Connect with us

Hi, what are you looking for?

सुख-दुख

हम तो कहीं नहीं गए फिर कोरोना कैसे हो गया?

दिनेश राय द्विवेदी-

एसिंप्टोमेटिक कोरोना संक्रमित व्यक्तियों की संख्या कुल संक्रमित व्यक्तियों की 80% तक हो सकती है. इन व्यक्तियों को खुद पता नहीं होता कि वह कोरोना के संक्रमित हैं. उन्हें कोई लक्षण भी नहीं होता. वे अपना काम करते रहते हैं तथा समाज में खुले मिले रहते हैं.

Advertisement. Scroll to continue reading.

लॉकडाउन या कर्फ्यू के दौरान जब आप अपने घर में हैं तब कोई भी व्यक्ति जो आपके काम करने वाली बाई, सफाई कर्मी, एससी या कूलर ठीक करने वाला, या अन्य कोई भी व्यक्ति एसिंप्टोमेटिक हो सकता है और वह आपके बंद मकान में या फ्लैट में आने के बाद बोलने से, खांसने से, छीनने से या हवा में सांस लेने से आपके घर की हवा में कोरोना वायरस को छोड़ सकता है.

इस तरह कोरोनावायरस आपके घर तक पहुंच सकता है. आप कहते हैं कि हम तो कहीं गए नहीं फिर भी संक्रमण कैसे हुआ? तो यह संक्रमण इस तरह होता है. आपसे अनुरोध है कि आप इन दिनों अपने घर या फ्लैट में किसी भी बाहरी व्यक्ति को प्रवेश देने से पूरी तरह बचें.

Advertisement. Scroll to continue reading.

लिफ्ट इस्तेमाल करने से बचें. अत्यावश्यक होने पर मास्क बल्कि डबल मास्क लगाए बिना उसे घर में न आने दें और अधिक देर न रुकने दें. उस दौरान और उसके बाद कई घंटों तक घर में वेंटिलेशन ठीक रखें, खिड़कियां दरवाजे खोल दें, और सारे एग्जॉस्ट फैन चालू कर दें.

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement