लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधानसभा की कार्यवाही के दौरान मोबाइल से वीडियो बनाने वाले तथाकथित बीबीसी के पत्रकार मनीष मिश्र आजकल परेशान हैं। विधानसभा अध्यक्ष और प्रमुख सचिव विधानसभा के निर्देश के बाद मनीष समेत तीन पत्रकारों के विधानसभा कार्यवाही कवर करने पर रोक लग चुकी है। बताया जा रहा है कि इन मीडियाकर्मियों के संस्थानों को भी इनकी कारगुजारियों से अवगत कराने का निर्देश दिया जा चुका है, लिहाजा बीबीसी के तथाकथित संवाददाता परेशान हैं।
सोमवार को मनीष मिश्र विधानसभ के पटल पर बैठकर पत्रकारों का विधानसभा कवरेज पास बनाने वाले एक और मिश्रा जी से जुगाड़ लगाते दिखे। जाति-बिरादरी जोड़ते दिखे। मनीष ने पास बनाने वाले मिश्रा जी को किसी देवी देवता का भभूत देकर मनाने की कोशिश करते भी दिखे। इसके बाद पास बनाने वाले मिश्रा जी ने वादा किया कि वे जो कहते हैं, वो करके दिखाते हैं। आप टेंशन ना लो आप का काम हो जाएगा। मिश्रा जी ने ये भी बताया कि प्रमुख सचिव विधानसभा विदेश से लौटने वाले हैं, उनसे मिलकर भी जुगाड़ लगा लो, मैं काम कर दूंगा।
इस मामले की गहराई तक जाने पर पता चला कि विधानसभा सचिवालय की तरफ से कथित बीबीसी पत्रकार की शिकायत का पत्र भेजा जाने वाला है. अब इसी को लेकर पत्रकार महोदय परेशान हैं। उन्होंने पास बनाने वाले मिश्रा जी को बताया कि फिलहाल उन्हें काम करने से मना किया गया है। आगे अगर शिकायत हो गई तो उनका नवीनीकरण नहीं हो पाएगा। उन पर बैन लग जाएगा। बीबीसी के पत्रकार ने यह भी कहा कि जो लोग मेरे बीबीसी संवाददाता होने पर सवाल उठाते हैं, वे खुद पत्रकार नहीं हैं। फिलहाल इस मामले में कुछ पुराने पत्रकार भी बीबीसी के कथित संवाददाता की मदद कर रहे हैं।
अब देखना है कि मिश्र एंड मिश्रा कंपनी अपने एजेंडे में सफल होती है या विधानसभा से शिकायती पत्र बीबीसी को भेजा जाता है। वैसे वहां मौजूद कुछ लोगों का आरोप है कि मनीष मिश्र बीबीसी के संवाददाता नहीं है, क्योंकि बीबीसी ने रामदत्त त्रिपाठी के बाद अभी तक किसी की नियुक्ति नहीं की है। मनीष शायद इसलिए ज्यादा परेशान हैं कि कहीं विधानसभा सचिवालय की तरफ से पत्र जाने के बाद उनका भेद ना खुल जाए। या उन्हें किसी कानूनी दिक्कत का सामना ना करना पड़ जाए।
भड़ास को भेजे गए पत्र पर आधारित।
मूल ख़बरः