दया सागर-
मैंने कभी लिखा था कि टीवी चैनलों की टीआरपी पर सरकार का कब्जा रहता है. टीआरपी के खेल में सरकार जिसे चाहे नम्बर 1 चैनल बना दे. फिर बाकी सारे चैनल वही चलाएंगे जो नम्बर 1 चैनल चला रहा है.
याद कीजिए सुशांत आत्महत्या केस की फर्जी कवरेज में रिपब्लिक टीवी 20 साल से नम्बर 1 रहे चैनल आज तक को पीछे कर नम्बर 1 हो गया. और इसके बाद ‘आज तक’ भी 24×7 घंटे सुशांत केस की खबरें चलाने लगा.
ये मेरे लिए चौंकाने वाली बात थी क्योंकि लीडर खबरों के साथ समझौता कभी नहीं करता चाहे टीआरपी सीतीजी की तरह भूमि में समा जाए. तब सब चैनल यही करने लगे थे. ये उसकी और बाकी चैनलों की मजबूरी थी क्योंकि इन भोले चैनलों को लगता है कि जनता यही देखना चाहती है. तो ये तो टीवी चैनलों की समझ का स्तर है.
अब अर्णव और बार्क के पूर्व CEO पार्थो दासगुप्ता के करीब एक हजार पेज के वॉट्सऐप चैट्स सामने आए हैं तो सब साफ हो गया है. मुंबई क्राइम ब्रांच ने इसे भी अपनी चार्जशीट में शामिल कर लिया है.
कांग्रेस को मौका मिल गया है. सारे टीवी चैनल एक्सपोज हो गए हैं. अभी और खुलासे बाकी हैं. अखबार चाहे जितने ऊबाऊ हो गए हों लेकिन उनकी विश्वसनीयता अभी जिन्दा है. क्योंकि उनका प्रसार भरोसे के साथ धीरे धीरे बढ़ता है और फिर वैसे ही भरोसा गिरने पर प्रसार कम होते जाता है. एक समय आता है जब वह बाजार से गायब हो जाता है.