अमर उजाला लखनऊ ने एक खबर को 23 फरवरी के अंक में पहले पेज पर प्रकाशित किया. अगले दिन 24 फरवरी को इसका खंडन भी छाप दिया.
इस तरह तिवारी जी की खबर फुस्स साबित हुई. इन खबरों से पाठकों में क्या मैसेज गया, इस पर तिवारी जी को एक खबर तैयार करने में जुटना चाहिए.
देखें दोनों खबरें-

