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सुख-दुख

‘सत्तर प्रतिशत महिलाओं को आर्गैजम नहीं मिलता’ कहने वाली युवा लेखिका को मिली तेज़ाब की धमकी!

अणु शक्ति सिंह-

यह मेरा बहुत पुराना सवाल है! स्त्री काल ने पिछले दिनों हुई बात-चीत के कुछ पोस्टर्ज़ बनाए हैं। यह पोस्टर मेरा पसंदीदा है…

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“वह मरुभूमि में
पानी की फ़सल बोना चाहता है
हौले से कानों में पूछता रहता है
गहरी बारिशों के दौरान भी
तुम तृप्त तो हुईं न!”

(जब दैहिक तुष्टि या ऑर्गैज़म की बात हो, मुझे कवि रश्मि भारद्वाज की यह सुंदर कविता अनायास याद हो आती है। इससे अधिक पार्ट्नर से और क्या चाहेगी स्त्री…

इतने की ही तो बात है, फिर मानसिक तुष्टि भी मिल ही जाएगी। सेक्सुअल लोगों के लिए देह का सुख मन भी स्वस्थ रखता है।)

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बात यह है कि यह मुद्दा बेहद ख़राब है। एकदम पब्लिसिटी स्टंट है। बस लोगों की नज़र पाने को बात कह दी गई है। ऑर्गैज़म स्त्रियों का आंतरिक मुद्दा है। ठीक?

अब भले ही वे सामान की तरह इस्तेमाल की जाएँ, उन्हें अपनी सेक्सुअलिटी का ज़िक्र भूल कर भी नहीं करना चाहिए।

औरतें सेक्सुअलिटी का ज़िक्र करेंगी तो नर्क के रास्ते खुलेंगे। समाज छिन्न-भिन्न हो जाएगा। मीरा के निष्काम प्रेम के देश में काम-वासना की बात! छि: छि:!

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हाय! वो अजंता-एलोरा की चित्रकारियाँ, वो खजुराहो की मूर्तियाँ… उन्हें कोई पर्दे में बंद कर दे।

क्या फ़र्क़ पड़ता है जो दस में सात औरतों (70% औरतों) को अमूमन संतुष्टि नहीं मिलती। क्या ही बिगड़ जाता है जो उन्माद सरीखी बीमारियों के आग़ोश में कई-कई स्त्रियाँ चली जाती हैं। बंद दरवाज़ों में रिश्ते दरकते हैं, नैतिकता मुँह छिपाती फिरती है।

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बस ऐ लड़की, तुम इसे खुले आम कुछ मत कहना। तुम जो कहोगी तो पर्दा उठ जाएगा। भेद खुल जाएगा और जो सिटपिटाहट उठेगी वह तुम्हें कोसती फिरेगी।

वे जो दिन के उजाले में सफ़ेद हैं और रातों को उससे भी अधिक स्याह, वे कहेंगे क्या धरा है सेक्स में और सुख में। तुम दिमाग़ से बेहतर बनो। यह मुद्दा तो बस पंद्रह सेकंड की लोकप्रियता है। वे यह कहेंगे और पंद्रह सेकंड की लोकप्रियता में अपना हिस्सा पाने को झट एक पोस्ट कर देंगे।

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मैं नैतिकता की दुहाई देते, अनैतिकता के प्रश्न से आहत लोगों को देखूँगी और स्वस्थ सेक्स से स्वस्थ दिमाग़ के जुड़े होने का शाश्वत सत्य बयान कर दूँगी। वे फिर तिलमिलाएँगे।

उनके तिलमिलाने से क्या शरीर की भूख और तुष्टि से जुड़ा प्रश्न ख़त्म हो जाएगा? नहीं! आप कितनी भी दलीलें दे दें, अगर आप सेक्सुअल हैं आपकी भूख ऑर्गैज़म के साथ ही मिटेगी, चाहे आप इसे मस्टरबेशन से हासिल करें, कथित नैतिक तरीक़े से पाएँ या अनैतिक तरीक़े, रास्ता कोई भी हो, वह जो आख़िरी तुष्टि है, जिसे ऑर्गैज़म कहते हैं, वही चाहत है। यह अटल सत्य है जिसे आप भी जानते हैं।

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एक बात और, सेक्सुअली ऐक्टिव लोगों के लिए सेक्स की चाह पद, क्लास, पढ़ाई, उम्र, पैसा, ज़मीन, जगह और देश नहीं देखती है।

मैं उन महान आत्माओं पर केवल हँस सकती हूँ जो शारीरिक चरम सुख को किसी भी अन्य ऑर्गैज़म से विस्थापित करने की बात करते हैं। उन्हें सलाह दूँगी, दोस्त एक बार सुख लेने की कोशिश करो। इसके लिए किसी और की ज़रूरत भी नहीं। आत्म-रति यानी सेल्फ़-सेक्स से भी सम्भव है।

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मैं ट्रोलिंग से नहीं घबराती हूँ। जी भर कर गाली दीजिए। मेरी बात आपको ख़राब लगी, आप गाली देना चाहते हैं। बढ़िया, दीजिए।

इस गाली के पीछे हिंसा नहीं स्वीकृत होगी। यह व्यक्ति मुझे एसिड अटैक की धमकी दे रहा है। आपमें से कुछ म्यूचुअल को टैग कर रही हूँ।

इस व्यक्ति पर एफ़आईआर करना है। ग़ाज़ीपुर के मित्रों से अनुरोध है कि मदद करें। इसे पता चले कि एसिड अटैक जैसी चीज़ों का ज़िक्र कर यह निकल नहीं सकता है। He must be behind bar. Requesting you all to help.

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ग़ाज़ीपुर पुलिस अपना काम कर रही है। तेज़ाब हमले की धमकी वाले के ख़िलाफ़ दिल्ली में भी FIR दर्ज हो गया है। कल जब वे मेरी गिरफ़्तारी ट्रेंड करवा रहे थे, मैं इसमें व्यस्त थी। 😉

पिछले दिनों यह कमाल रहा कि प्रग्रेसिव/ नॉन प्रग्रेसिव / हिंदू मुस्लिम/ संघी/ नॉन संघी सभी समुदाय के एक तरह के पुरुष सामने आ गए । कंडीशंड महिलाएँ भी कहाँ पीछे रहीं। स्त्री-विरोधी केवल पुरुष ही तो नहीं…
अरविंद अडिगा अपनी किताब में ‘रूस्टर कूप’ फ़्रेज़ का इस्तेमाल करते हैं। कंडीशंड स्त्रियों के मसअले में यह कई बार सच साबित होता लगता है।

ख़ैर, इन अजब-ग़ज़ब चीज़ों के दरमियान एक बेहद खूबसूरत बात हुई। दुनिया भर की लड़कियों ने जितना प्रेम उड़ेला वह अभूतपूर्व था। खुले दिल वाले पुरुषों को मुहब्बत असीम।♥️

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संजीव चंदन-

‘स्त्रियां पुरुष वेश्याओं के पास जा सकती हैं यौन आनंद के लिए’, कहने वाला महिलाओं के लिए पहला विश्वविद्यालय स्थापित करने वाले महर्षि कर्वे के पुत्र प्रोफेसर कर्वे थे।

उन्होंने ऐसा यह कहते हुए कहा था कि
‘अगर प्रजनन और यौन संक्रामक बीमारियों पर रोक लग सके तो स्त्रियां भी उन्मुक्त सेक्स का आनंद ले सकें।’

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दोनो पिता पुत्र युग प्रवर्तक थे। उनका मुकदमा बाबा साहेब डा.अम्बेडकर ने 1934 में लड़ा था। उन्होंने दलील दी थी कि सेक्स पर हर बात अश्लील नहीं हो सकती है।

स्त्रीकाल में स्त्री की यौनिकता पर बात समय-समय पर होते रहती है। पिछ्ले दिनों भी ऐसी ही एक बातचीत एक सर्वे रिपोर्ट पर हुई जो यह कहती है कि विवाहेतर संबंध की ऐप्स पर 48% महिलाएं हैं।

वहीं बातचीत में शर्मिष्ठा जैसे उपन्यास की लेखिका अणुशक्ति सिंह, Anu Shakti Singh ने स्त्रियों के ऑर्गेज्म पर बात की। बात जब पोस्टर के रूप में जारी हुई तो लम्पट पुरुषों और मर्दवादियों को चोट लगनी ही थी। लगी। अणुशक्ति को ट्रोल किया जाने लगा। गालियां दी जाने लगी। गालियां तो ट्रोल्स की कुंठा का सबसे बड़ा औजार है ही।

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एक बातचीत यौन आनंद को लेकर भी हुई थी एक साल पहले और उसे साराहा गया था।

सुखद यह था कि अधिकांश महिलाओंं ने और कुछ संवेदनशील पुरुषों ने इस अभिव्यक्ति का साथ दिया। कई महिलाओं ने उनके साहसिक कथन को समर्थन भी दिया।

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(बातचीत का संचालन Manorma Singh ने किया था और भाग लेनी वाले लोगों में Monami Basu , Geeta Shree और मैं खुद था।)

कुछ महिलाएं जरूर हैं, जो ट्रोल करने भी पहुंची उन्हें। ऐसा वे करती ही हैं, आत्मपीडा आनंद में उलझी-सुलझी महिलाएं अपने पुराने स्वर्णिम दिन लौटा लाना चाहती हैं, जब उनकी नियत रसोई तक सिमटी थी, जब वे असूर्यंपश्यायें थीं।

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गाजीपुर से एक ट्रोल ने अणुशक्ति को तेजाब की धमकी भी दी। ऐसी धमकी पर इन आत्मपीडा आनन्द की महिलाओंं को कुछ बोलते नहीं पाया।

खैर, अणु साहसी हैं। अपने लेखन और कथन के साथ अडिग। उन्होंने गाजीपुर पुलिस को रिपोर्ट किया और पुलिस ने कार्रवाई की कार्यवाही शुरू कर दी।

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प्रोफेसर कर्वे की परम्परा के साथ जुड़ी अणु बाबा साहेब की स्त्री-पक्षधरता से बने एक माहौल से पैदा हुई आधुनिक पीढ़ी हैं। संविधान पर विश्वास रखती हैं। मैं जानबूझकर दो पुरुष महान व्यक्तित्वों से ही अणुशक्ति को जोड़ रहा हूँ।

हम सब इस अभिव्यक्ति और यौन आनंद की कामना के साथ हैं। कोई इस प्रसंग में साधन और साध्य की बात भी न करे। यह स्त्रियों को ही तय करने दें।

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2 Comments

2 Comments

  1. Amit

    April 29, 2022 at 1:39 pm

    आपने ये कैसे जान लिया?? आप कहती हैं नैतिकता सिर्फ स्त्री के लिए ही क्यों,क्या आपकी नजर में पूरा पुरुष समाज अनैतिक है?? आपके पिता भी तो पुरुष ही होंगे वैसे। इतनी नफरत कहां से लाती हैं?? बिल्कुल सही है आपने नाम कमाने के लिए ये बेसिरपैर की बात कही है, वरना किन औरतों का सर्वे किया ये भी बताएं। दूसरा अगर पुरुष अनैतिक होते हैं तो औरतों की संपति नहीं ले सकते आप कहती है औरते ने नैतिकता का ठेका लिया है तो पहले एकतरफा कानून हटवाएं,अनैतिक संबंध औरत बनाए फिर पति की संपत्ति में हक कैसा?? गुजारा भत्ता कैसा?? अब ये मत कहना की ऐसा कानून नहीं अनैतिक संबंध बनाने वाली औरतों को ये हक नहीं मिलते,क्योंकि इस मामले कितनी औरते सच बोलती हैं ये आपको भी पता होगा। कौन सी औरत अनैतिक संबंध बनाकर पति से तलाक लेने पर ये बात स्वीकार करेगी की उसने अनैतिक संबंध बनाए?? मतलब अनैतिक संबंध भी बनाओ और पति की संपत्ति भी ले जाओ। आदमी तो है ही चूतियां और अगर इसपर कुछ कोई बोले तो पुरुष प्रधान समाज,पिछड़ी सोच आदि कहकर उसकी जुबान पर ताला लगा दो,बाकी आप सस्ती पब्लिसिटी में लगे रहिए।

  2. रवीन्द्र नाथ कौशिक

    May 4, 2022 at 8:03 pm

    क्या मतलब? यानि जो महिलाएं कथित क्रांतिकारी लेखिका से सहमत नहीं,वे गर्हित हो गई? लेखिका को दुर्भाग्य से संतुष्टि नहीं मिलती तो घर बैठे ऐसी महिलाओं की अंगुलियों पर गिनती भी कर ली?
    मैडम जी, ससम्मान सुझाव है कि अगर अपने पति या पुरुष मित्र के साथ कोई समस्या है तो उन्हें मनोवैज्ञानिक और फिजीशियन दोनों को दिखायें। घटिया पब्लिसिटी को ड्रामा ना करें।
    और हां, हमने भी पढ़ा। कहां है तेजाब की धमकी? पुलिस रिपोर्ट से सजा हो जायेगी क्या? कोर्ट और कानून में साबित करना होता है। चलिए, नाम की चर्चा तो हो ही गई। हमने भी नाम पहली बार पढ़ा। अब कुछ अच्छा लिखा भी होगा तो कौन पढेगा? पढ़ेंगे उसे जो पढ़ने लायक हो। बहुत अच्छे-अच्छे लेखक उभर रहे हैं।

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