लक्ष्मी प्रताप सिंह-
हरियाणा में अब चुनाव आ गया है तब जाके तीसरा मंत्रिमंडल विस्तार हुआ है और मात्र एक जाट को मंत्रिमंडल मिला है जबकि जाटों को 6-8 की आशा थी. केंद्र सरकार के पूरे 7 साल निकल गए लेकिन जाट आरक्षण में कोई काम नहीं हुआ.
राज्य में भी 5 साल खट्टर सरकार रही लेकिन रिजल्ट वही शून्य बटे सन्नाटा. जो समिति बनी थी उसको हाशिये पे रखा गया और अब जब चुनाव दिखे तो उससे मुलाकात हो रही है. क्यों भाई , इससे पहले नाम याद नहीं था या एड्रेस नहीं पता था ?
किसान आंदोलन में हज़ारों जाट सड़क पर थे लेकिन तब सरकार मिलने को राजी नहीं हुयी। हरियाणा में टोल घेरे किसानो पर गृह मंत्री के ऑर्डर पे SDM अधिकारी सीधा सर पे लाठी मारने का आदेश दे रहे थे. तब जाटों की बजाय अडानी की याद आ रही थी.
यूपी चुनाव में हार दिखाई दी तो अब अमित शाह को जाट याद आये हैं. जाटों के नेता चौधरी चरण सिंह के नाती जयंत चौधरी को योगी सरकार की पुलिस ने घेर कर लाठी से मारा था. समर्थक जाटों ने न बचाया होता तो राम जाने क्या इरादा था. खैर इस बार सपा ने जयंत सिंह को सबसे अधिक सीटें दी है और उपमुख्यमंत्री का पद भी रहेगा.
किसान आंदोलन के बाद अकेले जाट ही नहीं सभी पश्चिम यूपी के किसान नेता बंधू भाजपाइयों को गाँव में घुसने नहीं दे रहे. इस लिए अमित शाह गली-गली दौड़ रहे हैं वर्ना अडानी के एजेंट ने ७०० किसानो की जान लेने के बाद भी इन्ही नेताओं से एक मीटिंग नहीं की थी.