Vikram Singh Chauhan : मेरे पिता श्री नारायण सिंह चौहान (वरिष्ठ पत्रकार ) द्वारा सुप्रीम कोर्ट में छत्तीसगढ़ के कैम्पा फण्ड (Compensatory Afforestation Fund Management and Planning Authority (CAMPA)) में भ्रस्टाचार पर दाखिल जनहित याचिका सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार कर ली हैं। सुप्रीम कोर्ट के लताड़ के बाद केंद्र ने 2009 में उजड़े वनों के लिए फिर से वनीकरण (Afforestation) हेतु इस कोष का गठन किया था।
इस कोष में छत्तीसगढ़ सरकार को 1800 करोड़ की राशि मिलनी थी जिसमें से 400 करोड़ उन्हें मिल चुकी हैं। इस पैसे से राज्य के आईएफएस, आईएएस और मंत्रियों ने खूब ऐश किया और केंद्र के गाइडलाइन के साथ सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों की भी अवहेलना की। इसी पैसे से महँगी गाड़िया खरीदी गई और बंगले बनवाए गए। करीब 100 करोड़ की राशि इन्होंने डकार लिया। मेरे पिता को भी वन माफिया और आईएफएस लॉबी ने मानसिक तौर पर खूब प्रताड़ित किया और कई बार आरटीआई में जानकारी देने से भी इंकार किया। बावजूद इसके उन्होंने हार नहीं मानी। करीब 3000 पन्नों का दस्तावेज बताते हैं कि राज्य के एक दर्जन आईएफएस अधिकारी इस मामलें में भ्रस्टाचार को सीधे दोषी हैं। पिता जी की ओर से सुप्रीम कोर्ट में इस मामलें की पैरवी मशहूर अधिवक्ता कॉलिन गोन्साल्वीज कर रहे हैं।
विक्रम सिंह चौहान के फेसबुक वॉल से.