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किसी राष्ट्रीय अखबार का मोदी भक्ति के लिए इतना गिरना भी ठीक नहीं

खुद को विश्‍व का नबंर वन अखबार होने का दावा करता दैनिक जागरण मोदी भक्ति व संघ विचारधारा के प्रचार प्रसार में कोई कसर नहीं छोड़ रहा। पत्रकारिता के सारे उसूलों को सिरे से खारिज कर बेहद मूर्खाना व्‍यवहार करने पर तुला है यह संघी अखबार। 14 फरवरी को वेलेटाइन डे के मौके पर संघी, बजरंगी इसे झूठे तौर पर शहीदी दिवस करार देने में जुटे रहे। संघ और बजरंग से जुड़े लोगों का दावा है कि 14 फरवरी को शहीद भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को फांसी दी गई थी, इसलिए वेलेंटाइन डे का आयोजन शहीदों का अपमान है। हालांकि तथ्‍य यह है कि 23 मार्च को इन तीनों शहीदों को फांसी दी गई थी।

<p>खुद को विश्‍व का नबंर वन अखबार होने का दावा करता दैनिक जागरण मोदी भक्ति व संघ विचारधारा के प्रचार प्रसार में कोई कसर नहीं छोड़ रहा। पत्रकारिता के सारे उसूलों को सिरे से खारिज कर बेहद मूर्खाना व्‍यवहार करने पर तुला है यह संघी अखबार। 14 फरवरी को वेलेटाइन डे के मौके पर संघी, बजरंगी इसे झूठे तौर पर शहीदी दिवस करार देने में जुटे रहे। संघ और बजरंग से जुड़े लोगों का दावा है कि 14 फरवरी को शहीद भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को फांसी दी गई थी, इसलिए वेलेंटाइन डे का आयोजन शहीदों का अपमान है। हालांकि तथ्‍य यह है कि 23 मार्च को इन तीनों शहीदों को फांसी दी गई थी।</p>

खुद को विश्‍व का नबंर वन अखबार होने का दावा करता दैनिक जागरण मोदी भक्ति व संघ विचारधारा के प्रचार प्रसार में कोई कसर नहीं छोड़ रहा। पत्रकारिता के सारे उसूलों को सिरे से खारिज कर बेहद मूर्खाना व्‍यवहार करने पर तुला है यह संघी अखबार। 14 फरवरी को वेलेटाइन डे के मौके पर संघी, बजरंगी इसे झूठे तौर पर शहीदी दिवस करार देने में जुटे रहे। संघ और बजरंग से जुड़े लोगों का दावा है कि 14 फरवरी को शहीद भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को फांसी दी गई थी, इसलिए वेलेंटाइन डे का आयोजन शहीदों का अपमान है। हालांकि तथ्‍य यह है कि 23 मार्च को इन तीनों शहीदों को फांसी दी गई थी।

चलिए मान लें कि संघी बजरंगी किताबों से दूर हैं, उन्‍हें इतिहास की जानकारी नहीं, उनका जंग ए आजादी से भी कोई लेना देना नहीं। लेकिन, अखबार के पत्रकार को तो अपना ज्ञान दुरूस्‍त करना ही चाहिए। हुआ यूं कि देहरादून दैनिक जागरण में एक खबर छपी कि विकासनगर में कुछ युवाओं ने शहीदी दिवस मनाया और शहीदों को श्रद्धांजलि दी। अखबार के रिपोर्टर ने खबर लिखी, डेस्‍क ने चेक की इसे अखबार पर भी जगह मिल गई। न कोई सवाल, न कोई जवाब।

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13 फरवरी के अंक में भी ऐसी ही गलती है। मोदी सरकार की हर बात को जायज बताने का नशा जागरण पर कुछ यूं छाया है कि अखबार ने अंतरराष्‍ट्रीय पेज पर खुद ही घोषणा कर दी कि जेएनयू के छात्रों के समर्थन में हाफिज सइद ने ट्ववीट किया। अरे भाई हाफिज मियां खुद ही इनकार कर चुके हैं कि उनका कोई सोशल मीडिया अकाउंट नहीं है। यह किसी भारतीय और मोदी भक्‍त की चाल है जो हाफिज के नाम से फर्जी अकाउंट चलाता है। आप यदि उस अकाउंट को खंगालेंगे तो यह अकाउंट बिहार चुनाव में भी ज्‍यादा सक्रिय दिखा,  सिर्फ यह बताने के लिए कि यदि भाजपा की हार हुई तो पाकिसतान के लिए फायदे की बात होगी। खैर, मोदी भक्ति के नए आयाम गढ़ चुके इस अखबार से इतनी बेवकूफाना हरकत की उम्‍मीद तो की ही जा सकती है।

एक पत्रकार द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित.

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