कहने को तो ये बड़े अखबार कहलाते हैं लेकिन रुपये पैसे के मामले में होते ये बेहद नीच हैं. टर्न ओवर बढ़ाने के चक्कर में किसी किस्म की करतूत कर लेते हैं. दो पैसे हथियाने-बचाने के लिए ये कुछ भी तिकड़म लगा लेते हैं. दैनिक भास्कर का एक नया कारनामा प्रकाश में आया है.
झाबुआ जिले में दैनिक भास्कर ने बिना अनुमति लिए सहकारी समितियों को विज्ञापन छाप दिया. इन सहकारी समितियों को पता भी नहीं चला कि उनका विज्ञापन क्या और कब छपा. इन्हें जानकारी तब मिली जब दैनिक भास्कर की तरफ से विज्ञापन का बिल भुगतान के लिए पहुंचा.
ये बिल देखकर कर्मचारी दंग रह गए. लोग कहने लगे कि झाबुआ जिले में दैनिक भास्कर सहकारी समितियों से जबरन वसूली कर रहा है. समितियों वालों को पता ही नहीं कि उनके विज्ञापन छपे. बस, सीधे बिल पहुंचा दिया. मामला बड़े अफसर तक पहुंचा. जांच पड़ताल के बाद उपायुक्त सहकारिता ने दैनिक भास्कर के बिल और दावे को फर्जी पाया. इसके बाद भुगतान न करने का पत्र जारी कर दिया. देखें दैनिक भास्कर का बिल और भुगतान न करने का सरकारी आदेश-