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क्या आपने कांग्रेस कार्यकर्ताओं के ‘शक्ति’ नेटवर्क के बारे में सुना था?

लगभग सभी अखबार और न्यूजचैनल को मुख्यमंत्री कौन होगा – जानने और बताने की जल्दी है। मेरा मानना है कि बहुमत न हो और बहुमत जुटाना हो तो इस खास योग्यता वाले को निर्विवाद रूप से मुख्यमंत्री चुना जा सकता है लेकिन जब जनता ने किसी को मुख्यमंत्री नहीं चुना हो और निर्वाचित विधायकों तथा संबंधित पार्टी के आलाकमान को निर्णय करना हो तो इसमें समय लगेगा।

किसी विशेष कारण से आलाकमान कोई नाम तय कर दे या विधायक दल को करना पड़े तो बात अलग है। पर लोकतांत्रिक प्रक्रिया से चयन में समय लगेगा जबकि आसानी से नाम तय होने का मतलब यही है कि आदेश पालन हुआ या मजबूरी में कोई नाम तय कर लिया गया। लोकतांत्रिक प्रक्रिया में विश्वास नहीं रखने वाले जल्दी में तय नामों पर सवाल नहीं उठाते हैं। देरी पर सवाल उठा रहे हैं।

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जहां तक अखबारों में खबर और फॉलो अप की बात है, मध्य प्रदेश में कमलनाथ का नाम तय हो गया राजस्थान छत्तीसगढ़ में नहीं हो पाया है। फॉलोअप खबर यही होगी। लेकिन यह रूटीन खबर होगी। असली खबर (अगर हो पाए) तो यह होगी कि आखिरकार चुनाव का आधार क्या रहा। जिसे चुना गया उसे क्यों और जो दूसरे दौड़ में थे उन्हें क्यों नहीं, किसने उनसे यह बताया, बताया कि नहीं और उनका क्या कहना है। अब खबरें ऐसे नहीं होती हैं जहां रिपोर्टर कुछ अंदर से निकाल लाता है। कोई खुलासा करता है।

आज के ज्यादातर अखबारों में कमलनाथ मुख्यमंत्री होंगे – इस एक लाइन की खबर को लीड बनाया गया है पर राजस्थान में सचिन पायलट और अशोक गहलौत आमने-सामने हैं यह खबर पृष्ठभूमि में कर दी गई है। शीर्षक में भी यह सूचना कम है। यही नहीं, हिन्दुस्तान टाइम्स में पहले पन्ने पर एक खबर है, मुख्यमंत्री के चयन में राहुल गांधी ने पोर्टल पर निजी संदेश की सहायता ली। इस नेटवर्क का नाम शक्ति है और इससे बूथस्तर के 4 मिलियन (40 लाख कार्यकर्ता जुड़े हुए हैं)। इसे पढ़कर मुझे भाजपा, प्रधानमंत्री और नरेन्द्र मोदी से जुड़े ऐप्प के बारे में छपी खबरों की याद आई और लगा जैसे पत्रकारों को इस नेटवर्क की सूचना ही नहीं है।

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हिन्दुस्तान टाइम्स ने कमलनाथ को मुख्यमंत्री चुने जाने की खबर को लीड बनाया है। शीर्षक का अनुवाद होगा, “पुराने नेता के लिए नया कार्यकाल”। इंडियन एक्सप्रेस ने भी इस खबर को लीड बनाया है और शीर्षक है, चुनाव के बाद चयन से जूझ रही है कांग्रेस। फ्लैग शीर्षक है, दावेदारों से वार्ता में सोनिया, प्रियंका राहुल से जुड़ीं। छह कॉलम के इस शीर्षक के नीचे तीन कॉलम में खबर है कि मध्य प्रदेश में कमलनात मुख्यमंत्री होंगे जबकि राजस्थान और छत्तीसगढ़ का फैसला नहीं हुआ है। दो कॉलम की खबर में बताया गया है कि सचिन बनाम गहलौत का मामला सड़कों पर पहुंचा।

टाइम्स ऑफ इंडिया में भी यह खबर लीड है, मध्य प्रदेश में कमल खिला, राजस्थान के लिए वार्ता देर रात तक चली। इंट्रो है, गहलौत का नाम आगे पायलट समर्थकों ने विरोध किया। कुल मिलाकर खबर यह है कि मुख्यमंत्री का चयन उतना आसान नहीं है जितना राहुल गांधी बता रहे थे। पर इस खबर को कम महत्व देकर यह बताया जा रहा है कि मध्य प्रदेश के लिए चयन हो गया या कमलनाथ मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री होंगे।

वैसे तो आज के अखबारों में विधानसभा चुनाव के फॉलोअप की जो ‘खबर’ है उसमें मेरी दिलचस्पी नहीं थी और सामान्य ढंग से खबरें छप रही होतीं तो मैं मुख्यमंत्री पद के लिए चुने गए उम्मीदवारों के नाम जानने के लिए इंतजार करता। पर सभी अखबार जल्दबाजी में लगे तो मैंने यह देखना तय किया कि कुछ खबर है या सिर्फ प्रमुखता दी जा रही है। न जाने क्यों, ज्यादातर अखबारों ने मुख्य खबर को दबा दिया है और यह बता रहे हैं कि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ होंगे।

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इसके साथ कुछ न भी बताया जाए तो यह समझ में आता है कि दोनों बाकी राज्यों के मुख्यमंत्री का चयन एक-दो दिन में हो जाएगा। पर इस सूचना को भी महत्वपूर्ण बनाकर पेश किया गया है जबकि राजस्थान के विवाद को हल्के में देखा-दिखाया जा रहा है। आप जानते हैं कि इसे बताने के लिए तोड़ फोड़ और आगजनी की फोटो का मतलब नहीं है। पर कुछ अखबारों ने उससे भी काम चलाया है। इसके मुकाबले आज टेलीग्राफ की प्रस्तुति फिर अनूठी है।

टेलीग्राफ ने राहुल गांधी के एक ट्वीट को बनाया है। उन्होंने लियो टॉल्सटॉय के एक कथन, “संयम और समय सबसे बलवान योद्धा हैं” को ट्वीट करते हुए अपने साथ ज्योतिरादित्य सिंधिया और कमलनाथ की फोटो जारी की थी। बाद में इसे ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी जारी किया किया। टेलीग्राफ ने पूरे मामले को दो हिस्से में बांट कर पेश किया है। पहला युद्ध और शांति – कमलनाथ मुख्यमंत्री और दूसरा शांति और मुख्यमंत्री (की घोषणा) का इंतजार बनाया है। खबर के पहले पैरे में ही बताया गया है कि मध्य प्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया को मना लिया गया और पुराने नेता कमलनाथ मुख्य मंत्री होंगे। राजस्थान में भी सचिन पायलट को मना लिए जाने की खबर है और वहां अशोक गहलौत का मुख्यमंत्री बनना तय है। यह खबर दूसरे अखबारों में इतनी प्रमुखता से नहीं है।

ज्यादातर हिन्दी अखबारों में भी आज खबर ऐसे ही है। इंडियन एक्सप्रेस या टेलीग्राफ की तरह हिन्दी अखबारों में आज राजस्थान पत्रिका और हिन्दुस्तान ने लिखी है। नवभारत टाइम्स ने आज भी शीर्षक में प्रयोग किया है। नवभारत टाइम्स में लीड का शीर्षक है, “दिन भर महाभारत के बाद कमल बने MP के नाथ”। MP का मतलब मेंबर ऑफ पार्लियामेंट भी होता है। ऐसे में मध्य प्रदेश को मप्र भी लिख सकते थे। और कमलनाथ बने मुख्यमंत्री में मध्य प्रदेश की जरूरत नहीं होती। हालांकि, मुख्यमंत्री तो शपथ लेने के बाद बनेंगे। इसलिए बने की जगह बनेंगे होना चाहिए। नभाटा का शीर्षक कल भी गड़बड़ था और आज फिर अजीब किस्म का है। लगता है हलवा में चाट मसाला डाल दिया गया हो। वैसे तो इस खबर के साथ राजस्थान के विवाद की खबर भी है। पर प्रस्तुति शीर्षक की ही तरह भटकी हुई है।

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नोट : तीन दिन छुट्टी मनाउंगा। कोई खास बात नहीं हुई तो 18 दिसंबर के अखबारों की चर्चा के साथ फिर मिलूंगा।


वरिष्ठ पत्रकार और अनुवादक संजय कुमार सिंह की रिपोर्ट। संपर्क : [email protected]

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