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छत्तीसगढ़

कांग्रेसी सीएम भूपेश बघेल भी अडानी के आगे लंबलेट हो गए!

आखिरकार छत्तीसगढ़ के कांग्रेसी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी अडानी जैसे बड़े कारपोरेट के आगे लंबलेट हो ही गए. छत्तीसगढ़ के कोरबा ज़िले में गिधमुड़ी और पतुरिया कोयला खदान को कांग्रेस पार्टी की सरकार ने अडानी की कंपनी को सौंपने का फ़ैसला कर लिया. थोड़ा तो धैर्य रखते महाराज!

बताइये, अब कांग्रेस कैसे विरोध करेगी मोदी सरकार के उस फैसले का जिसमे कुछ दिनों पहले ही पर्यावरण मंत्रालय की फॉरेस्ट एडवाइजरी कमिटी ने छत्तीसगढ़ के परसा कोयला खंड की माइनिंग से जुड़े स्टेज- 1 को अनुमति दी है यानी सैद्धांतिक रूप से ये कोल माइनिंग के लिए हरी झंडी दी है इस ओपन-कास्ट माइनिंग के लिए 2000 एकड़ में फैले जंगल का सफाया होगा क्योंकि इस तरह की माइनिंग में मिट्टी और जंगल को हटाकर ही कोयला निकाला जाता है कोयला इनके नीचे होता है.

यहाँ भी अडानी की कंपनी कुछ दूसरी कंपनियों के साथ मिल कर इन कोयला खदानो में एमडीओ यानी माइन डेवलपर कम ऑपरेटर के तौर पर कोयला खनन का काम करने जा रही है जबकि यही कांग्रेस अभी तक एमडीओ के तौर पर कोयला खनन का विरोध करती आई थी.

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बीबीसी लिखता है कि इस एमडीओ को ही तमाम तरह की पर्यावरण स्वीकृतियां लेने, भूमि अधिग्रहण करने, कोयला खनन और परिवहन करने समेत तमाम काम करने होते हैं. यानी कहने को तो खदान सरकार या सार्वजनिक क्षेत्र को आवंटित होती है लेकिन खदान पर पूरा नियंत्रण निजी कंपनी का ही होता है.

कमाल की बात तो यह है कि एमडीओ के विचार को भारतीय कोयला इंडस्ट्री से जुड़े किसी कानून की मान्यता प्राप्त नहीं है. यहाँ तक कि यह कोल माइन्स एक्ट में भी नहीं है,और ये ना तो केंद्र और ना ही कोयला मंत्रालय के निरीक्षण का विषय है. दरअसल सच तो यह है कि कोयला खदानों के आवंटन में पारदर्शिता का ये अभाव सुप्रीम कोर्ट के 2014 के फैसले का उल्लंघन है. किसी भी एमडीओ की दर और दूसरी शर्तों को आज तक सार्वजनिक नहीं किया गया है. यहाँ तक कि एमडीओ की दर और दूसरी शर्तों को सूचना के अधिकार में उपलब्ध कराए जाने के संसद में सरकार के दावे के बाद भी छत्तीसगढ़ में राज्य सूचना आयोग भी इसे उपलब्ध करा पाने में असफल साबित हुआ है.

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छत्तीसगढ़ में अडानी समूह के पास एमडीओ के तौर पर पहले से ही चार कोयला खदानें थीं, अब इसमें गिधमुड़ी और पतुरिया कोयला खदान भी जुड़ने वाली हैं.

अब आप लगभग 1 साल पहले के भूपेश बघेल के ट्वीट पढिए जिसमे वो कहते हैं ‘राजस्थान, महाराष्ट्र और गुजरात की PSU को CG में खदानें मिलीं, MDO अडानी की कंपनियों को और अब ये राज्य बाज़ार से भी महंगे दामों पर अडानी से कोयला ख़रीद रही हैं. अडानी तो पिछले दरवाज़े से कोयला ख़दानें देने के लिए मोदी सरकार ने MDO का रास्ता निकाला है’.

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लेकिन अब सरकार में आने के बाद छत्तीसगढ़ में कांग्रेस पार्टी ने भी कोयला खनन के लिए एमडीओ का रास्ता अपनाते हुए अडानी को ही चुना है.

है ना कमाल! चचा गालिब तो पहले ही लिखकर चले गए हैं-

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अब काबा किस मुंह से जाओगे ‘ग़ालिब’
शर्म तुम को मगर नहीं आती!

इंदौर निवासी विश्लेषक गिरीश मालवीय की एफबी वॉल से.

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