जिस गांधी को दूसरों के अधिकारों की लड़ाई लड़ने के लिए जाना जाता है, उन्हीं के नाम पर स्थापित महात्मा गाँधी अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय में दूसरों के अधिकारों का खुल्लेआम हनन हो रहा है। मामला एमफ़िल में ऐडमिशन का है। वर्धा से एक हजार किलोमीटर दूर बलिया का रहने वाला अभिजीत सिंह एमफिल जनसंचार में प्रवेश के लिए आवेदन करता है। 29 जून 2019 को प्रवेश परीक्षा वर्धा में आयोजित होती है। 5 घन्टे की मार्जिन लेकर चलने पर भी ट्रेन 6 घन्टे की देरी से पहुंचने के कारण वह 45 मिनट देरी से परीक्षा सेंटर पर उपस्थित हो पाता है। इस कारण उसे परीक्षा में बैठने का मौका नहीं मिला।
वह वापस अपने गांव बलिया आ गया। इसी बीच 18 जुलाई 2019 को विश्वविद्यालय के कार्यकारी कुलसचिव प्रोफेसर कृष्ण कुमार सिंह की तरफ़ से पत्र जारी होता है कि कतिपय विसंगतियों के संबंध में जनसंचार विभाग के अध्यक्ष की अनुशंसा को स्वीकार करते हुए सक्षम प्राधिकारी के निर्देशानुसार जनसंचार विभाग के पीएचडी, एमफ़िल व एमए पाठ्यक्रमों की प्रवेश प्रक्रिया निरस्त की जाती है।
वह कौन सी विसंगति थी, आज तक उसके बारे में कोई जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई है। 20 दिन बाद 8 अगस्त को प्रवेश समिति के अध्यक्ष प्रोफेसर मनोज कुमार एक पत्र जारी करते हैं जिसमें लिखा है कि एमफ़िल जनसंचार में प्रवेश हेतु आवेदन करने वाले समस्त अभ्यर्थियों को सूचित किया जाता है कि उनकी प्रवेश परीक्षा व इंटरव्यू 23 अगस्त को समता भवन वर्धा में आयोजित है।
वह लड़का अभिजीत दुबारा वहां जाता है, परीक्षा देता है, इंटरव्यू देता है। 26 अगस्त को विश्वविद्यालय वेबसाइट पर प्रवेश समिति के अध्यक्ष प्रोफेसर मनोज कुमार एमफ़िल जनसंचार में प्रवेश हेतु चयनित अभ्यर्थियों की सूची जारी करते हैं। इसमें दूसरे स्थान पर अभिजीत सिंह का नाम रहता है। 28 अगस्त को अभिजीत ऐडमिशन लेने के लिए विश्वविद्यालय जाता है। वहां उसको प्रवेश फॉर्म दिया जाता है। फॉर्म भरने के बाद जब वह जमा करने जाता है तो लेने से मना कर दिया जाता है कि आपका प्रवेश रोक दिया गया है।
कारण पूछने पर कोई कुछ बताने को राजी नहीं था। केवल कहा जाता रहा कि आदेश जारी हो रहा है। कुलसचिव का कहना था कि मुझे प्रवेश रोकने के बारे में जानकारी नहीं है। वहीं मनोज कुमार से जब वह मिलता है तो उनका कहना था कि उपर से जो आदेश आता है, उसी का पालन कर रहा हूं। प्रवेश समिति के अध्यक्ष द्वारा 8 बजे के करीब वेबसाइट पर पत्र जारी होता है कि 29 जून की परीक्षा में शामिल नहीं होने के कारण सक्षम प्राधिकारी के निर्देशानुसार अभिजीत सिंह की 23 अगस्त की उपस्थिति अमान्य कर उनका प्रवेश निरस्त किया जाता है। प्रश्न यही उठता है कि जब दुबारा उन्हीं लोगों को बुलाना था तो आवेदन करने वाले सभी लोगों को क्योँ बैठाया गया?
जब रिजल्ट जारी कर दिया गया तो किसके दबाव में आकर सक्षम प्राधिकारी प्रवेश समिति अध्यक्ष पर अपने ही आदेश को बदलने के लिए कहे?
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Comments on “महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय विवि में नमूनों की भरमार, एक छात्र के करियर से यूं किया खिलवाड़!”
उच्च शिक्षा भगवान भरोसे अब
ये एक विभाग का मामला नही है बल्कि पूरे विश्वविद्यालय का हाल है। अभी जो संघ के झंडे के खिलाफ अपनी बात रखता है, जो सच बोलने लिखने की हिम्मत रखता है वो इस विश्वविद्यालय के छात्र नही बन सकता।
रहा सवाल जनसंचार विभाग का तो 29 जून को हुई परीक्षा इस लिए रद्द कर दी जाती है क्योंकि संघ से जुड़े विद्यार्थीयो का चयन नही होता बल्कि वामपंथी, अम्बेडकरवादी और पढ़ेंने लिखने वाले छात्रों का चयन हो जाता है जो संघी कुलपति को नागवार लगता है तो उस परीक्षा को लेकर कतिपय कारण का हवाला देते हुए परीक्षा रद्द कर देते है। कार्यवाही के नाम पर विभाग के विभागध्यक्षय कृपा शंकर चौबे को बर्खास्त कर देते पर परीक्षा प्रभारी मनोज कुमार पर कार्यवाही से बचा लेते है।
असल खेल 23 aug को पुनः परीक्षा के नाम पर होता है जिसमे सुबह 10 बजे लिखित परीक्षा होती है फिर दोपहर 03 बजे बिना कॉपी जांच किये सभी लिखित परीक्षा में शामिल अभ्यार्थीयों का Interview ले लिया जाता है जो पूर्णतः गलत है। सोमवार के एक सूची जारी कर तीन सामान्य छात्रों के चयन का notice निकाल दिया जाता है बिना बिना लिखित परीक्षा और Interview का अंक प्रदर्शित किया। एक मात्र obc अभ्यर्थी राजेश कुमार जो पहले की परीक्षा में चयन होता है पर 23 aug की परीक्षा में जानबूझ fail कर दिया जाता है। क्योंकि संघी vc को ये पता है कि संघीयों के विरोधी दो चार छात्र भी बचे रह गए तो नागपुर में उनकी class लगा दी जाएगी।
हिंदी विश्वविद्यालय में छात्रों के साथ इस प्रकार का प्रसाशनिक खिलवाड़ कोई पहली घटना नहीं है इसके पहले भी जनसंचार के एमफिल और पीएचडी 2018-20 की प्रवेश परीक्षा में छात्रों के कैरियर के साथ खिलवाड़ किया गया था।
इस बार तो हद ही कर दिया गया जो छात्र लिखित परीक्षा में अच्छे नंबर लाते हैं वे बहुमुखी प्रतिभा के छात्र होते हुए भी इन्टरव्यू में कम नंबर दिया जाता है जिससे कि वे एग्जाम क्वालीफाई न कर सके।
इनपर प्रश्न तो तब खड़े होते हैं जब 6सीट में से गनरल के तीन छात्रों को लेने के बाद 2 ओबीसी सीट और 1 st/sc सीट को यह कह कर नही भरा जाता है कि आए हुए छात्र एग्जाम पास नहीं कर पाए ।जब कि ओबीसी के दो सीटों के लिए मात्र 1 कंडीडेट आया था।