राफेल विमान सौदे में अरबों का कांट्रैक्ट पाने वाले छोटे अंबानी यानि अनिल अंबानी का उद्योग धंधा लगभग बैठता जा रहा है। उनकी कंपनियों पर लदे कर्ज़े का भुगतान न होने से कंपनियों का एक के बाद एक दिवाला निकलता जा रहा है। अनिल अंबानी की रिलायंस कम्युनिकेशंस की सहयोगी कंपनी ग्लोबल क्लाउड एक्सचेंज (जीसीएक्स) लिमिटेड ने अमेरिका के एक कोर्ट में बैंकरप्सी प्रोटेक्शन की याचिका दाखिल की है। यानी अनिल अंबानी के स्वामित्व वाली एक और कंपनी जल्द दिवालिया होने के कगार पर है। अनिल अंबानी की कंपनी को 35 करोड़ डॉलर का एक भुगतान करना था, जिसमें असफल रहने के बाद कंपनी ने यह कदम उठाया। इसकी वजह से क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने कंपनी की रेटिंग में भी कटौती कर दी थी। इस बात की जानकारी ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट में दी गई।
जीसीएक्स के पास समुद्र के नीचे दुनिया का सबसे बड़ा प्राइवेट केबल सिस्टम है। इससे पहले जुलाई माह में जीसीएक्स ने कहा था कि उसने होल्डर्स के साथ एक समझौता किया था, जिसके तहत उसके बॉन्ड की मैच्योरिटी से संबंधित विकल्पों पर चर्चा के लिए अतिरिक्त वक्त मिलेगा। जीसीएक्स ने जुलाई मे कहा था कि उसने होल्डर्स के साथ एक समझौता किया था, जिसके तहत उसके बॉन्ड की मैच्योरिटी से संबंधित विकल्पों पर चर्चा के लिए अतिरिक्त वक्त मिलेगा। क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने पिछले महीने इसकी रेटिंग में कटौती कर उसे सीए कर दिया था, क्योंकि वह 35 करोड़ डॉलर के बॉन्ड के भुगतान में डिफॉल्ट कर गई थी। जीसीएक्स ने अपने अन्य सहयोगियों के साथ देलवारे कोर्ट में चैप्टर 11 बैंकरप्टसी प्रोटेक्शन फाइल किया था।
इससे पहले इस साल की शुरुआत में अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशंस यानी आरकॉम ने खुद को दिवालिया घोषित करने की गुहार लगाई थी. 45 हज़ार करोड़ रुपये के क़रीब क़र्ज़ को चुकाने में असफल रही रिलायंस कम्युनिकेशनंस ने इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड के तहत दिवालिया होने की अपील की है। आरकॉम ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से 4,800 करोड़ रुपये का कर्ज लिया था। बैंक ऑफ बड़ौदा से आरकॉम ने 2,500 करोड़ रुपये का कर्ज लिया था। सिंडिकेट बैंक से 1,225 करोड़ रुपये, पंजाब नेशनल बैंक से 1,127 करोड़ रुपये, चाइना डिवेलपमेंट बैंक से 9,900 करोड़ रुपये, एक्जिम बैंक ऑफ चाइना से 3356 करोड़ रुपये और स्टेंडर्ड चार्टर्ड बैंक (मुंबई-लंदन) से आरकॉम ने 2100 करोड़ रुपये का कर्ज लिया था।
मार्च 2018 में रिलायंस ग्रुप का कुल कर्ज 1.7 लाख करोड़ रुपये था। रिलायंस कम्यूनिकेशंस के अलावा समूह की चार कंपनियों पर बहुत ज्यादा देनदारी है। इस देनदारी को चुकाने के लिए ही संपत्तियों को बेचा जा रहा है। रिलायंस कैपटिल पर 38,900 करोड़ रुपये, रिलायंस पावर पर तीन हजार करोड़ रुपये, रिलायंस इंफ्रा पर 17,800 करोड़ रुपये और रिलायंस इंजीनियरिंग पर सात हजार करोड़ रुपये बकाया है।
अनिल अंबानी की डिफेंस क्षेत्र से जुड़ी रिलायंस नेवल एंड इंजीनियरिंग के ऊपर 9,000 करोड़ रुपए से ज्यादा का कर्ज है। कंपनी पिछले कई महीनों से ब्याज का भुगतान भी नहीं कर पा रही है। आईडीबीआई बैंक ने इसके लिए कंपनी द्वारा प्रस्तावित समाधान योजना को मानने से इंकार कर दिया है। साथ ही जिन बैंकों ने कंपनी को कर्ज दिया है, वे कंपनी के खिलाफ दिवालिया प्रक्रिया के लिए आवेदन करेंगे। कर्जदाताओं ने कर्ज के समाधान निकालने की संभावना से भी इंकार कर दिया है। जनवरी 2018 तक रिलायंस समूह ने रिलायंस नेवल की सहायता के लिए कंपनी में काफी निवेश किया था। निवेश किए हुए पैसे में से ज्यादातर रकम का कर्ज चुकाने के लिए प्रयोग किया गया।
गौरतलब है कि रिलायंस नेवल एक जहाज निर्माण कंपनी है और उसके पास युद्धपोत बनाने का लाइसेंस और ठेका है। भारतीय रिजर्व बैंक ने 70 लोन खातों का समाधान निकालने के लिए 30 दिन का समय दिया था। समाधान न निकलने पर बैंक ऐसे मामलों को दिवालिया कार्यवाई के लिए नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल के पास भेज सकते हैं।
इस बीच पता चला है कि अनिल अंबानी ग्रुप ने कर्ज चुकाने के लिए नॉन-कोर ऐसेट्स बिजनस बेचने का फैसला किया है। इसी रणनीति के तहत वह वेल्थ मैनेजमेंट बिजनस से बाहर निकलने जा रहा है। रिलायंस ने हाल में म्यूचुअल फंड बिजनस में अपनी हिस्सेदारी जॉइंट वेंचर पार्टनर निपॉन लाइफ को बेचने की घोषणा की थी। रिलायंस वेल्थ 3,500 करोड़ की संपत्ति मैनेज करती है।