दो डिब्बा मिठाई झटक लेता था तो किसी को मिठाई मिलती ही नहीं थी। ठीक उसी तरह, जैसे किसी चहेते को डबल इंक्रीमेंट मिल जाता है तो कोई इंक्रीमेंट से वंचित रह जाता है।
हिंदुस्तान-जागरण से अनिल, गणेश और मनीष के बारे में सूचनाएं
दो हिंदी अखबारों दैनिक हिंदुस्तान और दैनिक जागरण में तीन पत्रकारों के इधर से उधर किए जाने की सूचनाएं हैं। दैनिक हिंदुस्तान से खबर है कि अनिल शर्मा को हिंदुस्तान बुलंदशहर का ब्यूरो चीफ नियुक्त किया गया है। गणेश मेहता को मुजफ्फरपुर (बिहार) स्थानांतरित कर दिया गया है। इसी प्रकार दैनिक जागरण मेरठ में फेरबदल किया …
भागलपुर में भास्कर की बुकिंग शुरू होते ही लुढ़के अखबारों के भाव
भागलपुर (बिहार) : यहां के प्रमुख समाचार पत्रों दैनिक जागरण, हिंदुस्तान और प्रभात खबर ने अखबारों की कीमत डेढ़ रूपये कम करते हुए अब ढाई रूपये कर दी है. रविवार का अंक तीन रूपये का होगा. दैनिक भास्कर की आहट ने तीनों अखबारों की निंद उड़ा दी है. दैनिक भास्कर की बुकिंग अठारह अप्रैल से शुरू कर दी गयी है. भास्कर निन्यानवे रूपये में एक साल तक के लिये पाठक बना रहा है. बुकिंग कराने पर कथित रूप से ढाई सौ रूपये के गिफ्ट के अलावा साढ़े सात सौ रूपये का विज्ञापन कूपन भी दिया जा रहा है. बुकिंग कराने वाले पाठकों को 75 रू प्रति माह अखबार शुल्क देना होगा.
दैनिक जागरण ने फिर छोड़ी खबर, जनहित से किया किनारा
दैनिक जागरण ने फिर एक खबर छोड़ दी है और उसने जनहित से किनारा कर यह साबित कर दिया है कि उसे जनहित से कोई सरोकार ही नहीं है, भले ही वह जनहित जागरण के जरिये लोकहित का कितना भी ढोल पीटे। वैसे इस खबर को दूसरे कई अखबारों ने भी नहीं छापा है, लेकिन दैनिक जागरण में इस खबर का न छपना यह साबित करता है कि उसका जनहित का नारा ढोंग ही है। उसे तो सिर्फ अपनी दुकान चलाने से मतलब है। शायद यही वजह है कि पाठकों का एक बहुत बड़ा वर्ग दैनिक जागरण से किनारा करने लगा है।
जागरण की नई चाल, मीडिया कर्मियों में फूट डालने के लिए फर्जी यूनियन का गठन
एक कहावत है, लतियाए रहो, लतियाए रहो। फिर भी हम किसी से कम नहीं। यही हाल है दैनिक जागरण प्रबंधन का। उसे जीत हार से कोई मतलब नहीं है। उसका एक सूत्रीय कार्यक्रम है-नीचता दिखाना। फोर्थ पिलर को कुछ ऐसे दस्तावेज मिले हैं, जो दैनिक जागरण प्रबंधन की नीचता के पुख्ता प्रमाण हैं। समझ में नहीं आता कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ऐसे नीच लोगों के साथ फोटो खिंचवाने के लिए क्यों तैयार हो गए। वह एक ऐसे पत्रकार को क्यों तवज्जो देते हैं, जिस पर दैनिक जागरण की एक कर्मचारी के यौन शोषण का आरोप है। वह ऐसे मालिकों के साथ क्यों फोटो खिंचवाते हैं, जो माननीय सुप्रीम कोर्ट की लगातार अवमानना कर रहे हैं और हजारों कर्मचारियों ने अवमानना की याचिका दायर कर उन्हें आरोपी बनाया है। इस प्रकार सुप्रीम कोर्ट समेत हजारों कर्मचारियों के साथ खेल करने वाले मीडिया औघड़ों के साथ खड़े होकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनता के बीच अपनी साख गिराई है।
अब दैनिक जागरण ने हिंदुस्तान को दिया घुमा के – अरे वो तो जनम का झूठा है, मैं हूं, मैं ही हूं नंबर वन
कहा था न कि हिंदुस्तान ने लखनऊ में अपने को नंबर एक बताते हुए दैनिक जागरण और अमर उजाला पर प्रहार किया है तो इसकी प्रतिक्रिया भी जरूर होगी। और दैनिक जागरण ने हिंदुस्तान के नंबर वन के दावे को झुठलाते हुए एक बार फिर अपने प्रतिद्वंद्वी पर तमाचेदार टिप्पणी की है। जागरण ने लिखा है कि उसका दावा बेतुका है। झूठ के पांव नहीं होते।
हिंदुस्तान ने दैनिक जागरण और अमर उजाला को फिर ललकारा, दिखाया दम का दावा ‘मैं नंबर वन’
लखनऊ : उत्तर प्रदेश से प्रकाशित हो रहे तीन शीर्ष अखबारों हिंदुस्तान, जागरण और अमर उजाला के बीच मीडिया मार्केट कब्जियाने की जंग और तेज हो चली है। रीडर सर्वे रिपोर्टों को आधार बनाकर तीनो अखबार अपनी-अपनी तरह से यूपी के पाठकों और मीडिया मार्केट को बहलाने-फुसलाने में लगे हुए हैं। दैनिक हिंदुस्तान ने ऑडिट ब्यूरो आफ सर्कुलेशन (एबीसी) की रिपोर्ट का हवाला देते हुए प्रसार की गलाकाटू प्रचार-प्रतिस्पर्धा को और हवा दे दी है। अंदेशा है, इसके बाद जागरण और अमर उजाला भी आने वाले दिनो में हिंदुस्तान पर अटैक कर सकते हैं!
संजय गुप्ता के तीन बंदर चिंटू, मिंटू और चिंदी चोर
दोस्तो, महात्मा गांधी के पास तीन बंदरों की प्रतीकात्मक मूर्तियां थीं। एक बंदर अपने कान बंद किए था, जिसका अर्थ है-बुरा मत सुनो। दूसरा बंदर अपनी आंखें बंद किए था, जिसका अर्थ है-बुरा मत देखो और तीसरा बंदर अपना मुंह बंद किए था, जिसका अर्थ है-बुरा मत कहो। लेकिन बंदर की ऐसी कोई मूर्ति नहीं बनी, जो यह संकेत दे सके कि बुरा मत करो। वास्तव में ये बंदर हमारे समाज में भी हैं, जिन्हें पहचानना ज्यादा कठिन नहीं होता है। संजय गुप्ता के तीन चम्चे तो हूबहू महात्मा गांधी के तीन बंदरों की ही तरह हैं।
दैनिक जागरण आगरा की काबिलियत का एक और कमाल- बदल डाला सरकारी सेवा का नाम !
आगरा : ऐसा लगता है, जैसे गलतियों का अम्बार लगाने में दैनिक जागरण आगरा स्वयं से ही प्रतिस्पर्धा कर रहा है। पिछले दिनों गुरुत्वाकर्षण की खोज आइन्स्टाइन से करवाने के बाद इस बार उसने एक नया कमाल यह किया है कि केंद्र सरकार की ‘त्रिवेणी योजना’ का नाम बदलकर ‘त्रिवेदी योजना’ रख दिया है।
कई दिन चुप्पी साधे रहे जागरण और अमर उजाला का आज एक साथ आईआरएस रिपोर्ट पर अटैक, निशाने पर ‘हिंदुस्तान’
इंडियन रीडरशिप सर्वे रिपोर्ट जारी होने के दिन से चुप्पी साधे रहे और आज लगभग एक सप्ताह बाद दैनिक जागरण और अमर उजाला ने एक साथ हमला बोलते हुए अपने पहले पेज पर लिखा है कि इंडियन रीडरशिप सर्वे 2014 ने फिर झूठे आंकड़ों के दम पर पाठकों को गुमराह करने की नाकाम और ओछी कोशिश की है। उसने तीन चौथाई झूठ के साथ एक चौथाई सच मिलाकर नई बोतल में पुरानी शराब पेश कर दी है। ये सर्वे रिपोर्ट गलतियों का पुलिंदा है। दैनिक जागरण ने रिपोर्ट को ‘नई बोतल में पुरानी शराब’ कहा है। जागरण ने आज नाक-भौंह सिकोड़ते हुए लिखा है कि ‘नई बोतल में तीन हिस्से पुरानी शराब भरना, उसमें थोड़ी नई शराब डालना और उसे पूरी तरह नई बताकर पेश करना, लोगों को भ्रमित करना है।’ दबे स्वर में दैनिक हिंदुस्तान को भी निशाने पर लिया गया है। हिंदुस्तान ने सर्वे रिपोर्ट जारी होने के बाद ही अपनी ‘बादशाहत’ का गुणगान कर लिया था। उसने अपनी प्रथम पेज पर प्रकाशित खबर में लिखा था कि किस तरह वह अमर उजाला और दैनिक जागरण से आगे है। उल्लेखनीय है कि अपने कार्यक्षेत्र में जागरण और अमर उजाला एक दूसरे के कट्टर प्रतिद्वंद्वी हैं लेकिन ये साझा जुगाली अचंभित करने वाली है। लगता है कि दोनो ने हिंदुस्तान को अपना मुख्य प्रतिद्वंद्वी मान लिया है। यानी हिंदुस्तान इनकी चादर छोटी कर रहा है।
जागरण से रमेश, श्रीधर और अनिल के बारे में सूचनाएं
पता चला है कि दैनिक जागरण, पंजाब से तीन पत्रकारों को इधर से उधर कर दिया गया है।
जागरण वाराणसी के कई ब्यूरो इंचार्ज इधर से उधर
दैनिक जागरण, वाराणसी के संपादकीय प्रभारी ने कई ब्यूरो चीफ को इधर से उधर कर दिया है।
दस-दस हजार रुपये लेकर अमर उजाला और दैनिक जागरण के रिपोर्टरों ने छपवाई झूठी खबर!
एटा (उ.प्र.) : जिले के मिरहची थाना क्षेत्र के गाँव जिन्हैरा में 70 वर्षीय एक व्यक्ति की बीमारी के चलते स्वाभाविक मौत हो गई, लेकिन अमर उजाला और दैनिक जागरण ने तो कमाल ही कर दिया। स्वाभाविक मौत को मौसम के पलटवार से फसल बर्बाद होने के सदमे से किसान की मौत होना दर्शा दिया। ऐसा करना उनकी कोई मजबूरी नहीं थी बल्कि इस तरह से खबर प्रकाशित करने के एवज में दस-दस हज़ार रुपये मिले थे। धिक्कार है, ऐसी पत्रकारिता पर! मीडिया पर कलंक हैं ऐसे पत्रकार!
देखते हैं, ‘मजीठिया’ से बचने को किस हद तक गिरता है जागरण
चलो करते हैं न्याय की बात। दैनिक जागरण का कार्मिक प्रबंधक रमेश कुमार कुमावत खुद प्रताड़ना का शिकार हो रहा है। यह मैं नहीं कह रहा हूं, ये साक्षात माननीय कुमावत जी के ही वचन हैं। मैं नोएडा के सेक्टर-छह स्थित कार्यालय में पुलिस अधिकारियों से मिलने गया था कि वहां रमेश कुमार कुमावत जी से मुलाकात हो गई। वह मुझसे कहने लगे-भइया मुझे क्यों फंसा दिया।
लखनऊ में जागरण का रिपोर्टर बताकर पांच लाख मांग रहा जालसाज दबोचा गया
लखनऊ : लखनऊ विकास प्राधिकरण के क्लर्क अजय कुमार वर्मा से खुद को दैनिक जागरण का संवाददाता बताकर एक जालसाज ने जब पांच लाख रुपये मांग तो वर्मा ने पुलिस को सूचना दे दी। विनयखंड, गोमतीनगर निवासी आरोपी समेंद्र नाथ शुक्ला को बाद में मेडिकल कॉलेज चौराहे के निकट पुलिस ने दबोच लिया। रिपोर्ट भी दर्ज कर ली गई है। बताया जाता है कि आरोपी प्राधिकरण में ही ठेकेदारी करता है।
दैनिक जागरण का काला पानी है ‘जम्मू यूनिट’
….दैनिक जागरण की जम्मू यूनिट में बिजली अव्यवस्था पर एक ऐसी बात बताते हैं, जिससे आपका कलेजा दहल जाएगा। जैसा कि पिछली किस्त में बता चुका हूं कि बड़ी ब्राह्मणा में दैनिक जागरण कार्यालय भवन का भूतल बहुत ही नीचे है। उसका एक नुकसान यह भी है कि विषैले जीव-जंतुओं का प्रवेश जागरण कार्यालय के अंदर होता रहता है। क्यों न हो, अब उन्हें फिंगर पंच तो करना है नहीं।
दैनिक जागरण प्रबंधन पर घरेलू हिंसा का मामला दर्ज होना चाहिए
दैनिक जागरण तो ‘ जागरण परिवार और करोड़ों पाठकों का पत्र ही नहीं मित्र भी’ के रूप में जाना जाता रहा है। ‘महान’ पत्रकार विष्णु त्रिपाठी ने ऐसा क्या कर दिया है कि वही अपने परिवार और पाठकों का शत्रु बनता जा रहा है। कर्मचारियों की प्रताड़ना की बात की जाए तो दैनिक जागरण प्रबंधन पर घरेलू हिंसा का मामला दर्ज होना चाहिए, क्योंकि वह अपने कर्मचारियों से जबरन दस्तखत करा कर उन पर हमले करा रहा है।