लखनऊ : “मायावती की सहारनपुर के दलित काण्ड पर चुप्पी क्यों?” यह बात आज एस.आर. दारापुरी, भूतपूर्व आई.जी. व प्रवक्ता उत्तर प्रदेश जनमंच एवं सस्यद, स्वराज अभियान ने प्रेस को जारी ब्यान में कही है. उनका कहना है कि एक तरफ जहाँ मायावती हरीशंकर तिवारी के घर पर दबिश को लेकर बसपा के प्रदेश अध्यक्ष को गोरखपुर भेजती है और विधान सभा से वाक-आऊट कराती है वहीं मायावती सहारनपुर के शब्बीरपुर गाँव में दलितों पर जाति-सामंतों द्वारा किये गए हमले जिस में दलितों के 60 घर बुरी तरह से जला दिए गए, 14 दलित औरतें, बच्चे तथा बूढ़े लोग घायल हुए में न तो स्वयम जाती है और न ही अपने किसी प्रतिनिधि को ही भेजती है. वह केवल एक सामान्य ब्यान देकर रसम अदायगी करके बैठ जाती है.
इसके इलावा शब्बीरपुर के दलितों पर हमले के दोषी व्यक्तियों की गिरफ्तारियां तथा दलितों को मुयाव्ज़ा तथा न्याय दिलाने के लिए आवाज़ उठाने वाली भीम सेना से बिलकुल पल्ला झाड़ लेती है. वर्तमान में पुलिस भीम सेना के लगभग तीन दर्जन सदस्यों की गिरफ्तारियां करके उनका उत्पीड़न कर रही है और मायावती बिलकुल खामोश है. क्या मायावती का यह कृत्य उसकी सर्वजन की राजनीति का ही हिस्सा नहीं है जिस में दलितों की अपेक्षा सवर्णों के हित अधिक हावी हैं? मायावती को इस मामले में अपनी चुपी का जवाब ज़रूर देना पड़ेगा.
श्री दारापुरी ने आगे कहा है कि जबसे उत्तर प्रदेश में जोगीजी की सरकार बनी है तब से जाति-सामंतों के हौसले बहुत बुलंद हो गए हैं और वे खुल कर अल्पसंख्यकों और अब दलितों पर हमले कर रहे हैं. सरकार द्वारा निष्पक्ष कार्रवाही न करके उन दबंगों को ही संरक्षण देने की सबसे बड़ी उदाहरण सहारनपुर के सांसद राघव लखनपाल शर्मा द्वारा 20 अप्रैल को पहले बिना अनुमति आंबेडकर जुलूस निकाल कर दलित और मुस्लिम संघर्ष कराने का प्रयास करने तथा बाद में पुलिस अधीक्षक के घर पर तोड़फोड़ करने पर भी उसके खिलाफ कोई भी कार्रवाही न किया जाना है. यदि उक्त मामले में लखनपाल शर्मा के विरुद्ध कानूनी कार्रवाही हो गयी होती तो जाति-सामंतों के हौसले इतने बुलंद नहीं होते और शायद शब्बीर पुर में दलितों पर हमले का काण्ड भी नहीं होता. इससे पूरे प्रदेश में अल्पसंख्यकों और दलितों में असुरक्षा की भावना व्याप्त हो गयी है.
एस.आर.दारापुरी
प्रवक्ता, उत्तर प्रदेश जन मंच
सदस्य स्वराज अभियान
मोब: 9415164845
इसे भी पढ़ें….
सहारनपुर कांड : आठ प्रदेशों के सामाजिक संगठनों की 28 प्रतिनिधियों वाली समिति ने जांच रिपोर्ट पेश की, आप भी पढ़ें
xxx