जम्मू : आकाशवाणी व दूरदर्शन कलाकारों के समान वेतन पाने के लिए 18 साल से संघर्ष कर रहे गीत एवं प्रभाग के कलाकारों को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद हक नहीं मिल रहा। कलाकारों की तमाम कोशिशों के बावजूद मामला सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय में लंबित पड़ा है। गीत एवं प्रभाग की स्थापना वर्ष 1954 में आकाशवाणी की ही एक इकाई के रूप में की गई थी जिस वजह से कलाकारों के भर्ती नियम, शर्ते तथा कार्य आकाशवाणी व दूरदर्शन के समान ही रखे गए। वर्ष 1958 में इस प्रभाग को लाइव मीडिया यूनिट के रूप में स्वतंत्र रूप से प्रतिस्थापित किया गया।
गीत एवं नाटक प्रभाग के कलाकारों की भर्ती नियमावली सेवा शर्ते व कार्य समान होने के बावजूद वेतनमान में भिन्नता थी। इसी बीच, पांचवे वेतन आयोग व तत्कालीन कैडर रिव्यू कमेटी ने वर्ष 1996 से इन कलाकारों को चार स्तरीय समान वेतनमान देने का अनुमोदन किया। सिफारिशों के बावजूद नए वेतनमान लागू न होने से आहत गीत एवं नाटक प्रभाग के कलाकारों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। हाईकोर्ट ने प्रभाग के हक में फैसला सुनाया तो केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में उसे चुनौती दी। सुप्रीम कोर्ट ने 25 अप्रैल 2014 को सरकार की याचिका खारिज करते हुए सिफारिशों को लागू करने का निर्देश दिया लेकिन इसके बावजूद अभी तक सिफारिशों को लागू नहीं किया गया। गीत एवं नाटक प्रभाग के कलाकारों ने केन्द्र में नवगठित मोदी सरकार से अपील की है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार उन्हें उनका हक दिया जाए।