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लखनऊ के वरिष्ठ पत्रकार बजरंग शरण तिवारी नहीं रहे

लखनऊ। आपातकाल में अहम भूमिका निभाने वाले वयोवृद्ध पत्रकार बजरंग शरण तिवारी का बुधवार को लखनऊ स्थित संजय गांधी स्नाकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान में देर शाम इलाज के दौरान निधन हो गया। वह 92 वर्ष के थे। वह अपने पीछे अपने दो पुत्र एडवोकेट कृष्ण कुमार तिवारी व वरिष्ठ पत्रकार प्रदुम्न तिवारी समेत भरापूरा परिवार छोड़ गए हैं। उनका अंतिम संस्कार आज लखनऊ गोमती बैराज स्थित भैंसा कुंड श्मशान घाट पर किया गया।

<p>लखनऊ। आपातकाल में अहम भूमिका निभाने वाले वयोवृद्ध पत्रकार बजरंग शरण तिवारी का बुधवार को लखनऊ स्थित संजय गांधी स्नाकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान में देर शाम इलाज के दौरान निधन हो गया। वह 92 वर्ष के थे। वह अपने पीछे अपने दो पुत्र एडवोकेट कृष्ण कुमार तिवारी व वरिष्ठ पत्रकार प्रदुम्न तिवारी समेत भरापूरा परिवार छोड़ गए हैं। उनका अंतिम संस्कार आज लखनऊ गोमती बैराज स्थित भैंसा कुंड श्मशान घाट पर किया गया।</p>

लखनऊ। आपातकाल में अहम भूमिका निभाने वाले वयोवृद्ध पत्रकार बजरंग शरण तिवारी का बुधवार को लखनऊ स्थित संजय गांधी स्नाकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान में देर शाम इलाज के दौरान निधन हो गया। वह 92 वर्ष के थे। वह अपने पीछे अपने दो पुत्र एडवोकेट कृष्ण कुमार तिवारी व वरिष्ठ पत्रकार प्रदुम्न तिवारी समेत भरापूरा परिवार छोड़ गए हैं। उनका अंतिम संस्कार आज लखनऊ गोमती बैराज स्थित भैंसा कुंड श्मशान घाट पर किया गया।

बजरंग शरण तिवारी पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई के साथ आपातकाल में हुए संघर्षरत रहे। उन्होंने तरुण भारत, राष्ट्रधर्म जैसी महत्वपूर्ण पत्रिकाओं के संस्थापकों में रहे, उन्होंने इन पत्रिकाओं में समय-समय पर संपादन व विशेष भूमिकाएं निभाई। शुरू से क्रांतिकारी स्वभाव के बजरंग शरण ने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़कर देश के उत्थान में अहम योगदान दिया। उन्होंने राष्टभाषा हिंदी के उत्थान के लिए महत्वपूर्ण प्रयास किए।

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आपातकाल के समय 26 जून 1975 को तरुण भारत समाचार पत्र में कार्यरत थे और वहीं से उन्हें जेल भेजा गया। पं. दीनदयाल उपाध्याय के साथ प्रसिद्ध पत्रिका राष्ट्रधर्म के संस्थापकों में से एक थे। इसी पत्रिका के संपादक के रूप में पूर्व प्रधानमंत्री अटल विहारी बाजपेयी ने कार्य किया। बचपन से ही क्रांतिकारी स्वभाव के स्व. बजरंग शरण कलाकुंज पत्रिका से भी लंबे समय तक जुड़े रहे। अपने युवावस्था से हिंदी भाषा के लिए कार्य करने वाले स्व. बजरंग राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़े रहे।

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