
संजय कुमार सिंह-
वैसे तो पवन खेड़ा के ताजा बयान “इंडिया गठबंधन ने 14 पत्रकारों का बायकॉट नहीं किया है। बल्कि यह एक तरह का असहयोग आंदोलन है” विवाद खत्म हो जाना चाहिए लेकिन एंकरों के बायकाट की घोषणा सही हो या गलत, बेमतलब हो या बेहद जरूरी सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी पर भारी दबाव तो है ही। इसका असर उसकी विज्ञप्ति पर है और इससे उसका स्तर समझा जा सकता है।

पवन खेड़ा का ट्वीट भी दिखा था, अब नहीं दिख रहा है पर खबर तो है ही। अब वीडियो भी आ गया है। इसके अनुसार, “हमने किसी का बहिष्कार नहीं किया, कल अगर वे अपनी ग़लती स्वीकारते हैं तो हम उनके कार्यक्र में फिर जाएंगे।”
दूसरी ओर बायकाट इन एंकरों के लिए तो कलंक है ही और यह उनके साथ आजीवन रहेगा। कम से कम उनकी पीढ़ियां तो याद करेंगी ही और झेलेंगी भी। ऐसे में भाजपा ने उनके बचाव में जो बयान जारी किया है वह भी कम शर्मिन्दा करने वाला नहीं है। इसकी भाषा और इसका स्तर भी शर्मनाक है। यह अलग बात है कि यह सब प्रधानमंत्री का ही स्तर है। पर वह अलग मुद्दा है। क्योंकि व्यक्ति महत्वपूर्ण नहीं होता है। पार्टी और संघ परिवार ज्यादा महत्वपूर्ण है। ऐसे में कहने की जरूरत नहीं है कि भारत में ऐसे लोगों को बहुमत मिल जाना
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का अपमान है जो सामूहिक रूप से किया गया है और लगातार किया जा रहा है।
अब बायकाट की घोषणा की भाषा देखिये, रोज़ शाम पाँच बजे से कुछ चैनल्स पर नफ़रत की दुकानें सजायी जाती हैं। हम नफ़रत के बाज़ार के ग्राहक नहीं बनेंगे। हमारा उद्देश्य है ‘नफ़रत मुक्त भारत’। बड़े भारी मन से यह निर्णय लिया गया कि कुछ एंकर्स के शोज़ व इवेंट्स में हम भागीदार नहीं बनें। हमारे नेताओं के ख़िलाफ़ अनर्गल टिप्पणियाँ, फेक न्यूज़ आदि से हम लड़ते आएँ हैं और लड़ते रहेंगे लेकिन समाज में नफ़रत नहीं फैलने देंगे। मिटेगी नफ़रत ~ जीतेगी मुहब्बत।
हालांकि घोषणा यह नहीं है, घोषणा अंग्रेजी में थी जो हिन्दी में कुछ इस तरह होगा, इंडिया मीडिया कमेटी द्वारा लिये गये निर्णय, 14 सितंबर 2023। इंडिया कोऑर्डिनेशन कमेटी द्वारा 13 सितंबर 2023 की बैठक में लिये गए निर्णय के अनुपालन में इंडिया पार्टियां निम्नलिखित एंकर के शो और आयोजनों में अपने प्रतिनिधि नहीं भेजेंगी।
इसके जवाब में जारी भाजपा की विज्ञप्ति देखिये और गौर कीजिये कि अधिकृत विज्ञप्ति में भी इंडिया समूह को इडी एलायंस कहा गया है जबकि सामान्य नियम है कि नाम जो जैसे लिखे उसका नाम उसी तरह लिखा जा सकता है। लोकतंत्र में विरोधी या विपक्षी के प्रति यह व्यवहार बताता है कि लोकतंत्र में कितनी आस्था है। वैसे भी, हम निंदक नियरे राखिए ऑंगन कुटी छवाय वाले लोग हैं पर पार्टी ऐसी बातों का उपयोग सिर्फ वोट लेने के लिए करती है, व्यवहार में यह सब है ही नहीं। और यह सिर्फ नेता का मामला नहीं है हर समर्थक ऐसा ही नजर आता है।
Comments on “बायकाट अगर कलंक है तो यह समर्थन शर्मनाक”
हमें लगता है भाजपा ने विज्ञप्ति निकाल कर बता दिया है कि जिन ऐंकरें बाईकाट किया है वो उनके अघोषित प्रवक्ता हैं वरना उनको विज्ञप्ति निकाल ने की जरूरत क्या थी |
ये भी पत्रकारिता ही है जिसकी भाषा किसी सड़क छाप से कम नहीं है. इंडी गठबंधन एनडीए को क्या क्या बोलता था भूल गए या याद है? लोकतंत्र उसी देश के पीएम को बिच्छू बोलने से बढ़ जाता है? लोकतंत्र खतरे में होते हुए भी आप जैसे लोग सड़क छापों की तरह भाषा बोल रहे हैं क्योंकि विरोध करने वालों को पैसे एड से ज्यादा मिल रहे होंगे. एड हर सरकार देती है ताकि संस्थान के इम्पलोई काम कर सकें. संस्थान तो रवीश और अभिसार ने भी खोला है और उनके मानना है की जो मोदी के खिलाफ बोलेगा वो जेल जायेगा पर इंतजार है की उन्हें क्यों नहीं भेजा गया ?
श्रीमान संजय कुमार जी,
जब नेताओ के दलाल और चारा चोरों के समर्थक पवन खेड़ा ने पत्रकारों को लेकर बखेड़ा खड़ा किया उस समय तो आपके मुंह में दही जम गया था। आपको पता है कांग्रेस इस बदजुबान नेता की वजह से छोटे शहरों में और ग्रामीण स्तर पर पत्रकारिता कर रहे पत्रकार साथियों के लिए कितनी मुसीबत खड़ी हो है-? अगर ऐसी स्तिथि में किसी पत्रकार की जान पर आती हैं तो उसके जिम्मेदार ये चारा चोर समर्थक होंगे क्या-?
जब भाजपा पत्रकारों के समर्थन में आई तो आप जैसे चरण चुम्बन वाले लोगो के मुँह खुलने लगे-? धिक्कार है ऐसे पत्रकारों पर जो अपने ही साथियों का साथ न दे सके।।
पत्रकार एकता जिंदाबाद।
राहुल सिसौदिया