चंडीगढ़ प्रेस क्लब रविवार 7 मार्च को तक़रीबन जंग का मैदान बन गया। कोरम पूरा होने के बाद जनरल बॉडी मीटिंग चल रही थी। पिछले कार्यकाल की गतिविधियों और कार्यकलाप का लेखा-जोखा बैठक पटल पर प्रस्तुत करने के बाद नए सेशन के पदाधिकारियों के चुनाव के लिए चर्चा शुरू हुई। क्लब के संविधान के मुताबिक हर साल के मार्च महीने के आखिरी रविवार को क्लब के नए पदाधिकारियों का चुनाव होता है। इसी के मद्देनजर मीटिंग के आखिरी राउंड में चुनावी चर्चा का आगाज़ हुआ।
बता दें कि कोविड19 के कारण बीते साल के मार्च महीने में क्लब के आम चुनाव नहीं हो पाए थे। कोरोना के कारण क्लब कई महीने बंद रहा है। अनेक कर्मचारियों को कोरोना हो भी गया था। यानी क्लब पूरी तरह लॉकडाउन की चपेट में था। जिस तरह से बार काउंसिल आदि संस्थाओं के चुनावों पर एक तरह से पाबंदी लगी थी, उसी तरह प्रेस क्लब का भी चुनाव प्रतिबंधित था। बाद में थोड़ी छूट मिलने पर बीते नवंबर में क्लब के चुनाव हुए और पिछले पदाधिकारी व कार्यकारिणी के लोग पुनः सत्तासीन हो गए।
रविवार की मीटिंग में सत्ता पक्ष और विपक्ष इसलिए तीखे तेवर में आमने सामने हो गए क्योंकि क्लब पॉवर पर काबिज पक्ष अभी चुनाव कराने के पक्ष में नहीं है। पर विपक्ष यानि पावरहीन खेमा इसी मार्च में चुनाव कराने पर अड़ गया। इस खेमे ने क्लब संविधान की दुहाई जोरशोर दी। लेकिन सत्तारूढ़ पक्ष कोरोना का रोना लेकर बैठ गया। इनके वक्ताओं ने कोरोना का ऐसा विकराल खाका पेश कर दिया मानों क्लब व चंडीगढ़ शहर की सारी गतिविधि पूर्णविराम लगाकर सन्नाटे में सो गई हो।
विपक्ष ने भी पूरे आक्रोश से क्लब संविधान की धाराओं को पटल पर परोस दिया। साथ ही पांच राज्यों में हो रहे चुनावों का भी पूरी ताकत से उल्लेख किया। दलील दी कि कोरोना के अप-डाउन काल में सरकार ने तो किसी चुनाव पर विराम नहीं लगाया। चुनाव आयोग तो राज्य विधान सभाओं के चुनाव धड़ाधड़ कराये जा रहा है।
बावजूद इसके आलम यह रहा कि सत्ता पक्ष कुर्सी छोड़ने के लिए रत्ती भर भी राजी नहीं दिखा। विपक्ष चुनाव कराने पर अडिग रहा। इसी चक्कर में दोनों पक्ष अनुशासन व अन्य मर्यादाओं को पूरी तरह भूल गए। स्थिति मारपीट, गुत्थम गुत्थे की आ गई। कई गुस्साए महानुभावों के होंठ अपशब्दों से बुदबुदाते भी देखे सुने गए।
गनीमत रही कि कुर्सियां नहीं उछाली गयीं। पूरा सीन किसी सदन का रहा, जहां दोनों पक्ष किसी मुद्दे को लेकर कहासुनी, गालीगलौच, मारपीट, तोड़फोड़, बेइंतहा हंगामे पर उतर आते हैं। चंडीगढ़ प्रेस क्लब का नज़ारा देख कर क्लब वेटरन मेंबर सदमे में आ गए। कई के मुंह से बरबस निकल गया- ‘ये दूसरों को ज्ञान बांटने वालों का समागम है या असभ्य जाहिलों का जमघट।’
इस हंगामी माहौल में चुनाव का एलान नहीं हो पाया। कब होगा, ये भी किसी ने बताने की जहमत नहीं उठाई।
एक रोचक बात यह रही कि एक युवा सदस्य ने गोदी मीडिया की चर्चा की। कहा कि जैसे गोदी मीडियाबाज आज बेपर्दा गो गए हैं उसी तरह क्लब में भी ऐसे लोगों को चिन्हित करके बेनकाब किया जाना चाहिए।