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एस्सार टेप ने साफ कर दिया है कि देश को नेता नहीं बल्कि बड़े बनिए चलाते हैं (जानिए किसने किससे क्या बातचीत की)

नरेंद्र मोदी क्यों हैं चुप…. केजरीवाल की बोलती क्यों है बंद….

एस्सार समूह की तरफ से देश के प्रमुख कारोबारियों, अफसरों और नेताओं की बातचीत को रिकॉर्ड कराने के मामले में हंगामा नहीं दिख रहा है. नीरा राडिया टेप मामले में काफी हंगामा हुआ था. एस्सार फोन रिकॉर्डिंग (2001 से 2006 के बीच) राडिया टेप से पहले की है और ये रिकॉर्डिंग राडिया टेप से कम विस्फोटक नहीं है. राडिया टेप मामले में अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया और प्रशांत भूषण ने पत्रकार वार्ता करके सार्वजनिक तौर पर टेप की कुछ क्लिपिंग सुनाई थी और कहा था कि टेप से राजनीति और कार्पोरेट के बीच का भ्रष्टाचार उजागर हो गया है. इन लोगों ने मुकेश अंबानी पर कई गंभीर आरोप भी लगाए.

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नरेंद्र मोदी क्यों हैं चुप…. केजरीवाल की बोलती क्यों है बंद….

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एस्सार समूह की तरफ से देश के प्रमुख कारोबारियों, अफसरों और नेताओं की बातचीत को रिकॉर्ड कराने के मामले में हंगामा नहीं दिख रहा है. नीरा राडिया टेप मामले में काफी हंगामा हुआ था. एस्सार फोन रिकॉर्डिंग (2001 से 2006 के बीच) राडिया टेप से पहले की है और ये रिकॉर्डिंग राडिया टेप से कम विस्फोटक नहीं है. राडिया टेप मामले में अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया और प्रशांत भूषण ने पत्रकार वार्ता करके सार्वजनिक तौर पर टेप की कुछ क्लिपिंग सुनाई थी और कहा था कि टेप से राजनीति और कार्पोरेट के बीच का भ्रष्टाचार उजागर हो गया है. इन लोगों ने मुकेश अंबानी पर कई गंभीर आरोप भी लगाए.

लेकिन अब केजरीवाल बदल से गए हैं. सत्ता में आने के एक केजरीवाल ने अंबानी और राडिया टेप का मुद्दा भुला दिया. राडिया टेप मुद्दा मीडिया से गायब हो चुका है. अब जो एस्सार लीक्स के रूप में नया फ़ोन टैपिंग विवाद सामने आया है इसमें सबसे ज्यादा अंबानी परिवार (मुकेश अंबानी, अनिल अंबानी और टीना अंबानी) के फोन रिकॉर्ड किए गए हैं. एस्सार समूह और अंबानी समूह की कारोबारी दुश्मनी पुरानी है. इतने बड़े खुलासे के बाद भी दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल इस मामले पर चुप हैं.

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आरोप है कि केजरीवाल की चुप्पी इसलिए भी है क्योंकि सीनियर एडवोकेट प्रशांत भूषण ने आरोप लगाया है कि आप नेता और पूर्व पत्रकार आशीष खेतान खुद एस्सार के लाभार्थी हैं. प्रशांत ने आशीष खेतान पर 2-जी घोटाले में एस्सार के लिए पक्षपातपूर्ण रिपोर्ट लिखने का आरोप लगाया था. ज्ञात हो कि राडिया टेप सामने लाने में प्रशांत भूषण की अहम भूमिका रही थी. 2-जी घोटाले के मामले में भी वो एस्सार इत्यादि आरोपी कंपनियों के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं.

राडिया और एस्सार टेप कांड से पता चता है कि लोकतंत्र के सभी खंभों विधायिका, न्यायपालिक, कार्यपालिका और मीडिया को आसानी से ‘मैनेज’ किया जा सकता है. टेप की अधिकांश बातचीत रिलायंस इंडस्ट्रीज के ईद-गिर्द घूमती है. रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी अपनी कंपनी के डायरेक्टर सतीश सेठ से बात कर रहे हैं. वह बीजेपी के दिवंगत नेता प्रमोद महाजन के जरिये सुप्रीम कोर्ट को मैनेज करने की बात कर रहे हैं. वह कह रहे हैं कि अजय सिंह और तत्कालीन चीफ जस्टिस के साथ बैठक के जरिये यह किया जा सकता है. यह बातचीत 1 दिसंबर, 2002 की है.

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एस्सार टेप ने साफ कर दिया है कि देश को नेता नहीं बल्कि बड़े बनिए चलाते हैं. ये बड़े बनिए जिन्हें कॉरपोरेट के नाम से जाना जाता है संसद, नौकरशाह और बैंक तक को खरीदने और उनकी निष्ठा तय करने की ताकत रखते हैं. एस्सार टेपकांड ने साफ कर दिया है कि न्यायपालिका, संसद और नौकरशाहों को खरीदने और उनकी निष्ठा तय करने का कारोबार यूपीए सरकार के पहले एनडीए के काल में भी होता रहा है.

एस्सार के एक पूर्व कर्मचारी ने करीब 11 सालों तक अवैध तरीके से फोन की टैपिंग की और इसके दायरे में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का प्रधानमंत्री कार्यालय भी था. एस्सार के जिस कर्मचारी के नेतृत्व में फोन टैपिंग के इस ऑपरेशन को अंजाम दिया गया, वह अब व्हिसल ब्लोअर बन चुका है. सुप्रीम कोर्ट के वकील सुरेन उप्पल एस्सार के पूर्व कर्मचारी अलबासित खान की तरफ से इस मामले को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ध्यान में ला चुके हैं. खान उस वक्त एस्सार में सिक्योरिटी और विजिलेंस विभाग के हेड थे और इसी दौरान फोन की टैपिंग की गई. खान ने 2011 में कंपनी छोड़ दी थी.

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एस्सार टेप का खुलासा राडिया गेट से पहले की कहानी बताता है. कहानी, लोकतंत्र को मैनेज करने की, सरकार और संसदीय समिति के फैसले को प्रभावित करने की. कैबिनेट में अपनी पसंद के मंत्रियों को बिठाने की ताकत. न्यायपालिक को घूस देकर अपनी मर्जी के फैसले लिखवाने की. बजट तक को बदलवाने की जिद. एस्सार टेप लोकतंत्र के हर कोने में रिलायंस की पहुंच और साथ में कॉरपोरेट की आपसी गलाकाट स्पर्धा को भी बयां करता है.

29 जनवरी, 2003 को अनिल अंबानी और सतीश सेठ की बातचीत रिकार्ड की गई है. इस बातचीत में यह साफ सुना जा सकता किस तरह से रिलायंस शिवानी भटनागर हत्याकांड को मैनेज करने की कोशिश कर रही थी ताकि बीजेपी नेता प्रमोद महाजन को बचाया जा सके. कंपनी इस मामले में किस तरह अमर सिंह की मदद से संसद में हो रहे हंगामे को दबाने में सफल रही. शिवानी भटनागर इंडियन एक्सप्रेस की पत्रकार थीं. 1999 में पूर्वी दिल्ली में उनके घर पर ही उनकी हत्या कर दी गई थी. भटनागर हत्याकांड में अब बरी हो चुके पूर्व पुलिस अधिकारी रविकांत शर्मा की पत्नी मधु शर्मा ने तत्कालीन संसदीय कार्य मंत्री प्रमोद महाजन पर हत्या का आरोप लगाया था.

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28 नवंबर, 2002 की बातचीत में सपा में शामिल हुए नेता अमर सिंह और तत्कालीन समता पार्टी के सांसद कुंवर अखिलेश सिंह की बातचीत रिकॉर्ड है. बातचीत में पता चलता है कि किस तरह से रिलांयस की तरफ से काम करते हुए अमर सिंह ने संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को मैनेज कर लिया था ताकि केतन पारेख मामले में कंपनी की भूमिका और ग्लोबल ट्रस्ट बैंक मामले में रिलायंस पेट्रोलियम को बचाया जा सके.

बातचीत के मुताबिक रिलायंस की तरफ से जेपीसी के प्रमुख प्रकाश मणि त्रिपाठी को भुगतान किया गया. त्रिपाठी का बेटा रिलांयस के लिए काम कर रहा था. इसके अलावा एसएस अहलूवालिया (मौजूदा बीजेपी सांसद), प्रफुल्ल पटेल (मौजूदा एनसीपी सांसद), प्रेम चंद गुप्ता (पूर्व सांसद आरजेडी) और किरीट सोमैया (मौजूदा सांसद बीजेपी) को भी रिलायंस की तरफ से पैसे दिए गए.

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प्रकाश मणि त्रिपाठी उत्तर प्रदेश के देवरिया से बीजेपी के सांसद रह चुके हैं. त्रिपाठी स्टॉक मार्केट घोटाले पर गठित संयुक्त संसदीय समिति के चेयरमैन थे. इस घोटाले का मुख्य आरोपी केतन पारेख था. एक और टेप में एनके सिंह (तत्कालीन ओएसडी, पीएमओ) और मुकेश अंबानी सरकार के बजट के बारे में बात कर रहे हैं. अंबानी बजट को प्रभावित करने वाली बाते कर रहे हैंं. जेडीयू से राज्यसभा सांसद रह चुके एन के सिंह फिलहाल बीजेपी में हैं.

वीके धल (डीसीए सेक्रेटरी), अनिल अंबानी, सतीश सेठ और राजीव महर्षि के बीच हो रही बातचीत में 65 अवैध कंपनियों की तरफ से की गई अनियमितताओं का जिक्र हो रहा है. इन कंपनियों को कैसे गलत तरीके से फायदा पहुंचाया गया, इसका जिक्र है. ये कंपनियां रिलायंस से संबद्ध थीं.

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रिलायंस इडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अम्बानी, उस दौर के रिलायंस इडस्ट्रीज के शीर्ष अधिकारी और वर्तमान में अपने छोटे भाई अनिल अम्बानी के दाहिने हाथ माने जाने वाले सुहेल सेठ से बात करते हुए कह रहे हैं, ‘‘दूरसंचार मंत्री के रूप में प्रमोद महाजन के कार्यकाल को जारी रखवाने का समर्थन दिलवाने के लिये 4-5 मुख्यमंत्रियों, 8-10 सांसदों के अलावा करीब 500 और लोगों से पत्र लिखवाओ.’’

एनडीए की सरकार के दौरान महाजन पर डब्लूएलएल लाईसेंस के क्षेत्र में रिलायंस को संपूर्ण मोबाइल सेवाओं के लिये साथ देने का आरोप लगा था. कहा जाता है कि इसके बदले रिलायंस ने 1 करोड़ शेयर 1 रुपये प्रति शेयर की दर पर महाजन के एक दोस्त के नाम कर दिये थे. उस समय महाजन ने इन आरोपों का खुलकर खंडन किया था.

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इस और बातचीत में झारखंड से दूसरी बार सांसद बने परिमल नाथवानी (पिछले चुनावों में बीजेपी ने उनका समर्थन किया था) सेठ से बात कर रहे हैं कि कैसे रिलायंस ने सरकारी उपक्रम बीएसएनएल के टैरिफ प्लान को अपने हिसाब से तैयार करवाया था, जिसके चलते रिलायंस को भारी मुनाफा हुआ था. उस समय रिलायंस का सीडीएमए दूसरी निजी कंपनियों और बीएसएनएल के साथ बेहद कड़े टैरिफ संबंधित विवाद में फंसा था. नाथवानी रिलायंस इडस्ट्रीज के ग्रुप चेयरमैन हैं.

मुकेश अम्बानी और सेठ के बीच हुए एक और वार्तालाप में देश के सबसे धनी कारोबारी सेठ को सेल्युलर्स ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया में फूट डलवाने के लिये कहते हुए सुने जा रहे हैं. वे सेठ को बाकी की सेल्युलर लाबी में से राजीव चंद्रशेखर को 100-200 करोड़ रुपये देने के लिये कह रहे हैं. राजीव चंद्रशेखर उच्च सदन राज्यसभा के सांसद हैं, जो 2012 में बीजेपी और जेडी(एस) के समर्थन से दोबारा सांसद चुने गए थे. इसके अलावा वे बीपीएल मोबाइल के संस्थापक भी हैं और वर्ष 2002 में सीओएआई के अध्यक्ष के रूप में भी अपनी सेवाएं दे चुके हैं. इस वार्तालाप में चंद्रशेखर को 100-200 करोड़ रुपये देने का सुझाव दिया जा रहा है.

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एक और ट्रांस्क्रिप्ट मुकेश अंबानी समूह के साथ वर्ष 1997 से जुड़े जाने-माने ज्योतिषी शंकर अधवाल, जो वर्तमान में कंपनी की 4 जी सेवाओं रिलायंस जियो के रेग्युलेटरी हेड के रूप में कार्यरत हैं, के बीच की बातचीत को भी सामने लाती है. इस बातचीत में अम्बानी साफ तौर पर अडवाल से कह रहे हैं कि कैसे दूरसंचार विभाग से एक फाइल गायब करवाकर सेल्युलर ऑपरेटर लाइसेंस शुल्क के रूप में अदा की जाने वाली 1300 करोड़ रुपये की रकम को देने से बचा जा सकता है.

बातचीत में वे आगे कहते हैं कि इस काम को उस समय दूरसंचार विभाग में ही कार्यरत अजय सिंह और अजाय मेहता की मदद से पूरा किया जा सकता है. स्पाइस जेट एयरलाइंस के सहसंस्थापक और वर्तमान मालिक अजय सिंह को बीजेपी नेतृत्व का काफी करीबी माना जाता है. वे पहले सूचना और प्रसारण मंत्रालय और बाद में दूरसंचार विभाग में प्रमोद महाजन के साथ विशेष कार्याधिकारी (ओएसडी) के रूप में कार्यरत रहे. महाराष्ट्र कैडर के आईएएस अधिकारी मेहता वर्तमान में बीएमसी के अध्यक्ष के रूप में सेवारत हैं.

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अम्बानी, सिंह और सेठ के मध्य हुई दो अन्य वार्ताएं इस बात पर रोशनी डालती हैं कि कैसे महाजन ने कथित तौर पर रिलायंस इंडस्ट्रीज के इशारे पर एयरटेल के सुनील भारती मित्तल के अनुरोधों को नजरअंदाज किया था. महाजन का मंत्रालय जानते-बूझते एयरटेल के सरकार के तहत आने वाले टेलीकाम ऑपरेटरों के साथ इंटर-कनेक्टिविटी के अनुरोधों को टाल रहा था. दूरसंचार के बाजार में भारती की एयरटेल को रिलायंस टेलीकाम के प्रतिद्वंद्वी के रूप में जाना जाता है.

अधिवक्ता द्वारा प्रदान करवाई गई ट्रांस्क्रिप्ट की सूची में रिलायंस इंडस्ट्रीज में निवेश और होल्डिंग्स के चेयरमैन हीतल मेसवानी और सेठ के बीच वार्तालाप भी है, जिसमें केजी बेसिन की अनियमितताओं को लेकर बेहद गोपनीय जानकारी है. अपनी रिपोर्ट में सीएजी ने केजी बेसिन के आवंटन में सरकारी खजाने को भारी नुकसान होने की ओर इशारा किया है. अनिल धीरूभाई अम्बानी समूह के चेयरमैन अनिल अम्बानी, सेठ और रिलायंस इंडस्ट्रीज के एक और वरिष्ठ अधिकारी शाह के बीच हुई एक और बातचीत में यह लोग इस बारे में चर्चा कर रहे हैं कि कैसे रिलायंस केजी बेसिन में सिर्फ 500 करोड़ रुपये खर्च करके इसकी लागत को 1500 करोड़ तक बढ़ाने का दोषी है. इसके अलावा यह भी कि अगर जांच बैठ जाती है, तो कैसे ‘‘सबका बैंड बज जायेगा.’’

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इसके अलावा धीरूभाई अम्बानी के ‘तीसरे बेटे’ कहे जाने वाले आनंद जैन, सेठ और अम्बानी के बीच हुई कई दौर की बातचीत में साफ होता है कि कैसे आल्टमंड रोड पर एक भूखंड को पाने के लिये अनुचित तरीकों को अपनाया गया. इस बातचीत में कथित तौर पर महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण, कांग्रेस नेता और पूर्व सांसद राशिद अल्वी और एक सड़क हादसे में अपनी जान गंवाने वाले बीजेपी के पूर्व मंत्री गोपीनाथ मुंडे की संलिप्तता साफ होती है.

यह बातचीत बताती है कि कैसे उद्यमी ने बेहद महत्वपूर्ण भूखंड को अपनी मर्जी के दामों पर खरीदा और कैसे आदेशों को अपने पक्ष में करवाकर स्टांप ड्यूटी को बचाया. बाद में इस भूखंड पर बड़े अम्बानी के 4000 करोड़ से अधिक की कीमत वाले बंगले ‘एंटिला’ का निर्माण हुआ, जिसे दुनिया का सबसे महंगा रिहायशी मकान माना जाता है.  पेडर रोड के बिल्कुल निकट स्थित 4000 वर्ग मीटर के इस भूखंड को वर्ष 2002 में वक्फ बोर्ड से मात्र 21 करोड़ की कीमत में खरीदा गया. बोर्ड द्वारा 2015 में महाराष्ट्र विधानसभा में पेश एक रिपोर्ट में इस सौदे में अनियमितताओं की तरफ इशारा भी किया गया था.

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इस सूची का दावा है कि अम्बानी ने वार्षिक बजट के फैसलों को प्रभावित किया. सिंह सरकार में वित्त सचिव सहित कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्यरत रह चुके हैं. इस सूची में सेठ और बीजेपी नेता किरीट सोमैया के बीच बातचीत का भी जिक्र है. इस सूची का दावा है कि सोमैया ने लार्सन एंड टर्बो से जुड़े अंदरूनी सौदे के मामले में सेबी की कार्रवाई को रिलायंस के पक्ष में करने का दबाव बनाया था. इसके अलावा इस सूची में समाजवादी पार्टी नेता अमर सिंह और समता पार्टी के अखिलेश सिंह के मध्य हुई एक बातचीत का भी ब्यौरा है, जिसमें ये दोनों इस बात की चर्चा कर रहे हैं कि कैसे केतन पारेख घोटाले में संयुक्त संसदीय समिति और ग्लोबल ट्रस्ट बैंक ‘‘फियास्को’’ को रिलायंस पेट्रोलियम को बचाने के लिये मनाया गया.

इस बातचीत में इस बात का पूरा ब्यौरा है कि जेपीसी के अध्यक्ष प्रकाश मणि त्रिपाठी जिनका बेटा रिलायंस में नौकरी करता था, बीजेपी के एसएस आहलुवालिया, सोमैया, लालू प्रसाद यादव के करीबी सहयोगी और सांसद प्रेम चंद गुप्ता और पूर्व की यूपीए सरकार में केंद्रीय मंत्री प्रफुल्ल पटेल सहित कई अन्य राजनेताओं को पैसे का भुगतान किया गया. तत्कालीन पेट्रोलियम मंत्री राम नाईक के बीच बातचीत भी है, जिसमें नाईक रिलायंस को ‘‘अनुचित लाभ प्रदान’’ करते प्रतीत हो रहे हैं. इसके अलावा इस बातचीत में यह भी साफ होता है कि कैसे सरकारी बीपीसीएल और एचपीसीएल के विनिवेश में भी रिलायंस ऑयल को फायदा पहुंचाया गया और एचपीसीएल के मामले में तो बड़े पैमाने पर पैसे का भी लेन-देन किया गया.

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