यशवंत सिंह-
मोदी जी के राज में जो भी काम होता है धूम धड़ाके के साथ होता है और इसे भव्य इवेंट बना दिया जाता है। ज़ाहिर है इसमें पैसा खर्च होना ही है। ट्रेन में घूमने वाले चूहों को ही ले लीजिए। इन्हें पकड़ने पर प्रति चूहा इकतालीस हज़ार रुपये खर्च हुए हैं!

हालाँकि एहतियातन ये चूहा पकड़ने वाला काम गाजे बाजे के साथ भव्य इवेंट बना कर नहीं किया गया क्योंकि इस शोरगुल से चूहों के भाग जाने का खतरा था। लेकिन खर्च तो बड़ा होना ही था क्योंकि चूहों को पकड़ने के लिए पूरा रेलवे स्टाफ़ कई कई दिनों तक लगा रहा।
आप अगर ये विश्व रिकॉर्ड स्थापित करने वाला नासा संस्तुत अभियान नहीं देख पाए थे तो पक्का राष्ट्रद्रोही आदमी होंगे।
एक न पकड़े गए चूहे ने नाम पहचान न उजागर करने की शर्त पर बताया कि वो भक्त चूहा है, सारे कांग्रेसी चूहे पकड़वाने के लिए मुखबिरी उसी ने की। इस काम में भक्त आईटी सेल भी ज़ोर शोर से लगा था। ऐसे में खर्च तो होना ही था।
उधर अति उच्च पदस्थ विश्वस्त सूत्रों ने बताया है कि पकड़े गए चूहों को मुल्लों को टाइट करने के लिए पाकिस्तान छोड़ दिया गया है। उन चूहों को मिशन पर भेजने से पहले नहला धुलाकर विधि विधान से ब्रेन वाश कर और दंड माफ़ी का एलान कर भगवा वाशिंग मशीन में धुला गया फिर कमल छाप सदस्यता दिलाई गई। तत्पश्चात भामाकीजै नारे लगवाए गए। उसके बाद उन्हें दुश्मन मुलुक रवाना कर दिया गया।
एजेंसीज के सूत्रों ने बताया कि मिशन सफल रहा और राष्ट्रभक्त चूहों ने दुश्मन मुल्क का बहुत सारा खाद्यान्न ज़मींदोज़ कर दिया जिससे महंगाई आसमान पर पहुँच गई। गेहूँ की फसल चौपट किए जाने से आटा महँगा हो गया। तो इस तरह पूरे चूहा अभियान पर प्रति चूहा इकतालीस हज़ार रुपये खर्च आया है जो अभियान का समय और दायरा देखते हुए कुछ भी नहीं है। बोलो भामाकीजै! हैप्पी बड्ढे मोदी जी, भक्त चूहों की तरफ़ से प्रणामी क़ुबूल करें!!