अमित चतुर्वेदी-
ग्रूप D यानि सरकारी नौकरी का सबसे निचला पायदान, और उसमें भी निकली भर्ती के लिए 1.15 करोड़ बेरोज़गारों की ऐप्लिकेशन आती हैं। दुनिया में कम से कम सत्तर से ज़्यादा देश हैं जिनकी जनसंख्या ही एक करोड़ से कम है, तो सोचिए, सत्तर से ज़्यादा देशों की जनसंख्या से भी अधिक लोग हमारे देश में रेलवे के ग्रूप D बनना चाह रहे हैं।
बेरोज़गारी की स्थिति कितनी भयंकर होगी इस देश में इस बात का अंदाज़ा आप ख़ुद लगा सकते हैं….
असल में वर्तमान नवयुवकों की पीढ़ी आज़ादी के बाद की चौथी पीढ़ी है, और इनमें से ज़्यादातर के पिता और दादा ने थोड़ा बहुत ही सही लेकिन पढ़ने और नौकरी के लिए संघर्ष करने लायक़ धन बचा लिया है इसीलिए स्थिति अभी उतनी ख़तरनाक नहीं दिख रही जितनी की वास्तव में है, लेकिन बेरोज़गारी की स्थिति का असली परिणाम हम कुछ सालों बाद भुगतेंगे…
क्यूँकि अभी भी देश में अवेयरनेस के नाम पर ख़ाली चुटकुले बाज़ी चल रही है, ख़ाली बैठा युवा विद्रोह न करे इसीलिए बहुत सस्ता इंटर्नेट चल रहा है और इंटर्नेट में लुभावने शॉर्ट विडीओज़ चल रहे हैं..
इससे समस्या खतम नहीं हो रही, बस टाली जा रही, लेकिन एक दिन विस्फोट होना तय है…देखिए और कितने दिन मनोरंजन में मन बहलाते हैं युवा…