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सुख-दुख

योगी राज में युवा उद्यमी के संघर्ष को मिली जीत, करप्ट अफसरों का गिरोह हारा

Ashwini Kumar Srivastava : योगी राज में देर तो है….अंधेर नहीं! क्रिसमस पर सांता क्लॉज़ मेरे जीवन का अब तक का सबसे बेहतरीन तोहफा लेकर आये हैं…और वह है, सरकारी तंत्र के भ्रष्टाचार में फंसकर ढाई बरस की भयंकर देरी से तकरीबन दम ही तोड़ चुके हमारे आवासीय प्रोजेक्ट की मंजूरी। ईश्वर की कॄपा से अब हमारे मार्ग की हर वह बाधा दूर हो चुकी है, जिनसे घिर कर हम न जाने कितनी मुश्किलों में आन फंसे थे। हालांकि शासन को भी सुनवाई आदि प्रक्रिया में लगभग ढाई महीने का समय जरूर लगा लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी के शिकायत तंत्र ने अंतत: मुझे न्याय दिलवा ही दिया। ढाई बरस से जिस फ़ाइल को सरकारी तंत्र में बैठे एक भ्रष्ट अफसर ने बिना किसी की परवाह किये रोक रखा था, उसे आखिरकार मजबूर होकर, बेमन से और बिना एक भी दमड़ी की घूस लिए ही मंजूर करके मुझे देना ही पड़ गया।

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मेरे द्वारा की गई इस अफसर की शिकायत को पीएमओ और चीफ मिनिस्टर आफिस ने सही पाते हुए मेरे हक में यह फैसला दिया है….और वह भी बिना किसी सोर्स सिफारिश के या बिना एक भी पैसे की घूस दिए हुए ही। इसलिए अब मैं अपनी ही कही हुई बात में सुधार करते हुए यह स्पष्ट कर रहा हूँ कि योगी राज में देर तो है, पर अंधेर नहीं….कम से कम मेरे लिए तो अब नहीं है। जिस तरह मैंने एक आम नागरिक की ही तरह अपने हक की यह लड़ाई लड़ी थी और केंद्र व राज्य सरकार के सुनवाई तंत्र ने उस पर मुझे न्याय दिलवाया है, उससे मुझे अब यह उम्मीद जग गयी है कि कोई भी व्यक्ति इस सरकार में भ्रष्टाचार या किसी भी अन्य अन्याय आदि के खिलाफ बिना किसी हिचक और भय के लड़ाई लड़ सकता है।

इस लड़ाई में खुल कर मेरा साथ देने वाले Bhadas4media के Yashwant Singh का तो मैं दिल से बहुत ज्यादा आभारी हूँ। जिस समाज में ज्यादातर लोग खुद के खिलाफ हुए अन्याय या भ्रष्टाचार के विरुद्ध नहीं खड़े हो पाते, उस समाज में यशवंत जी जैसे लोग भी हैं, इस पर मुझे आज भी यकीन ही नहीं होता…लेकिन यह मैंने न सिर्फ अपने मामले में बल्कि हमेशा देखा है कि यशवंत जी मेरे जैसे न जाने कितने अंजान लोगों के साथ अन्याय के खिलाफ जंग में एक ऐसा बिगुल बनकर बनकर साथ खड़े हो जाते हैं, जिससे हर अन्यायी की रूह तक कांप जाती होगी।

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इस कामयाबी तक पहुंचने में मेरे माता-पिता का आशीर्वाद तो हमेशा ही निस्वार्थ रूप से मेरे साथ रहा है लेकिन एक और शख्सियत ऐसी हैं, जिनके आशीर्वाद के बिना मेरा यहाँ तक पहुंच पाना नामुमकिन था। वह हैं डीएवी के पूर्व प्रॉक्टर और लखनऊ के बेहद सम्मानित व रसूखदार इंसान श्री राम शंकर तिवारी ‘दादा’। वैसे तो उनका सहयोग व आशीर्वाद बचपन से ही मुझे हमेशा ही मिलता आया है। लेकिन नौकरी छोड़कर रियल एस्टेट में उतरने के बाद अगर मैं कहीं कुछ भी हासिल कर पाया हूँ तो वह सिर्फ दादा की ही बदौलत है।

जापान में रह रहे मेरे बड़े भाई को उनकी बहुत छोटी सी उम्र से ही ‘दादा’, उनकी पत्नी, जिन्हें हम बुआ जी कहते हैं, और उनके समूचे परिवार ने हमेशा पुत्रवत स्नेह दिया है। भैया की ही वजह से दादा व उनके परिवार ने मुझे भी हमेशा अपने परिवार का ही एक अंग माना है। दादा का जिक्र मैंने इससे पहले कभी नहीं किया क्योंकि ऐसा करके मैं कभी भी यह एहसास नहीं दिलाना चाहता हूँ कि उन्होंने अब तक जो भी मेरे लिए किया, उसका ऋण मैं सिर्फ धन्यवाद कहकर या आभार जताकर ही चुका दूंगा।

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दरअसल, माता-पिता और भाई-बहनों यानी अपने परिवार के बाद दादा के ही एहसानों का ही ऐसा ऋण मुझपर चढ़ गया है, जो मैं शायद कभी चुका ही न पाऊं। बहरहाल, मुझ पर अपनत्व की बारिश करने वाले और दिल से मेरा भला सोचने वाले हर उस शख्स का मैं शुक्रगुजार हूं, जो मुझसे दूर है या मेरे कहीं आस-पास ही है। मैं जानता हूँ कि खुशी की इस घड़ी में सबका नाम लेकर आभार व्यक्त कर पाना अभी संभव नहीं है लेकिन जुबां पर नाम भले ही न आ पाया हो लेकिन मेरा अजीज और खैरख्वाह हर इंसान हमेशा मेरे दिल में बसता है…और सबको पता है कि मैं दिल से जिसको मानता हूँ, उसका जिक्र सबके सामने करूँ न करूँ, उसे हमेशा सर माथे पर ही बिठाकर रखता हूँ। ईश्वर की अनुकंपा, परिजनों व मित्रों समेत आप सबका स्नेह और बड़ों का आशीर्वाद मुझ पर हमेशा यूँ ही बना रहे, बस यही कामना करता भी रहता हूँ।

अश्विनी कुमार श्रीवास्तव की एफबी वॉल से. अश्विनी दिल्ली में नवभारत टाइम्स, दैनिक हिंदुस्तान, बिजनेस स्टैंडर्ड जैसे बड़े अखबारों में लंबे समय तक पत्रकारिता करने के बाद कई साल से यूपी की राजधानी लखनऊ में बतौर रीयल इस्टेट उद्यमी सक्रिय हैं.

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पूरा प्रकरण है क्या… इसे विस्तार से जानने-समझने के लिए नीचे दिए शीर्षकों पर क्लिक करें….

रिश्वत के लिए फाइल पर कुंडली मार कर बैठ जाता है ये अफसर, कंप्लेन पर पीएमओ भी सक्रिय

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”लीडा के वरिष्ठ परियोजना प्रबंधक एसपी सिंह ने हमारी फाइल को मोटी घूस की वजह से रोक रखा है”

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यूपी के एक दुखी युवा उद्यमी का दर्द- ”योगी जी के राज में देर भी है, अंधेर भी”

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एक बिल्डर का आरोप- ”योगी जी के सजातीय एसपी सिंह निरंकुशता और भ्रष्टाचार की जीती जागती मिसाल बन चुके हैं”

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0 Comments

  1. Rahul Dubey

    December 23, 2017 at 5:20 am

    Congratulations Ashu, not only that you now believe that Modi and Yogi will never tolerate corruption and react to people’s compliant, but also to see your Dream project back on track now.. Great going Bhai

  2. Ashwini Kumar Srivastava

    December 23, 2017 at 5:20 am

    एक आम आदमी की तरह भ्रष्ट सरकारी तंत्र से लड़ कर भी जीत जाना….यकीन ही नहीं होता कि सरकारी तंत्र में इस कदर सुधार भी हो सकता है। राहुल भाई, तुम्हारी ही तरह मुझे मेरे ही कई रिश्तेदार अफसरों ने भी कहा था कि नरेंद्र मोदी और योगी ने सरकारी तंत्र को अब बहुत बदल दिया है और यहां अब सबकी सुनवाई हो रही है…तब मुझे कभी यकीन ही नहीं हुआ। लेकिन प्रत्यक्ष किम प्रमाणं…खुद मैंने जब भ्रष्टाचार के खिलाफ इतनी बड़ी लड़ाई इतनी आसानी से जीत ली तो अब कैसे नहीं इसे मानूँगा….शुभकामनाओं के लिए धन्यवाद राहुल भाई…

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