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सुख-दुख

चटनी!

Yashwant Singh-

कृतज्ञ होने के लिए हजार मौके हर क्षण मिलते हैं। पर जब चटनी बना कर तैयार कर लेता हूँ तो विधाता को धन्यवाद ज्ञापित करने के लिए आतुर हो जाता हूँ। क्या ग़ज़ब चीज़ है चटनी। मुझे ये चटनी हर महान डिश से थोड़ी ऊँचाई लिए हुए लगती है। कभी कभी ब्लैकहोल सरीखी लगती है चटनी। किचन की हर चीज़ को अपनी तरफ़ खींचती। कुछ भी डाल दो चटनी में, वो फिर अपना नाम पहचान खोकर बस चटनी में तब्दील।

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कल सब्ज़ी मंडी से जंगली करेला, सिंघाड़ा (पानी फल), टिंडा, धनिया, मूँगफली के बिना भुने दाने आदि ले आया। पहले से कई चीजें फ्रिज में पड़ी थीं। ये सब कुछ मिक्सर में डालने लगा। लहसुन अदरक टमाटर भी। आख़िर में नमक, नींबू और सरसों तेल डालकर चखा। अहा! जन्नत।

कुछ न मिले, बस चटनी रोटी मिल जाए तो जीवन कट जाए। एक गिलास मट्ठा मिल जाए तो खुद के vvip होने का आभास हो जाए।

कितनी सुंदर चीज़ है चटनी। ये किचन किंग है। सब कुछ समाहित संयोजित हो बस एक रंग, एक तरल!

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कोई कोई लोग चटनी में दही डालकर देसी घी और हींग का तड़का मार देते हैं। भाई साहब क्या जानलेवा ख़ुशबू होती है। मुझे अपने इर्द गिर्द ऐसा ही तड़का मार माहौल चाहिए होता है।

कभी कभी चटनी चाटते हुए कहने का मन होता है कि हे ईश्वर, तूने ये जो चीज़ आज इस क्षण पेश किया है, इसके लिए अपन जन्म जन्मांतर तक कृतज्ञ रहेंगे।

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आप अगर खाने पकाने के शौक़ीन हैं तो पकवान के विज्ञान और इसके सौंदर्यशास्त्र को बखूबी समझते जीते होंगे। अक्सर मुझे लगता है कि मनुष्यता की सबसे नायब खोज पर चर्चा की जाए तो चटनी टॉप टेन में जगह बनाएगी। अमरत्व का रास्ता चटनी से होकर जाता है।

सौ बरस के एक वैद्य के किचन में जाकर देखा था तो चौंक गया था। वहाँ बस चटनी थी। भाँति भाँति की चटनी। सुबह के लिए चटनी। दोपहर के लिए चटनी। रात वाली चटनी।

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वो बिना नमक डाले चटनी में एक गिलास पानी मिलाते और पी जाते। हो गया उनका भोजन। गया अंदर अदरक लहसुन प्याज़ पुदीना आदि का पेस्ट! बोलो भला, कोई रोग क्या होगा इन्हें!

चटनी जीवी बन जाना दरअसल में निर्वाण पाने जैसा है। मोक्ष पाए लोग सिर्फ़ चटनी चाटते हैं। भोजन प्रेम की मंज़िल है चटनी। इसके बाद कोई भोजन नहीं लुभाता। चटनी तक पहुँचने से पहले बहुत से भोजन पकवान से होकर गुजरना पड़ता है। आख़िर तक साथ रह जाए, आख़िर में शेष रह जाए चटनी!

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आप जब कभी चटनी बनाएँ या खाएँ तो मुझे ज़रूर याद कर लें। शायद थोड़ी ख़ुशबू थोड़ा स्वाद मेरे तक पहुँच जाए।

आई लव यू चटनी जी!

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